-सोशल मीडिया पर अवेयरनेस फैलाने वाले मैसेज हुए वायरल

- राखी को बेटी बचाव अभियान से जोड़कर किया गया जागरूक

PATNA: एक तरफ भाई अपनी बहनों से राखी बंधवा रही थीं, तो दूसरी ओर मोबाइल पर लगातार मैसेज टोन बजते जा रहे थे। फेसबुक, ट्विटर के अलावा व्हाट्सऐप पर भी सुबह से ही राखी के मैसेजेज आ रहे थे। इन मैसेजेज के बीच बेटी बचाव जैसे कैम्पेन को भी जोड़ा गया, जिसमें कुछ ऐसे संदेश हैं जो यह बताता है कि अगर बेटी नहीं होती, तो शायद रक्षाबंधन के दिन घर सूना हो जाता। खासकर आज जिस तरह से भ्रूणहत्या हो रही है, उस सिनैरियो में यह मैसेज सोसायटी को जगाने का काम कर रहा है। इससे लोग समझ पाएं कि आज बेटियों की क्या इंपॉर्टेस है। न सिर्फ त्योहार के लिए बल्कि एक परिवार के लिए भी इंपॉर्टेट है।

'जिसके घर बेटी का अवतार नहीं होता'

आमतौर पर सभी ऑकेजनों में सोशल मीडिया पर संदेश आते हैं, लेकिन शायद ही कोई ऐसी सीख देता हो। बेटी बचाव जैसे संदेश को भी लोग खूब लाइक कर रहे हैं। 'मेहंदी रोली कंगन का अवतार नहीं होता, रक्षाबंधन, भैया दूज का त्योहार नहीं होता। वह घर सूना रह जाता इस दुनिया में, जिसके घर में बेटी का अवतार नहीं होता'। सोशल मीडिया में जिस तरह से बेटियों को लेकर ऐसे-ऐसे पोस्ट आ रहे हैं, उससे सोसायटी का हर वर्ग सहमत है और इस तरह के संदेश को ज्यादा से ज्यादा आगे तक ले जाने के लिए प्रेरित भी कर रहा है।

ग‌र्ल्स को प्रमोट करने को लेकर जिस तरह से मैसेज आ रहे हैं, वह अच्छा इनिशिएटिव है और लोकप्रिय भी हो रहे हैं। कम से कम लोगों को बेटी बचाने को लेकर जागरूक तो किया ही जा रहा है।

-नीलम पांडे, उप निदेशक, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग

पहली बार लगा है कि सोशल मीडिया कुछ अच्छा कर रहा है। आज लोगों को सिर्फ बेटे की चाह रहती है, पर वे भूल जा रहे हैं कि बेटियां कई मायनों में हर परिवार व समाज के लिए जरूरी हैं।

-मिलन दास, वाइस चैयरमैन, ललित कला एकेडमी

मेरी अपनी कोई बहन नहीं है, जिसका दुख मुझे हमेशा ही रहता है, पर कुछ किया भी तो नहीं जा सकता। हालांकि अभी व्हाट्सऐप पर जैसे-जैसे मैसेजेज आ रहे हैं, उसे देखकर अच्छा लगता है।

-सत्यव्रत किरण, राजीवनगर निवासी