-एमडीए और राइट्स की बीच हुआ मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग

- आठ माह के भीतर तैयार की जाएगी मेट्रो प्रोजेक्ट की डीपीआर

-अगले चार सालों में मेट्रो को मेरठ में उतारने का रखा लक्ष्य

Meerut: लंबे इंतजार के बाद मेरठ में मेट्रो आने की जमीन तैयार हो गई। शनिवार को एमडीए और राइट्स लिमिटेड के बीच एमओयू साइन करने की औपचारिकता पूर्ण कर ली गई। इसके साथ आठ माह के भीतर प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार करने के साथ ही ख्0ख्0 तक मेट्रो को मेरठ में उतारने का लक्ष्य रखा गया।

एमओयू हुआ साइन

शनिवार को राइट्स लिमिटेड के ग्रुप जनरल मैनेजर पीयूष कंसल मेरठ विकास प्राधिकरण पहुंचे। इस बीच एमडीए सचिव सौम्य श्रीवास्तव और राइट्स अधिकारियों को बीच मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर कई दौर की वार्ताओं का दौर चला। वार्ता के बाद दोनों पक्षों के मध्य मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट की औपचारिकताएं पूर्ण की गई।

आठ माह में डीपीआर

एमडीए और राइट्स के बीच किए गए एमओयू करार के दौरान प्रोजेक्ट की डिटेल तैयार करने के लिए आठ माह का समय रखा गया। प्राधिकरण के अधीक्षण अभियंता शबीह हैदर ने बताया कि मेट्रो की डीपीआर बनाने का कार्य शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा। डीपीआर संबंधी सभी पहलुओं पर विचार विमर्श किया जा चुका है। आने वाले कुछ माह में डीपीआर सबमिट कर दी जाएगी।

हर माह होगी समीक्षा

राइट्स लिमिटेड के ग्रुप जनरल मैनेजर पीयूष कंसल ने बताया कि प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार होने के बाद मेट्रो के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर शुरू कर दिया जाएगा। अनुमानित तौर पर अगले साल तक योजना पर युद्ध स्तर पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा, जबकि प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए ख्0ख्0 को लक्ष्य रखा गया है। प्रोजेक्ट को पूर्ण होने तक मेरठ कमिश्नर एमडीए और राइट्स के सदस्यों को लेकर बनाई गई कमेटी की हर माह समीक्षा करेंगे। समीक्षा बैठक में प्रोजेक्ट को लेकर होने वाली प्रोग्रेस व बाधाओं के बारे में कमेटी के मेंबर्स से जानकारी ली जाएगी। इस मौके पर अधीक्षण अभियंता शबीह हैदर, संयुक्त सचिव बैजनाथ, एटीपी विवेक भास्कर, एपी सिंह, चीफ इंजीनियर एससी मिश्र आदि लोग मौजूद रहे।

प्रस्तावित स्टेशन

मेट्रो प्लाजा, बच्चा पार्क, विक्टोरिया पार्क, तेजगढ़ी चौराहा, शास्त्रीनगर में पीवीएस मॉल, पीएसी हापुड रोड, कमिश्नरी चौराहा, मवाना रोड, मलियाना बस स्टैण्ड, भोला रोड तिराहा

एमओयू साइन कर लिया गया है। जल्द ही डीपीआर तैयार करने पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा। मेट्रो मेरठ के लिए सबसे बड़ा वरदान साबित होगा।

-सौम्य श्रीवास्तव, सचिव एमडीए

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विकास के सुनहरे सपने लेकर आई मेट्रो

-एमओयू साइन होने से जागी विकास की उम्मीद

-सबसे ज्यादा मेरठ के रियल एस्टेट को होगा फायदा

मेरठ। मेट्रो की जमीन तैयार हो रही है तो विकास भी अंगड़ाई ले रहा है। एक ओर जहां प्रोजेक्ट के शुरू होने से शहर के हजारों लोगों को सहुलियत मिल जाएगी। वहीं शहर के विकास में भी चार चांद लग जाएंगे।

रियल एस्टेट में आएगा बूम

शहर में मेट्रो की आमद सबसे बड़ा प्रभाव रियल एस्टेट मार्केट पर पड़ेगा। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पिछले कुछ सालों से मेरठ ही नहीं बल्कि दिल्ली एनसीआर में रियल एस्टेट मार्केट चौपट पड़ा है। यहां तक कि कई बड़ी कंपनियों जहां अपने प्रोजेक्ट बीच में ही रोक दिए हैं। वहीं कुछ बिल्डर अपने प्रोजेक्ट को सेल नहीं कर पा रहे हैं। मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर बिल्डरों में एक नई ऊर्जा जगी है। विशेषज्ञों की मानें तो जो लोग गाजियाबाद, नोएडा, गुडगांव या फिर दिल्ली में इनवेस्ट नहीं कर पा रहे हैं। उनके लिए दिल्ली एनसीआर में मेरठ सबसे अच्छा विकल्प साबित होगा। ना कॉलोनाइजर मेरठ की ओर रुख करेंगे।

