-बनारस में नई नीति के तहत मेट्रो चलाने की योजना नहीं चढ़ सकी परवान

-वीडीए के 3.81 करोड़ देने के बाद भी नहीं बना डीपीआर

-कार्यदायी संस्था सिर्फ सर्वे रिपोर्ट व प्रेजेंटेशन देने तक रही सीमित

>varanasi@inext.co.in

VARANASI

बनारस में मेट्रो चलाने की योजना साल भर बाद भी परवान नहीं चढ़ सकी है। फैक्ट यह है कि कार्यदायी संस्था रेल इंडिया टेक्निकल व इकोनामिक सर्विसेज (राइट्स) अब तक सिर्फ सर्वे रिपोर्ट व प्रेजेंटेशन देने तक ही सीमित है। वाराणसी विकास प्राधिकरण के 3.81 करोड़ रुपये देने के बाद भी अब तक प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) नहीं बन सकी है। अब वीडीए ने सख्त रुख अपनाया तो 'राइट्स' ने 31 अक्टूबर तक डीपीआर बनाकर देने को कहा है।

लाइट मेट्रो चलाने पर विचार

दरअसल, बनारस की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से यहां मेट्रो का संचालन सम्भव नहीं है। 'राइट्स' ने कई बार सर्वे कर मेट्रो संचालन की सम्भावना से इनकार कर दिया। इसके बाद लाइट मेट्रो या फिर ट्राम चलाने की कवायद शुरू हो गई। फिर भी कार्यदायी संस्था अब तक डीपीआर तैयार नहीं कर सकी है।

यह है प्रोजेक्ट

प्रदेश की पिछली सरकार ने राइट्स से फरवरी 2016 में डीपीआर बनवाया। लगभग 17 हजार करोड़ से 29.4 किमी में दो कॉरिडोर प्रस्तावित किए गए। मेट्रो को 22 किमी अंडरग्राउंड और 7.4 किमी तक एलीवेटेड (ऊपरगामी) लाइन पर दौड़ाने की डिजाइन बनी। शासन ने दिसम्बर 2016 में केन्द्र सरकार के पास डीपीआर भेजा लेकिन स्वीकृत नहीं हुआ। अक्टूबर 2017 में नई मेट्रो पॉलिसी बनने के बाद केन्द्र ने डीपीआर संशोधित करने का निर्देश दिया।

'पीपीपी' मॉडल पर हाेगा संचालन

पिछले साल नवंबर में प्रदेश सरकार ने राइट्स को प्राधिकरण की मदद से फिर से डीपीआर बनाने को कहा। जिसमें मेट्रो स्टेशन को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर संचालन और कम्प्रिहेंसिव रिपोर्ट के आधार पर तैयार करना है। मई में बनारस आई राइट्स की टीम ने अध्ययन के बाद वीडीए अफसरों के सामने सर्वे की रिपोर्ट पेश की। इसके बाद संस्था फिर बनारस ही नहीं आयी।

ाईलाइटर

- अब तक छह बार बदली डीपीआर भेजने की तिथि

- वीडीए ने कार्यदायी संस्था राइट्स को कई बार पत्र भेजकर किया आगाह

- शासन ने संशोधित डीपीआर बनाने के लिए 30 दिसम्बर तक दिया था समय

-अब 31 अक्टूबर तक डीपीआर बनाने का मिला है आश्वासन

- राइट्स को अन्य यातायात माध्यमों के लिए अल्टरनेटिव एनालिसिस रिपोर्ट भी बनानी है।

-जिसमें ट्राम, मोनो रेल व लाइट मेट्रो चलाने की संभावना तलाशी जा रही है।

नई मेट्रो पॉलिसी के तहत राइट्स डीपीआर बना रही है। इस बार उसे कम्प्रेहेंसिव मोबिलिटी प्लान (सीएमपी) व अल्टरनेटिव एनालिसिस की रिपोर्ट भी देनी है। अभी तक टीम ने सिर्फ रिपोर्ट दी है।

राजेश कुमार, उपाध्यक्ष, वीडीए