- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से आयोजित राजनी-टी में मिलेनियल्स ने बेबाकी से रखी अपनी बात

- महिला सुरक्षा को लेकर काम करने वाले कैंडिडेट को मिलेनियल्स ने वोट देने की कही बात

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DEHRADUN: लोकसभा चुनाव में ऐसे प्रत्याशी को चुनेंगे जो जीतने के बाद आमजन की बात सुनेंगे. अक्सर नेताजी बनने के बाद कैंडिडेट सीधे वीवीआईपी हो जाते हैं और पहले तक जिन लोगों को हाथ जोड़ बगल में बिठाते थे, बाद में उनकी समस्याएं तक सुनने को राजी नहीं होते हैं. राज्य में महिला सुरक्षा को लेकर काम किए जाने की जरूरत है. महिलाओं के लिए योजना बनाने के बाद वादे न किए जाएं, बल्कि हकीकत में काम भी किया जाए. फ्राइडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से आयोजित राजनी-टी में मिलेनियल्स ने यह बात कही.

स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम्स का हो समाधान
मालसी रोड स्थित गटस एंड ग्लोरी कैफे एंड रेस्ट्रो में आयोजित राजनी-टी में मिलेनियल्स ने लोकल इश्यूज से चर्चा की शुरुआत की. मिलेनियल्स का जोर इस बात पर था कि कैंडिडेट पहले तो वोट मांगने के लिए घर-घर भटकते हैं. हर किसी के सामने हाथ जोड़ते हैं. जानने, न जानने वाले सभी लोगों को प्रत्याशी अपने बगल में बिठाते हैं, जबकि बाद में जानने वाले लोग भी यदि मिलने जाते हैं तो उनको भी नजरअंदाज कर दिया जाता है. यही नहीं बगल में बिठाना तो दूर ये तक नहीं पूछते कि तुम कितनी दूर से आए हो, क्या समस्या है. इसलिए हमारा कैंडिडेट ऐसा होना चाहिए, जो पहले ही नहीं बल्कि सीट जीतने के बाद भी हमको पहचाने. साथ ही मिलेनियल्स ने सिटी बस की मनमानी पर भी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि सिटी बस संचालक सिर्फ मनमर्जी से बस ओवर स्पीड में दौड़ाते ही नहीं, बल्कि मनमर्जी से किराया भी वसूलते हैं. कभी उतनी ही दूरी के पांच तो कभी दस रुपये लेते हैं, जिससे कि स्टूडेंटस को खासी दिक्कत झेलनी पड़ती है. बिजनेस के नाम पर महिलाओं से बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन न तो उन्हें लोन दिया जाता है और न ही किसी अन्य तरह की सुविधाएं. ऐसे में भला झूठे वादे क्यों किए जाते हैं. मिलेनियल्स ने पहाड़ों में सुस्त पड़े हेल्थ सिस्टम को भी सुधारने पर जोर दिया. साथ ही संबंधित विभागों के अफसरों को भी लोगों की कंप्लेन को गंभीरता से लिए जाने जैसे मुद्दों पर जोर दिया. मिलेनियल्स ने कहा कि यह सब तभी संभव होगा, जब हमारा सांसद मजबूत होगा. वह राज्य की स्थिति को सुधारने के साथ ही लोगों की समस्या को भी दूर करेगा. इसलिए इस बार सोच समझकर वोट कास्ट किया जाएगा.

कड़क मुद्दा
महिलाओं के लिए कागजों में योजनाएं बनती हैं और सिमट जाती हैं. मैं एक बिजनेस वूमेन हूं. मुझको खुद अपने बिजनेस को खड़ा करने में जरा भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है. ये सब बातें सिर्फ हवा-हवाई हैं. ऐसे में मेरा साथ सिर्फ और सिर्फ ऐसे प्रत्याशी को मिलेगा जो महिलाओं के लिए बनाई जाने वाली योजनाओं को अमल में लाएगा.

किरन भंडारी, बिजनेस वूमेन

मेरी बात
सरकारी योजनाएं तो खूब बन जाती हैं, लेकिन इन सभी पर अमल भी होना चाहिए. खासकर यदि स्टूडेंटस की कंप्लेन है और उन्हें बस में प्रॉब्लम हो रही है तो परिवहन विभाग को इस ओर गंभीरता दिखानी चाहिए. हमें ऐसा सांसद चाहिए जो कंप्लेंस को लेकर गंभीरता दिखाए और समाधान करवाए.

- अनूप भंडारी, मेरी बात

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ
इस दौरान एक स्टूडेंट बोल पड़ा कि यूपी में पानी की बेहद दिक्कत है. खेती करने वालों के लिए नलकूप नहीं लगाए जाते हैं. मैं कई बार वहां गया तो मैंने देखा किसानों के पास भी सुविधाएं नहीं है. ऐसे में वहां बैठे दूसरे स्टूडेंटस बोल पड़े कि भाई यहां उत्तराखंड की बात हो रही है तो हमें अपने स्टेट का कैंडिडेट चाहिए तो ऐसे में हम यहीं की बात करें तो बेहतर होगा. ये सुनकर वो स्टूडेंट चुप हो गया और सभी की बात समझ गया.

