- इंडिया के साथ आस्ट्रेलिया, दुबई, यूरोप से कनेक्शन

- स्मैकर, पिकर और बिट क्वाइन में उलझती पब्लिक

GORAKHPUR: सोशल मीडिया के जरिए ऑनलाइन प्रचार कर फॉरेन में जॉब दिलाने के बहाने ठगी करने वाले गिरोह के सदस्यों तक पहुंच पाना आसान नहीं रहा। 15 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद एसटीएफ गोरखपुर यूनिट ने तीन लोगों को अरेस्ट किया। छानबीन में सामने आया कि गोरखपुर के अलावा नेपाल बार्डर के बहराइच, महराजगंज, सिद्धार्थनगर सहित कई जिलों में इस गैंग का जाल फैला है। इनके इशारे पर 10 फीसदी कमीशन के चक्कर में सैकड़ों लोगों ने एकाउंट खुलवा रखे हैं। उन तक पहुंचने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।

लखनऊ में पकड़े गए सदस्य, गोरखपुर-महराजगंज में फैला जाल

यूपी एसटीएफ को जानकारी मिली थी कि बहराइच, गोरखपुर सहित कई जगहों पर ऑनलाइन फ्राड का खेल चल रहा है। फॉरेन में नौकरी के आवेदन के लिए फर्जी जॉब पोर्टल बनाकर, लॉटरी जीतने के बहाने, ओटीपी सहित कई अन्य तरह से झांसे में लेकर जालसाज लोगों से ऑनलाइन ठगी कर रहे हैं। इस सूचना पर इंस्पेक्टर सत्य प्रकाश सिंह की अगुवाई में एसटीएफ ने जांच शुरू कर दी। तब सुराग लगा कि नेपाल बार्डर के कई जिलों में यह खेल धड़ल्ले से चल रहा है। रविवार को कुशीनगर से लखनऊ पहुंचे तीन लोगों को पुलिस ने अरेस्ट किया। उनकी पहचान बिहार, छपरा के मडौरा एरिया के नेथुआ निवासी राकेश कुमार सिंह उर्फ बिट्टू यादव, गोपालगंज के बिट्टू और प्रदीप देव के रूप में हुई। उनके पास से नकदी, एटीएम कार्ड सहित कई सामान बरामद हुए। इस गैंग के सदस्य करीब 10 साल से काम में जुटे थे। इंडिया में काम करने वाला एक स्कैमर दिल्ली में भी है। नेपाल बार्डर के जिलों में तमाम लोगों का बैंक एकांउट इस गैंग ने खुलवाया है।

ऐसे काम करता नेटवर्क, फंसते जाते हैं बेरेाजगार

गिरफ्तार राकेश कुमार सिंह उर्फ पिंटू ने दिल्ली के एक फेमस इंस्टीट्यूट से कंप्यूटर की पढ़ाई की है। जॉब खोजने के चक्कर में वह ऑनलाइन फ्राड का शिकार हो गया था। इससे उसने भी इस रैकेट से अपने को जोड़ लिया। पिटू ने पुलिस को बताया कि इंटरनेट और फेसबुक पर फॉरेन में जॉब के लिए बहुत से पोर्टल संचालित हो रहे हैं। उस पोर्टल पर दिए गए मोबाइल नंबर विदेश में बैठे लोगों के होते हैं। इनको साइबर क्राइम की लैंग्वेज में स्कैमर कहते हैं। व्हाट्सअप चैट के जरिए संपर्क में आने पर स्मैकर अपने नेटवर्क के इंडिया में बैठे पिकर को इस्तेमाल करके बैंक एकाउंट नंबर उपलब्ध कराते हैं। आवेदकों से कई तरह के खर्च बताकर रुपए एकाउंट में जमा कराने को कहा जाता है। बहुत से बैंक एकाउंट्स रखने वाला पिकर नौकरी के इच्छुक लोगों से उसी एकाउंट नंबर पर रुपए जमा कराता है। जमा होने वाली नकदी को एटीएम और पासबुक के सहारे निकालकर बिट क्वाइन वेंडर को दे देता है। ये वेंडर विदेश में बैठे स्कैमर के बिट क्वाइन वालेट में बिट क्वाइन के रूप में नकदी को ट्रांसफर कर देता है। इसके बदले में एकाउंट धारक को 12 से 13 फीसदी का लाभ दिया जाता है। जबकि, ठगी होने पर जब पीडि़त के संपर्क करता है तो कोई जवाब नहीं मिलता। खास बात यह है कि स्कैमर, पिकर और वेंडर के बीच में कोई सीधा लिंक भी नही जुड़ता है।

