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PRAYAGRAJ :
इस चर्चा में शामिल युवाओं ने कहा कि चुनावी माहौल में नेता मुद्दों से ध्यान भटकाकर शब्द बाण छोड़ रहे हैं. इससे समाज में केवल वैमनस्य की भावना फैलती है. जबकि इससे आम लोगों का कुछ भी लेना-देना नहीं होता. युवाओं ने कहा कि यह समय गांव-गांव और शहर-शहर जाकर नेताओं द्वारा अपनी बात रखने का है. लेकिन वे ज्यादातर मंच पर भाषण तक ही सीमित नजर आ रहे हैं. युवाओं ने कहा कि बहुत से ऐसे सवाल हैं जो हम नेताओं से पूछना चाहते हैं. लेकिन बीते कुछ चुनावों से यह देखने में आ रहा है कि नेता जी अपने क्षेत्र के हर एक आदमी या उनके घर तक नहीं पहुंच रहे हैं.

जो सवाल सुनेगा, उसे करेंगे वोट
बातचीत में शामिल युवाओं ने कहा कि हम ऐसे नेताओं को ही अपना वोट देंगे जो हम तक पहुंचेंगे और हमारे सवालों को सुनेंगे. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए और चुनावी मंच से बड़ी-बड़ी बातें करने वालों को हम वोट से अपना जवाब देंगे. युवाओं ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि बीते दो माह में देश में कई विमान हादसे हुए हैं जोकि राष्ट्र और लोगों की सुरक्षा की दृष्टि से चिंता वाली बात है. उन्होंने कहा कि पहले जब कोई विमान हादसा होता था तो उसको लेकर बहुत ज्यादा मंथन किया जाता था. लेकिन इस बार युद्ध के उन्माद में और चुनावी शोर के बीच विमान हादसों की गूंज भी दबकर रह गई है.

कड़क मुद्दा
युवाओं ने कहा कि ऐसे वक्त में जब देश में राष्ट्र की सुरक्षा को लेकर कई सारी बातें की जा रही हैं तब इन हादसों को भी गंभीरता से लिए जाने की जरुरत है. लोगों को सवाल पूछने चाहिए कि आखिर वे कौन से कारण हैं कि विमान हादसों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. उन्होंने कहा कि युद्ध में इस्तेमाल होने वाले विमानों का दुर्घनाग्रस्त होना तो और भी चिंता वाली बात है. क्योंकि, इसमें सीधे तौर पर हमारे जाबांज पायलटों की जान दांव पर लगी होती है. उन्होंने हाल ही में पाकिस्तान की सीमा में गिरे अभिनंदन का उदाहरण देकर अपनी बात को रखा.

सेल्फ फाइनेंस के नाम पर मची है लूट
आज स्किल डेवलपमेंट के नाम पर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस में सेल्फ फाइनेंस कोर्स लगातार लांच किए जा रहे हैं. इसके दो बड़े नुकसान देखने को मिल रहे हैं. एक तो ज्यादातर इंस्टीट्यूशंस में सेल्फ फाइनेंस की भारी भरकम फीस के चलते गरीब और मध्यम तबके के छात्र उसमें दाखिला नहीं ले पाते. दूसरा जो छात्र दाखिला लेकर कुछ सीखने की उम्मीद रखते हैं. उन्हें प्रैक्टिकल नॉलेज में स्ट्रांग नहीं बनाया जा रहा. ऐसे संस्थान केवल संसाधनों की लूट को अंजाम दे रहे हैं. नतीजा यह निकलता है कि ऐसे संस्थानों से डिग्री या डिप्लोमा लेने वालों को कोई दस हजार की नौकरी भी देने को तैयार नहीं है. सरकार ने इस स्थिति में बदलाव के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए.