70 फीसद बढ़ेंगे दाम

प्रोजेक्ट के आने से एक ओर जहां रियल एस्टेट को बूम मिलेगा। वहीं मेरठ और आसपास की जमीन के रेट आसमान छुएंगे। जमीन के मूल्यों में होने वाली वृद्धि का सबसे बड़ा प्रभाव दिल्ली व रूड़की रोड पर पड़ेगा। हालांकि प्रोजेक्ट व निकट भविष्य को देखते हुए कुछ बिल्डरों ने तो अभी से अपने प्रोजेक्ट का ब्लू प्रिंट बनाना तैयार कर दिया है। दिल्ली से आसान कनेक्टेविटी को ध्यान में रखते हुए परतापुर बाईपास, रूड़की रोड, दिल्ली रोड व हापुड़ बाईपास आदि जगहों के रेट भ्0 से 70 फीसद तक बढ़ सकते हैं।

इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट बढ़ेगा

दिल्ली एनसीआर का हिस्सा होते हुए भी अभी मेरठ और दिल्ली के बीच कोई कनेक्टेविटी नहीं बन पाई है। इसका सबसे बुरा असर यहां के इंडस्ट्रीयल सेक्टर पर पड़ा है। इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर मेरठ की बिजली-पानी-सड़क के लिहाज से कोई आमूल-चूल बदलाव देखने को नहीं मिला है। बल्कि इसके विपरीत खस्ता हाल इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण मल्टीनेशनल कंपनियों ने भी मेरठ की ओर से रुख मोड़ा है, जबकि यहां की अपनी इंडस्ट्रीज भी विस्तार नहीं पा चुकी है। अब चूंकि मेट्रो का मेरठ में आना सुनिश्चित हो गया है, तो यहां के उद्यमियों में भी निकट भविष्य को लेकर सुनहरी आस जगी है।

मेट्रो सिटी को मिली मेट्रो

हालांकि मेरठ को मेट्रो सिटी का खिताब तो काफी पहले मिल चुका है, लेकिन अभी तक मेट्रो सुविधाओं के अभाव में यहां का अपेक्षाकृत विकास नहीं हो सका है। अरसे बाद मेरठ को मिली मेट्रो के साथ रियल एस्टेट, इंडस्ट्रीयल डवलपमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर में होने वाले सुधार से जनपद को सही मायनों में मेट्रो सिटी का दर्जा मिल सकेगा।

इनसेट

एसी में आरामदायक सफर

दिल्ली जाने के लिए अभी तक का सफर यहां के लोगों के लिए सबसे अधिक थकान भरा होता है। एक घंटे के सफर को पूरा करने के लिए यात्रियों को कभी-कभी ढ़ाई से तीन घंटे के सफर से गुजरना पड़ता है। लेकिन मेट्रो से न केवल यह सफर सिमट कर एक घंटे का रह जाएगा, वहीं कम खर्च पर एसी का सफर यात्रियों के लिए लाभ का सौदा साबित होगा।

शहर को मिलेगी ऑक्सीजन

सबसे बड़ा असर तो दिल्ली रोड के जाम पर पड़ने वाला है। ट्रेफिक लोड के दृष्टि से देखा जाए तो महानगर का सबसे अधिक ट्रेफिक लोड दिल्ली रोड पर ही है। मेट्रो के आने से इस रोड का सारा ट्रेफिक उठकर मेट्रो में सवार हो जाएगा। जिससे शहर को ट्रेफिक की मार से राहत मिलेगी।

मेट्रो इंडस्ट्रीयल सेक्टर के लिए ऑक्सीजन साबित होगी। इंफ्रास्ट्रक्चर लचर होने कारण यहां मल्टीनेशनल कंपनियां दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन मेट्रो के आने से मेरठ दूसरा नोएडा और गुडगांव नजर आएगा।

-पंकज गुप्ता, आईआईए

मेट्रो की आमद शहर के विकास को सीधा प्रभावित करेगी। आने वाले पांच सालों में मेरठ गुडगांव और नोएडा की तर्ज पर विकास करता दिखाई पड़ेगा। दिल्ली से सीधी कनेक्टेविटी और एनसीआर का पार्ट होने के कारण बड़ी तदाद में कॉलोनाइजर मेरठ का रूख करेंगे।

-सुनील तनेजा, अंसल हाउसिंग

नोएडा में मकान बनाना बहुत मंहगा है। नौकरी के चलते मजबूरी में किराए के मकान में रहना पड़ता है। मेट्रो यदि आ जाती है तो मेरठ में ही जगह लेकर आशियाना बनाया जाएगा।

-पुनीत वशिष्ठ, सॉफ्टवेयर इंजीनियर

मेट्रो के आने से शहर की सूरत बदल जाएगी। सबसे बड़ा असर यहां के बुनियादी ढांचे पर पड़ेगा। जमीनों के रेट ऊंचे होने से यहां के किसानों को भी उसका लाभ मिल सकेगा।

-अजय भराला, मोदीपुरम

अभी दिल्ली जाने के लिए ढाई से तीन घंटे का सफर करना पड़ता है। अप एंड डाउन के विषय में तो सोचा भी नहीं जा सकता। मेट्रो के आने से दिल्ली आना-जाना बहुत आसान हो जाएगा।

-आरती टीचर्स, बाइपास

मेट्रो के आने से प्रापर्टी के दामों में उछाल आएगा। नए हाउसिंग प्रोजेक्ट बनने से बड़े स्तर पर जमीन चाहिए होगी। आस-पास की एग्रीकल्चर की जमीन भी कमर्शियलाइज हो जाएगी।

-विनय, कंकरखेड़ा