- तुर्कमानपुर की हेमलता ने बतौर बिजनेसवुमन छुआ नया आसमान

- बिना किसी सहारे के खड़ा कर दिया लाखों का कारोबार

GORAKHPUR: आमतौर पर महिला व्यवसायी बहुत कम देखने को मिलती हैं। जो हैं भी वे अपने पिता-पति या ससुर के व्यवसाय को आगे बढ़ा रहीं है या उसमें हाथ बंटा रही हैं। लेकिन सिटी के तुर्कमानपुर मुहल्ला निवासी हेमलता ओझा ने अपनी समझ और कड़ी मेहनत के बल पर लाखों का कारोबार खड़ा कर लिया। 28 वर्षीय हेमलता बताती हैं कि महिला होने के कारण शुरू में थोड़ी परेशानी हुई। लेकिन बाद में मुश्किलें आसान होती चली गई।

ऐसे शुरू हुआ सफर

हेमलता बताती हैं कि मेरे पति एक छोटी सी फर्म में नौकरी करते हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई सहित अन्य खर्च उठाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। फिर मैंने व्यवसाय कर परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक करने की इच्छा थी। कभी-कभार बाजार जाती थी तो इन सब सामानों को देखकर लगता था कि इनको तो मैं भी बना सकती हूं। इन सामनों के मूल्य और इनके रॉ मैटेरियल के भाव की जानकारी होते ही मुझे यह काम समझ में आ गया। शुरू-शुरू में मैंने दो-तीन महिलाओं को साथ लेकर छोटे पैमाने पर कार्य शुरू किया। टाइम लगा, धीरे-धीरे बाजार में डिमांड बढ़ने लगी तो काम भी बढ़ गया। फिलहाल उनके कारोबार का वार्षिक टर्नओवर दस लाख रुपए के आसपास है।

नाम हेमलता ओझा

काम घर की सजावट के सामान का कारोबार

प्रारूप लघु उद्योग

मूल निवासी उरुवां ब्लॉक का साउडीह गांव

शिक्षा बीए पास

प्रारंभिक और उच्च शिक्षा सिकरीगंज से

मुश्किलों से घबराती नहीं

हेमलता ने बताया कि महिला होने के नाते व्यवसाय करने में मुश्किलें तो आती हैं। रॉ मैटेरियल लाना सभी कामगारों को माल देना, प्रोडक्ट की क्वालिटी चेक करना, ट्रांसपोर्ट सहित अन्य माध्यमों से इसके कारोबारियों तक माल पहुंचवाना और फिर उनसे पेमेंट लेने में काफी चुनौती का सामना करना पड़ता है। मैं कभी मुश्किलों और चुनौतियों से घबराती नहीं, बल्कि सहजता से उसे फेस करती हूं।

बिहार, नेपाल भी जाता है माल

इनके द्वारा तैयार कराए गए घर के सजावट के सामनों की मांग संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर के कस्बों में रहती है। इसके साथ-साथ बिहार और नेपाल के कई जिलों के व्यापारी भी यहां से सामान ले जाते हैं। त्योहार के समय में इनके सामानों की मांग काफी बढ़ जाती है। त्योहारों की मांग को देखते हुए पहले से ही तैयारी कर ली जाती है। जिससे बाजार की मांग को पूरा किया जा सके।

गरीब महिलाओं को मिला रोजगार

वो तुर्कमानपुर में अपने किराए के मकान में ही घर की सजावट का सामान बनाती हैं। उनके इस काम से मोहल्ले और आसपास की 60 से 70 महिलाओं को भी रोजगार मिला हुआ है। यहां रहने वाली गरीब महिलाएं डेली दो से तीन सौ रुपए कमाती है। घर के सजावट का सामान बनाने से हेमलता की आर्थिक स्थिति तो ठीक हुई। लेकिन उनको ज्यादा खुशी इस बात की भी है कि इससे यहां की गरीब महिलाओं को घर बैठे आसानी से पैसे कमाने का मौका मिलता है।

पढ़ाई पूरी न होने का अफसोस

जिले के उरुवा ब्नॉक सिकरीगंज कस्बे में के निकट साउडीह गांव की रहने वाली हेमलता ने राजनीतिशस्त्र में बीए किया है। शादी हो जाने के कारण उनको बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी। हेमलता हमेशा से कुछ खास करना चाहती थीं। अब इस वो इसे कारोबार को तकनीक से जोड़कर नया रूप देना चाहती हैं।

प्रकाशित हो चुकी हैं दर्जनों कहानियां

हेमलता ओझा लघु उद्यमी होने के साथ-साथ लेखन भी करती हैं। उनकी लिखी हुई दर्जन भर से अधिक कहानियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छप भी चुकी हैं। जिसमें टूट गई तंद्रा, नारी तेरी यही कहानी, ये कैसी जनरेशन, लक्ष्मण रेखा, दोषी कौन, परिवर्तन आदि कहानियां प्रमुख हैं।