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PRAYAGRAJ: करप्शन को लेकर अभी बहुत काम होना है. बड़े स्तर पर भले ही करप्शन पर रोक लगती दिखाई देती है, लेकिन छोटे स्तर पर आज भी करप्शन का बोल-बाला है. दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ओर से एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज में आयोजित मिलेनियल्स स्पीक के दौरान खिलाडि़यों व युवाओं ने अपनी बेबाक राय रखी. इस दौरान उन्होंने बताया कि किस तरह से आज भी छोटे स्तर पर करप्शन अपने पैर पसार रहा है. इस दौरान कुछ लोगों ने इस पर असहमति जताई. लेकिन ज्यादातर लोगों की राय यही थी कि करप्शन को खत्म करने के लिए अभी बहुत काम करने की जरूरत है.

लगातार सामने आ रहा करप्शन

खिलाडि़यों ने कहा कि अभी भी बड़े स्तर पर लगातार करप्शन के मामले सामने आ रहे हैं. हाल में ही बिहार स्टेट में रणजी में सेलेक्शन के नाम पर खिलाडि़यों से लाखों रुपए की मांग की गई. ऐसे में खिलाड़ी आखिर किस तरह से अपना कॅरियर बना सकेंगे? खिलाडि़यों के लिए सरकार की ओर से कोई खास व्यवस्था अभी तक नहीं की गई. अगर खिलाडि़यों के लिए जॉब की बात करें तो खिलाड़ी कई साल लगातार मेहनत करते हैं. इसके बाद भी इंटरनेशनल लेवल पर खेलने का मौका बहुत ही कम खिलाडि़यों को मिलता है. बड़ी संख्या ऐसे खिलाडि़यों की होती है जो स्टेट तक ही पहुंच पाते हैं. ऐसे में इन खिलाडि़यों के लिए अपना फ्यूचर सिक्योर करने के लिए सिर्फ गवर्नमेंट जॉब का ही ऑप्शन बचता है. उस पर भी सरकार की ओर से रोक लगी है. ऐसे में खिलाडि़यों का भविष्य कहां जा रहा है, इसकी चिंता किसी को नहीं है. इससे खिलाडि़यों का मनोबल टूटता है. खिलाड़ी पढ़ाई से ज्यादा मेहनत अपने खेल में करते हैं. ऐसे में खिलाडि़यों को जब जॉब नहीं मिलती तो भविष्य अंधेरे में चला जाता है.

नोटबंदी से आम आदमी हुआ परेशान

नोटबंदी के मुद्दे पर खिलाडि़यों ने कहा कि लोगों को नोटबंदी से जिस फायदे की उम्मीद थी वह नहीं हुआ. इसका सीधा फायदा अमीर लोगों को या फिर बैंक मैनेजरों को हुआ. सरकार की ओर से दावा किया गया था कि नोटबंदी से कश्मीर में होने वाली पत्थरबाजी रुकेगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. नक्सलवाद पर भी नोटबंदी का कोई फायदा नहीं दिखा. कुछ युवा खिलाडि़यों ने कहा कि नोटबंदी से डंप करेंसी मार्केट में आई.

बेरोजगारी पर नहीं लगी लगाम

बेरोजगारी के मुद्दे पर कई युवाओं ने कहा कि पहले से ज्यादा बेरोजगारी बढ़ी है. सरकारी जॉब की बात करें तो लगभग हर विभाग में रिक्त पदों की भरमार है. लेकिन उस पर भर्ती नहीं हो रही है. अगर किसी विभाग में वैकेंसी आई भी तो पहले आवेदन के बाद अभ्यर्थियों को परीक्षा के लिए कई साल इंतजार करना पड़ता है. इसके बाद मामला कोर्ट में चला जाता है. हाल में ही टीजीटी-पीजीटी की परीक्षा हुई. उसके लिए आवेदन 2016 में लिए गए थे. ये मामला कोर्ट में फंसा हुआ है.

गिनती ने बिगाड़ दिया काम

एयर स्ट्राइक मुद्दे पर पूछे जाने पर युवाओं ने कहा कि एयर स्ट्राइक एयरफोर्स ने किया. यहां तक तो सब ठीक रहा, लेकिन जब कुछ लोग एयर स्ट्राइक में मारे गए आतंकवादियों की गिनती बताने लगे, तो बात उठने लगी कि अगर आतंकी मारे गए तो उनकी लाशें दिखाई जाएं. अगर सही मायने में देखा जाए तो सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस मुद्दे पर जमकर राजनीति कर रहे हैं. कोई गिनती बता रहा है तो कोई सुबूत मांग रहा है. ऐसे में सेना का मनोबल गिरना तय है. हकीकत में ऐसे मुद्दों पर किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए, जिससे सेना का मनोबल गिरे. यहां भी कुछ लोगों के मत अलग थे. डिस्कशन के दौरान कुछ युवाओं का मानना था कि जब अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मारा तो वहां किसी ने सबूत नहीं मांगे. फिर भारत में क्यों? इस पर कुछ युवाओं का जवाब था कि वहां पर यह भी नहीं बताया गया कि ओसामा बिन लादेन के साथ कितने आतंकवादी मारे गए थे.