आज के समय में कॉलेजेज में भारी-भरकम फीस भरनी पड़ती हैं. ऐसे में गरीब स्टूडेंटस भला कैसे पढ़ाई करें. यही नहीं इस ओर कोई ऐसा एक्ट भी नहीं है कि ऐसे कॉलेजेज पर सीधे-सीधे कार्रवाई की जा सके. शाहरूख, स्टूडेंट

पहाड़ों में सुविधाएं नहीं है. वहां के बच्चे यदि यहां कमरा लेकर रहते हैं तो भी कई तरह की दिक्कतें होती हैं. कॉलेज के एकदम पास में कमरा नहीं मिलता. दूर से यदि बस पकड़ते हैं तो किराया मनमाना वसूला जाता है, जो कि गलत है.

मौ. नदीम, स्टूडेंट

आज के समय में एक इंसान दूसरे इंसान की मदद करने से कतराता है. इसके पीछे कारण हमारा सिस्टम ही है. यदि रोड पर कोई एक्सीडेंट हो जाता है तो मदद करने वाले से ही पहले दस सवाल पूछ लिए जाते हैं. ऐसे में हर कोई मदद करने से डरता है, ऐसी व्यवस्था खत्म होनी चाहिए.

आबिद अली, स्टूडेंट

सिटी बसों के लिए भले ही संबंधित विभाग ने किराया निर्धारित किया हुआ हो, लेकिन वह अपनी मनमर्जी से किराया वसूलते हैं. ऐसे बस संचालकों पर शिकंजा कसना चाहिए. हमारा वोट ऐसे प्रत्याशी को होगा जो सिटी बसों की मनमानी के खिलाफ अभियान चलाने की बात करेगा.

मुकेश, स्टूडेंट

हमें ऐसा कैंडिडेट चाहिए जो न सिर्फ पहले हमारी बात सुने, बल्कि बाद में भी हमें एक आम आदमी की तरह मिले, न कि वीवीआईपी रूबाब दिखाए. जीतने के बाद भी जो प्रत्याशी जमीन पर रहने की बात करेगा, हमारा वोट उसको ही जाएगा.

हरवीर, स्टूडेंट

बैंक से मिलने वाले लोन को आसान किया जाए. ये आसान तो है लेकिन सिर्फ बातों में, जबकि एक आम आदमी वहां जाता है तो उसके सामने कई तरह की फार्मेलिटीज रख दी जाती है. ऐसे में वह बिना लोन कराए ही वापस लौट जाता है. इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

राजेंद्र, स्टूडेंट

मेरा वोट ऐसे कैंडिडेट को जाएगा जो कि मेल-फीमेल की भावना से परे हो. अक्सर पहाड़ में ऐसे भेदभाव देखे जाते हैं. जहां लड़कियां तो बचपन से ही घास लेने जंगल जाती हैं और लड़के स्कूल जाते हैं. इस भेदभाव की भावना को दूर करने वाले को ही मेरा वोट जाएगा.

अरविंद, स्टूडेंट

रात के समय में महिलाओं की सिक्योरिटी की जो बात करेगा, मेरा वोट उसको ही जाएगा, क्योंकि भले ही हम महिलाओं को उत्तराखंड में सेफ मानते हों लेकिन ये हम भी जानते हैं कि रात क्या, जब वो दिन में भी निकलती हैं तो फब्तियां कसने वाले, छेड़खानी करने वाले पीछे नहीं होते. राजीव स्टूडेंट

एजुकेशन सिस्टम को सुधारे जाने की जरूरत है. आज के समय में अधिकतर कॉलेज भ्रष्ट हैं, जिनकी वजह से स्टूडेंटस के पैरेंट्स की जेब कट रही है. अलग-अलग तरह की फीस लगाकर आए दिन पैसे मंगवाए जाते हैं, इस सिस्टम को सही करने वाले प्रत्याशी को वोट दिया जाएगा.

राजू, स्टूडेंट

राज्य का गठन हुए 18 साल हो गए हैं, लेकिन विकास बेहद धीमा है. खासकर यूथ के लिए कोई रोजगार नहीं है. यही वजह है कि यूथ अपने बिजनेस की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन इसे शुरू करना भी कोई आसान काम नहीं है. इसमें भी किसी तरह की कोई मदद नहीं मिलती है.

विशांक खरोला, बिजनेस मैन

कोई भी योजना हो, उसका लाभ आमजन को मिले. इस ओर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है. मेरा वोट ऐसे कैंडिडेट को जाएगा जो क्षेत्रीय और जाति से उठकर वोट की बात करेगा. जो विकास के आधार पर वोट की बात करेगा और सिर्फ बात ही नहीं उसको पूरा करने के लिए प्रयासरत रहने की भी बात कहेगा.

लव जायसवाल, स्टूडेंट