वित्त मंत्री ने कहां जांच के दौरान विपक्ष ना कहे हो रही है साजशि

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज संसद में कहा कि कथित रूप से कृषि आय के रूप में कमाई दिखाकर कर योग्य आय छिपाने के मामले में कई प्रमुख लोगों की जांच हो रही है। उन्होंने विपक्ष से कहा कि जांच के बाद अगर उनके नाम सामने आए तो विपक्ष को यह नहीं कहना चाहिए कि उन्हें राजनीतिक रूप से शिकार बनाया जा रहा है। हाल में दिये गये निर्देश में देश भर के आयकर अधिकारियों से आकलन वर्ष 2011-12 से 2013-14 के बीच इस श्रेणी के चुनिंदा मामलों का सत्यापन करने को कहा गया है।

1000 से भी अधिक करोड़पति किसानों ने कृषि आय घोषित की

आयकर विभाग के पास पिछले नौ आकलन वर्षों में एक करोड़ रुपये से अधिक की सालाना कृषि आय घोषित करने वाले लोगों में ज्यादातर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तथा बेंगलुरू जैसे महानगरों के लोग हैं। इस बारे में हाल में दिये गये जांच के निर्देश के बाद कर अधिकारी ऐसे मामलों में कर चोरी की जांच कर रहे हैं। अभी तक उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार आकलन वर्ष 2008-09 से 2015-16 के बीच बेंगलुरू में 321 करदाताओं ने एक करोड़ रुपये से अधिक कृषि संपत्ति घोषित की। उसके बाद क्रमश: दिल्ली (275), कोलकाता (239), मुंबई (212), पुणे (192), चेन्नई (181), हैदराबाद (162), तिरूवनंतपुरम (157) तथा कोच्चि का स्थान है।

पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर होने के बाद हुए जांच के आदेश

पटना उच्च न्यायालय में इस संबंध में दायर जनहित याचिका के बाद यह कदम उठाया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि ऐसी आय की घोषणा करने वालों में कुछ अवैध धन को कृषि आय के रूप में दिखाने में शामिल हो सकते और इस प्रकार ये मनी लांड्रिंग के मामले हो सकते हैं। देश में कृषि आय कर मुक्त है।आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले नौ आकलन वर्ष 2007-08 से 2015-16 के बीच 2,746 इकाइयों ने कृषि आय एक करोड़ रपये से अधिक होने की घोषणा की है। 2011-12 से 2013-14 के बीच के मामलों की जांच की जानी है।

आयकर विभाग 20 मार्च तक देनी है रिपोर्ट

आयकर विभाग को संदेह है कि कई मामलों में जहां घोषणा करने वालों ने कर छूट का दावा इस श्रेणी के तहत किया है उनकी तरफ से यह आंकड़े डालने में गड़बड़ी का नतीजा हो सकता है या वास्तव में कर चोरी का मामला हो सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बारे में जांच की रिपोर्ट 20 मार्च तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड सीबीडीटी को देनी है। उसके बाद बोर्ड उसे आगे की कार्रवाई के लिये पटना उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करेगा।

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