कड़क मुद्दा

खिलाडि़यों के लिए सरकार को अभी और काम करना चाहिए. सरकार खिलाडि़यों से उम्मीद तो करती है, लेकिन खिलाडि़यों के लिए कोई सुविधा नहीं देती है. खिलाड़ी बरसों मेहनत करते हैं. इस चक्कर में उनकी पढ़ाई भी बेहतर ढंग से नहीं हो पाती है. जरूरी नहीं कि वह इंटरनेशन लेवल पर भी खेलें. ऐसे में खिलाड़ी के लिए गवर्नमेंट जॉब की व्यवस्था प्रॉपर ढंग से होनी चाहिए, जिससे वह भी अपने फ्यूचर को लेकर आश्वस्त रह सकें.

मेरी बात

ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद जब अमेरिका में किसी ने सेना से सवाल नहीं किया तो हमारे देश में ऐसा क्यों? हां, यहां सरकार ने इतनी गलती जरूर की कि इसका राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से मारे गए आतंकवादियों की संख्या बताने लगी. इसके बाद सबूत मांगने का दौर शुरू हुआ, जो सेना के मनोबल के लिए कतई ठीक नहीं है. जहां तक नोटबंदी की बात है तो इससे सबसे बड़ा फायदा हुआ कि डंप करेंसी मार्केट में फिर से फ्लो करने लगी.

आलोक मिश्रा

सतमोला

चर्चा के दौरान ईवीएम का विवाद उठा तो कई तरह की बातें सामने आई. कुछ लोगों ने इनके हैक होने की बात की तो कुछ ने कहा कि इसे हैक नहीं किया जा सकता. हां, इस दौरान कुछ लोगों ने ये जरूर कहा कि असली खेल वोटिंग और मतगणना के बीच में किया जाता है. उनके कहने का आशय यह था कि इस दौरान सरकारी मशीनरी की मिलीभगत से ईवीएम ही बदल दी जाती है. हालांकि यह बात बाकियों के गले नहीं उतरी.

कॉलिंग

करप्शन छोटे लेवल पर अभी भी बना हुआ है. करप्शन खत्म करने के लिए अभी बहुत काम करने की जरूरत है. ये तभी संभव है जब महत्वपूर्ण पदों पर ईमानदार और सख्त लोगों की तैनाती की जाए. इससे होगा ये कि वे जब सख्ती करेंगे तो नीचे के अधिकारियों और कर्मचारियों में उनकी दहशत होगी और वे करप्शन से बचने का प्रयास करेंगे.

सुनील प्रजापति

नोटबंदी की बात करें तो उसके जिस फायदे की उम्मीद लोगों को थी, वैसा कुछ हुआ नहीं. आज भी आतंकवाद और नक्सलवाद कायम है. ऐसे में सिर्फ आम आदमी को ही नोटबंदी के दौरान सफर करना पड़ा. इस दौरान जिनके घरों में शादी-विवाह जैसे आयोजन थे, उन्हें तो कितनी मुसीबत झेलनी पड़ी. उन्होंने किस तरह बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों को रिश्वत खिलाकर अपना काम निकाला यह किसी से छुपा नहीं है.

संदीप

पिछले पांच साल की बात करें तो कोई ऐसा बड़ा बदलाव नहीं हुआ है, जिसकी उम्मीद देश के लोगों को थी. नोटबंदी, करप्शन, बेरोजगारी जैसे सभी मुद्दों पर कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला. मजा तब आता जब ये सरकार कुछ ऐसा कर जाती जो भविष्य में आने वाली सरकारों के नजीर बन जाता, लेकिन ये सरकार भी औरों की तरह ही निकली.

मो. वकार खान

बेरोजगारी का स्तर लगातार बढ़ रहा है. गवर्नमेंट जॉब छोडि़ए, प्राइवेट जॉब भी कम होती जा रही हैं. ऐसे में आज का युवा किधर जाए, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है और किसी के पास इसका जवाब नहीं है.

सुनील कुमार दुबे

डिजिटल ट्रांजैक्शन से करप्शन में कुछ कमी आई है. लेकिन अभी इसमें बहुत काम करने की जरूरत है. बड़े स्तर पर अभी भी करप्शन अपने पूरे शबाब पर है.

रविन्दर मिश्रा

एयर स्ट्राइक पर सेना से सवाल करने वालों को समझना चाहिए कि वह राजनीति के चक्कर में देश की सेना का मनोबल गिरा रहे हैं. ऐसे मुद्दे पर किसी को भी राजनीति नहीं करनी चाहिए.

प्रणय गुप्ता

खिलाडि़यों को रोजगार के लिए बहुत काम किया जाना चाहिए. खिलाड़ी कई साल मेहनत करते हैं. ऐसे में जब उन्हें पहले से पता है कि उनका फ्यूचर सिक्योर नहीं है तो वह कैसे अपने खेल पर फोकस करेंगे?

अयाज अहमद

खिलाडि़यों के लिए वैकेंसी पर कुछ समय से रोक लगी है. ऐसे में स्टेट तक खेलने वाले खिलाडि़यों के पास कॅरियर बनाने के लिए कोई दूसरा ऑप्शन नहीं रह गया है.

मो. मदसिर खान