महाआरती की ट्रेनिंग दे रहे बनारसी पुरोहित

सावन के पहले सोमवार से होगी महाआरती की शुरुआत

Meerut। काशी में गंगा आरती की परंपरा बहुत पुरानी है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सावन के पहले सोमवार से मेरठ के बुढ़ाना गेट स्थित धर्मेश्वर महादेव मंदिर में महाआरती की शुरुआत होगी। बनारस की गंगा आरती की तर्ज पर सुबह और शाम दोनों वक्त महाआरती होगी।

पुरोहित का बुलाया गया

बनारस के अस्सी घाट पर होने वाली महाआरती की तर्ज पर मेरठ में भी महाआरती कराई जाएगी। इसके लिए

मंदिर सीमित द्वारा बनारस से पुरोहित को बुलवाया गया है, जो मंदिर के पुरोहित को महाआरती की ट्रेनिंग दे रहा है। साथ ही मंदिर समिति ने फैसला लिया है कि महाआरती के लिए उसी पात्र का प्रयोग किया जाएगा, जो बनारस में आरती के लिए प्रयोग किया जाता है।

5 साल से जुड़े

बनारस से आए पुरोहित शुभम पाठक ने बताया कि वह पिछले पांच सालों से पुरोहित का काम कर रहे हैं। यह उनका पारिवारिक काम है। उन्होंने कहाकि बनारस को भोलेनाथ की प्राचीन नगरी कहा जाता है। वहां पर होने वाली गंगा आरती देखने के लिए लोगों बहुत दूर-दूर से आते है। वहां गंगा आरती 45 मिनट की होती है।

सात तरह की आरती

1. अगरबत्ती

2. धूप (कपूर का धुआं)

3. झाल आरती (घी और बत्ती)

4. नग आरती (कपूर और तांबे के नग से)

5. फूल आरती (कपड़े में फूल रखकर)

6. मोर पंख (मोर पंख से भगवान शिव का आसान लगाकर)

7. चामण (भगवान को सुलाने के लिए)