मेरी बात
मेरे विचार में प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है. क्योंकि, सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग व्यापक स्तर पर हो रहा है. संस्थानों को सरकारी राजस्व का मुंह देखे बिना खुद कमाओ और खुद का विकास करो की तर्ज पर आगे ले जाने की जरूरत है. इसके साथ ही उन्हें ऐसी भी व्यवस्था करनी होगी कि वह जो भी कमाएं, उसका एक बड़ा हिस्सा उस तबके पर खर्च करें जोकि गरीब और अति पिछड़े वर्ग से आता है. जैसा कि सरकारी संस्थाओं द्वारा वर्तमान में किया जा रहा है.
- जितेन्द्र कुमार

 

 

जनसंख्या नियंत्रण पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. सरकार की भी इस दिशा में कोई सोच नहीं रही. जनसंख्या विस्फोट का ही कारण है कि आज जॉब क्राइसिस भी उस लेवल पर दिख रही है. आज हम सबसे बड़े युवाओं वाले देश होने का दंभ तो भरते हैं. लेकिन जब युवा को रोजगार ही नहीं मिलेगा तो क्या फायदा इन बातों का.
- शुभम सिंह

ऐसे समय में जब चुनाव आचार संहिता लागू की जा चुकी है तो चुनाव आयोग को चाहिए कि वह इसका सख्ती से अनुपालन करवाए. आयोग की कुछ सख्त कार्रवाई से ही सभी सतर्क हो जाएंगे. इससे देश और समाज में एक स्वस्थ्य लोकतांत्रिक चुनाव का माहौल बनेगा.
- सुमित विश्वकर्मा

एजुकेशन सिस्टम में चेंज लाने की जरूरत है. हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जो रोजगारपरक हो. यह ट्रेंड ही गलत है कि हम 15 से 17 साल पढ़ाई करने के बाद जॉब के बारे में सोचें. रही बात प्राइमरी एजुकेशन की तो ड्रॉप आउट बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाने के लिए उनके पैरेंट्स को अवेयर किए जाने की जरुरत है.
- निलेश अग्रहरि

देश में सारी समस्याओं की जड़ में करप्शन है. जब तक इसे समाप्त नहीं किया जाएगा. कुछ भी नहीं किया जा सकता. कोई भी जगह ऐसी नहीं है, जहां बिना लेनदेन के कोई काम ईमानदारी से किया जा सके. सरकार कोई भी हो, उसे यह सोचना होगा कि करप्शन से कैसे लड़ा जाए ?
- अजय वर्मा

व्यावसायिक शिक्षा के बिना अब कुछ भी हो पाना मुश्किल ही दिख रहा है. बेरोजगारी से पार पाना अब इतना आसान नहीं है. केवल सरकारें बदल जाएंगी और हम यह सोच लें कि बेरोजगारी दूर हो जाएगी तो यह संभव नहीं दिखता है. इसके लिए छोटे और बड़े सभी तरह के समग्र प्रयास की जरूरत है.
- नीरज कुमार

मेरे विचार में शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा देना बिल्कुल सही नहीं है. क्योंकि इससे सीधे तौर पर पहली चोट गरीब तबके पर होगी. सरकारी शिक्षा प्रदान करना बंद करने की बजाए जरूरत है कि इसमें व्यापक सुधार की दिशा में काम किया जाए. इसके साथ ही निजी क्षेत्रों में तेजी से विकास के रास्ते अलग से खोजे जाएं.
- विरेन्द्र सिंह चौहान

हमें ऐसी शिक्षा की जरूरत है जो नैतिकता पर आधारित हो. मतलब कि शिक्षा ऐसी हो जिसमें नैतिकता के साथ ही आधुनिकरण के तत्व भी शामिल हों. इसके लिए प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति का व्यापक अध्ययन किए जाने की जरूरत है. वर्तमान शिक्षा से अब हमें बहुत कुछ हासिल नहीं हो पा रहा है.
- विभोर सिंह

स्त्री शिक्षा एवं सुरक्षा की बात तो कोई कर ही नहीं रहा है. सरकार बताए कि वह महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठा पाई है ? अपराध का ग्राफ दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. चुनाव में यह भी एक बड़ा मुद्दा है. सिर्फ सुरक्षा के दावों से काम नहीं चलने वाला है.
- यशराज पांडेय

शिक्षा के आधुनिकरण के नाम पर हम लगातार वेस्टर्न मॉडल को अपनाते जा रहे हैं. इससे और ज्यादा नुकसान हो रहा है. कोई भी देश किसी की नकल करके कुछ हासिल नहीं कर सका है. हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति में ही इतनी ताकत है कि हमें किसी की नकल करने की जरुरत ही नहीं है.
- राजभान सिंह