इन देशों में बैठे स्कैमर

यूक्रेन, आस्ट्रेलिया, कैमरून, यूएसए, इंडिया, नेपाल, दुबई

पिकर को फायदा, सैकड़ों की तादाद में एकांउट्स

पुलिस की जांच में सामने आया कि गोपालगंज के बिट्टू और प्रदीप देव पिकर के रूप में यूज होते हैं। इन लोगों ने तमाम लोगों के बैंक एकाउंट्स खुलवा रखे हैं। पिकर इतना काम करता है कि एकाउंट में आने वाली नकदी को निकालकर अपना कमीशन काटकर शेष पैसा स्कैमर को नकद दे देता है। लेकिन यह पैसा कलेक्ट करके लिए दूसरा कोई शख्स सामने आता है। या फिर इन नकदी को कहीं किसी बिजनेस में इनवाल्व कराया जाता है। गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर सहित कई जिलों में सैकड़ों की तादाद में पिकर ने एकाउंट्स खुलवाए हैं। इनमें कुछ फर्जी तो कुछ ओरिजनल है। बिना कोई काम किए आसानी से नकदी मिलने पर इस रैकेट का सदस्य बन गए हैं।

टेरर फडिंग की जांच में जुटी एसटीएफ की टीम

पूर्व में गोरखपुर में बिट क्वाइन और टेटर फडिंग के आरोप में कई लोग पकड़े जा चुके हैं। फेमस मोबाइल विक्रेता सहित कई लोगों को अरेस्ट करके एटीएस ने जेल भेजा था। नया मामला सामने आने पर माना जा रहा है कि इसका जुड़ाव टेरर फडिंग करने वालों से हो सकता है। नेपाल में भी इंडिया से भारी रकम खपाई जा रही है। इसलिए एसटीएफ ने जांच का दायरा बढ़ा ि1दया है।

ऑनलाइन जॉब की तलाश में बरतें सावधानी

किसी वेबसाइट पर जॉब सर्च के बाद उस पर दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल करके संपर्क करें।

इंडिया में जॉब देने वाली संबंधित कंपनी के आफिस पर जाकर उसके बारे में पूरी जानकारी जुटा लें।

ऑनलाइन लॉटरी, ईनाम या अन्य किसी तरह के अनर्गल लाभ के चक्कर में बड़ा नुकसान हो सकता है।

बैंक एकाउंट में रुपए जमा कराकर उसे विदड्रा करने के बदले में रुपए देने के किसी के झांसे में न आएं।

बैंक एजेंट्स और अन्य के संबंध में पूरी जानकारी रखें। लालच में आकर किसी को अपना एकाउंट न उपलब्ध कराएं।

क्या है बिटक्वाइन?

बिटक्वाइन डिजिटल क्रिप्टो करेंसी है, जिस पर सरकार या किसी भी बैंक का कोई नियंत्रण नहीं है। इसकी 2008 में इसका आविष्कार हुआ, वहीं 2009 में इसे लोगों के लिए ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया। इसे ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यह किसी कानून के दायरे में भी नहीं आती। एक बिटक्वाइन की वैल्यु 2013 में करीब 12 हजार रुपए थी, जो 29 नवंबर 2017 को सात लाख 28 हजार इंडियन रुपए हो गई है। खास बात यह है कि इस करेंसी में सेंध लगाना आसान नहीं है। इसके ट्रांजेक्शन के लिए क्यूआर कोड जनरेट होता है, जिसके जरिए फंड ट्रांसफर किया जाता है।

वर्जन

नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग के तीन सदस्य पकड़े गए हैं। महराजगंज जिले में इन लोगों ने ज्यादा एकाउंट्स खुलवाए हैं। इस गैंग से जुड़े लोगों की तलाश की जा रही है। टेरर फडिंग के संबंध में भी जांच पड़ताल चल रही है। नेपाल बार्डर एरिया में इनकी सक्रियता होने से गहनता से पड़ताल की गई।

सत्य प्रकाश सिंह, इंस्पेक्टर, एसटीएफ यूनिट गोरखपुर