- पांच देशों के भ्रमण के बाद वापस लौटा दूसरा फॉरेन टूर

- अबकीबार भी नगर विकास मंत्री के नेतृत्व में 5 मेंबर्स शामिल रहे

- कोलंबिया, ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड सहित 5 देशों में टटोली गई

- केबिल कार की फिजिबिलिटी

देहरादून, वर्ष 2017 में दून ने मेट्रो रेल का एक हसीन ख्वाब देखा था। अब तक उस पर कुहासे के बादल छंट नहीं पाए हैं। स्थिति ये है कि शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की लीडरशिप में सरकार को एक पांच सदस्यीय विजिट दल पांच देशों की यात्रा कर वापस लौटा है। छह दिनों तक इस दल ने स्पेन, बोलिबिया, कोलंबिया, ऑस्ट्रिया व स्विट्जरलैंड जैसे कंट्रीज का दौरा किया। लेकिन इस बार मेट्रो, एलआरटी, पीआरटी नहीं, बल्कि मेट्रो केबल की संभावनाएं प्रमुख था। बताया जा रहा है कि इस दल के शामिल जितने भी मेंबर्स थे, वे अपनी कॉम्प्रिहेनसिव रिपोर्ट शासन को सुपुर्द करेगी। इसके बाद तय हो पाएगा कि दून में मेट्रो उपयुक्त होगा या नहीं। लेकिन बताया जा रहा है कि मेट्रो केबिल पर ही शासन इच्छुक है। इसके पीछे दूनवासियों को कम लागत पर बेहतर अर्बन ट्रांसपोर्ट फैसिलिटीज प्रोवाइड करना वजह बताया गया है।

दून में केबिल कार की लागत का अनुमान 90 करोड़

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मेट्रो का सपना देखने शुरु हो गया था। सत्ता व निजाम बदले तो दून में अर्बन ट्रांसपोर्ट फैसिलिटीज मुहैया कराए जाने के लिए एक्सरसाइज जारी रही। शुरुआत दून से हरिद्वार, हरिद्वार से ऋषिकेश तक मेट्रो की संभावनाएं टटोली गई। डीएमआरसी को डीपीआर का जिम्मा सौंपा गया। डीपीआर तैयार होने के बाद इसमें कई सुझाव दोबारा शामिल किए जा चुके हैं। अधिकारियों में डायरेक्टर, जीएम व सचिव के साथ ही कर्मचारियों की अच्छी खासी तादात तैनात है। लेकिन अब तक सरकार स्पष्ट नहीं कर पा रही है कि दून में मेट्रो के ख्वाब से हुई शुरुआत अब मेट्रो केबिल पर अटक गई। ऑफ द रिकॉर्ड अधिकारियों का कहना है कि दून सिटी में अकेले मेट्रो रन करने के लिए करीब ढ़ाई सौ करोड़ रुपए का पूर्वानुमान सामने आ रहा है। जबकि इसमें ऋषिकेश व हरिद्वार का खर्च अतिरिक्त होगा। इन्वेस्टर्स समिट 2018 में कंपनियों ने दावेदारी भी की थी। लेकिन सरकार फिक्र कर रही है कि दून सिटी में उसके सामने मेट्रो, एलआरटी या पीआरटी के लिए न केवल लैंड की उपलब्धता, बल्कि ट्रैफिक डायवर्ट की भी दिक्कत सामने आएगी। तमाम समस्याओं को देखते हुए सरकार ने मेट्रो केबिल की संभावनाएं टटोली है। जबकि पहले गए फॉरेन टूर में एलआरटी पर सभी मेंबर्स ने अपनी मुहर लगाई थी। फिलहाल, बताया जा रहा है कि हाल में दो पांच सदस्यीय टीम पांच देशों के टूर से वापस लौटी है, उसमें केवल दून सिटी में मेट्रो केबिल प्रोजेक्ट्स पर संभावनाएं तलाशने के लिए शुरुआती ऑब्जर्बेशन के हिसाब से 90 करोड़ रुपए खर्च आने की संभावनाएं सामने आई हैं। हालांकि एक अधिकारी का कहना है कि फॉरेन गया दल जल्द रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंपेगी। उसके बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी कि दून में मेट्रो केबिल की कितनी संभावनाएं हैं।

::फॉरेन गए टीम में ये रहे शामिल::

-मदन कौशिक-शहरी विकास मंत्री।

-उत्पल कुमार सिंह, चीफ सेक्रेटरी।

-नितेश कुमार झा, अर्बन सेक्रेटरी।

-जीतेंद्र त्यागी, मैनेजिंग डायरेक्टर, उत्तराखंड मेट्रो।

-नत्था सिंह रावत, चीफ इंजीनियर, उडा।

पहले भी हो चुका है लंदन व जर्मनी का टूर

गत वर्ष अगस्त 2018 में उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के बाद शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में 12 मेंबर्स का एक टूर पहले ही लंदन व जर्मनी जैसे फॉरेन कंट्रीज का टूर कर चुका है। बाकायदा, इसकी रिपोर्ट भी संस्तुति के लिए शासन को भेजी जा चुकी है। इसमें मेट्रो के अलावा एलआरटीएस सिस्टम की संभावनाएं टटोली गई थीं। लेकिन इस पर भी बात आगे नहीं बढ़ पाई।

::कुछ खर्च हुई राशि::

-वेतन पर खर्च 2.37 करोड़।

-मेट्रो रेल- एलआरटीएस की एक्सरसाइज पर 1.70 करोड़

-कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान (सीएमपी) पर 97.50 लाख।

-अलटरनेटिव एनालिसिस रिपोर्ट(एएआरर) परए 72.50 लाख।

-12 मेंबर्स के फॉरेन टूर पर 42.62 लाख।

-डीएमआरसी के डीपीआर पर खर्च की अतिरिक्त राशि।

-6 दिवसीय पांच फॉरेन कंट्रीज के 5 मेंबर्स की फॉरेन टूर पर अतििरक्त खर्च।

कई उतार-चढ़ाव रहे प्रोजेक्ट में

सीएस लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम (एलआरटीएस) आधारित मेट्रो रेल परियोजना को दून के लिए अनुपयुक्त बताते हुए इस पर विचार करने से इन्कार कर चुके हैं। इधर, एक्सप‌र्ट्स मेट्रो व केबिल कार में भी फर्क है। मेट्रो 35-40 किमी प्रति घंटे व केबिल कार 15 किमी प्रति घंटे की स्पीड रखती है। मेट्रो की एक्सरसाइज में पहले चरण में दून के दो कॉरीडोर फाइनल कर लिए गए थे। इसके अलावा मेट्रो प्रोजेक्ट में अप्रैल 2017 में दून से लेकर हरिद्वार व ऋषिकेश समेत मुनिकीरेती तक मेट्रोपोलिटन क्षेत्र घोषित किया था।