- परेड रामलीला में मेघनाथ वध के बाद आतिशबाजी

KANPUR

: रावण का दरबार लगा है, तभी उसे कुभकर्ण की मौत का समाचार मिलता है। रावण अपने भाई के लिए विलाप करने लगता है। तभी मेघनाद आता है और कहता है कि पिताजी आपको मैने इस तरह से विलाप करते कभी नहीं देखा। अब मैं युद्ध पर जा रहा हूं, मुझे दिव्य रथ मिल गया है।

मेघनाद माया मय रथ

परेड रामलीला में बुधवार को लक्ष्मण-मेघनाद युद्ध, मेघनाद वध और अहिरावण लीला का मंचन किया गया। लीला में जब मेघनाद अपने दिव्य रथ को लेकर आकाश में उड़ जाता है और मायावी जाल बिछाता है। मेघनाद माया मय रथ चढ़ गयो आकाशरथ पर बैठ कर वह राम सेना पर वाणों की बौछार करता है। तभी रामजी एक वाण मारकर मायावी जाल को तोड़ देते हैं। मेघनाद नाग पाश में राम सेना को बांधता है, लेकिन जामवंत जी से युद्ध नहीं कर पाता। लक्ष्मणजी नाग पाश को खण्ड-खण्ड कर देते हैं।

तो जन हथेउ आज मैं भाई

मेघनाद युद्ध भूमि से वापस लौट कर देवी मां को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ करता लेकिन यज्ञ खंडित होते ही वह समझ जाता है कि अब वह युद्ध हार जाएगा फिर भी युद्ध भुमि में पहुंचता है। जहां लक्ष्मण जी प्रभु राम से कहते हैं कि जो शत शंकर होहि सहाई, तो जन हथेउ आज मैं भाई लक्ष्मण और मेघनाद में भयंकर युद्ध शुरू हो जाता है। लक्ष्मण जी मेघनाथ का वध करते है। लीला में आगे सती सुलोचना, अहिरावण द्वारा राम-लक्ष्मण को उठाकर लंका ले जाने और हनुमानजी द्वारा उसका वध कर राम-लक्ष्मण को वापस लाने की लीला का मंचन किया गया।

मेघनाद वध के बाद परेड मैदान में पुतला फूंका गया और रंगीन आतिशबाजी की गई। लीला देखने के लिए वेडनेसडे को करीब दस हजार से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ आई।