इस online का क्या मतलब?

सब हेड

नामांकन के नाम पर न रुका शक्ति प्रदर्शन व टकराव

--Online नामांकन का काशी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी को नहीं मिला फायदा

-छात्रसंघ चुनाव में कैंडीडेट्स ने जमकर किया शक्ति का प्रदर्शन, बमबाजी व पत्थरबाजी में भी नहीं रहे पीछे

--Teachers व students ने भी online nomination पर जताया एतराज

VARANASI

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में छात्रसंघ चुनाव में भाग लेने के लिए पहली बार शुरू हुए ऑनलाइन नामांकन की तो वॉट लग गई। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने यह सोचकर इस बार चुनाव में नामांकन ऑनलाइन किया था कि स्टूडेंट्स का शक्ति प्रदर्शन नहीं देखने को मिलेगा। नामांकन जुलूस के दौरान अमूमन सड़कों पर छात्र गुटों में होने वाली टकराहट नहीं होगी। लेकिन हुआ ठीक इसका उल्टा। ऑनलाइन नॉमिनेशन के बावजूद कैंडीडेट्स ने जुलूस निकाला और जमकर शक्ति का प्रदर्शन भी किया। टकराव भी हुआ और बमबाजी और पत्थरबाजी भी हुई लेकिन इस बवालबाजी को रोकने के बजाय पुलिस हाथ बांधे ही खड़ी रही। ऐसे में हर छात्र-छात्रा और टीचर का कहना था कि नॉमिनेशन के दूसरे दिन कैंडीडेट्स को अपने सर्टिफिकेट का वेरीफिकेशन कराने के लिए जब यूनिवर्सिटी में बुलाना ही था तो फिर ऑनलाइन नामांकन शुरू करने का नया लफड़ा क्यों पाला गया? इनका कहना था कि कैंडीडेट व प्रस्तावक का पूरा डाटा एडमिशन के वक्त ही सम्मिट करा लिया जाता है, जो एक क्लिक करते ही उनका पूरा विवरण कम्प्यूटर स्क्रीन पर सामने आ जाता है तो फिर उन्हें कैंपस में बुलाने की क्या जरूरत थी?

लिंगदोह की उड़ीं धज्जियां

काशी विद्यापीठ में ऑनलाइन नामांकन के बाद भी कैंडीडेट्स ने जुलूस निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया। सर्टिफिकेट का सत्यापन कराने के बाद कैंडीडेट्स की ओर से निकाले गये जुलूस के आगे पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन बौना बना रहा। ढोल नगाड़ों की थाप व डीजे की धुन पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन होता रहा। पुलिस की मौजूदगी में यह सब होता रहा लेकिन वह मौन साधे रही। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही लिंगदोह कमेटी का गठन हुआ था और लिंगदोह कमेटी ने छात्रसंघ इलेक्शन में जुलूस पर रोक लगा रखी है। नामांकन जुलूस में ढोल-नगाड़े तक नहीं बज सकते।

बाइक व कारों का काफिला

छात्रसंघ चुनाव में एक कैंडीडेट अधिकतम पांच हजार रुपये ही खर्च कर सकता है लेकिन इस रूल का पालन कहीं नहीं हो रहा है। अपनी ताकत का एहसास कराने के लिए कैंडीडेट्स चुनाव लड़ने से पहले ही लाखों रुपये पानी में बहा चुके हैं। कैंडीडेट्स के जुलूस में शामिल सैकड़ों बाइक्स व दर्जनों लग्जरी गाडि़यां इस बात की गवाही दे रही थीं कि यह चुनाव विधानसभा व लोकसभा से कम नहीं है। पुलिस ने नामांकन जुलूस की वीडियोग्राफी तो करायी लेकिन किसी भी कैंडीडेट को जुलूस निकालने से नहीं रोका।

सछास के जुलूस में पुलिस भी

ऑनलाइन नामांकन के दूसरे दिन कैंडीडेट्स व उनके समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की। एक साथ जब दो कैंडीडेट्स का जुलूस आमने-सामने आता तो स्थिति तनावपूर्ण हो जा रही थी। एक पार्टी के समर्थकों ने दूसरे पार्टी के खिलाफ असंसदीय शब्दों का भी प्रयोग किया। सछास कैंडीडेट्स का जब जुलूस आया तो पुलिस ज्यादा एक्टिव हो गई। अन्य दलों के जुलूस को रोक कर समाजवादी छात्रसभा के जुलूस को रास्ता दिलाया और साथ-साथ यूनिवर्सिटी तक गई।

जाम से झेल गई public

काशी विद्यापीठ छात्रसंघ चुनाव के लिए निकाले गये नामांकन जुलूस के चलते आधा शहर जाम की चपेट में रहा। पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन ने चंदुआ सट्टी व इंग्लिशिया लाइन चौराहे के पास बैरीकेडिंग कराई थी जिसके चलते मलदहिया, लहुराबीर, सिगरा आदि एरिया में लोग घंटों जाम में फंसे रहे। जिस एरिया से कैंडीडेट का जुलूस निकल रहा था उस एरिया की टै्रफिक व्यवस्था चरमरा जा रही थी।