-मिनी सदन में लगाये गये जल निगम विरोधी नारे, अमृत योजना का प्रस्ताव पास

- जल निगम की कार्यप्रणाली पर पार्षदों ने उठाये सवाल, कहा नहीं कराएंगे भ्रष्टाचारियों से काम

-जेएनएनयूआरएम के तहत कराये गये कार्यो की जांच कराने की मांग

VARANASI

पिछले आठ साल से शहर में सीवर और वाटर सप्लाई के लिए काम चल रहा है लेकिन एक भी योजना जन उपयोगी साबित नहीं हो सकी। जेएनएनयूआरएम के तहत शुरू हुई योजना अब अमृत योजना के तहत चल रही है। इसका काम कार्यदायी संस्था जल निगम कर रही है लेकिन इन योजनाओं के लिए मिनी सदन ने जल निगम को किनारे कर दिया है। जल निगम की लापरवाही और धांधली उनके गले की फांस बनी है। सदन ने अमृत (अटल मिशन फॉर रिजुविनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन) में जल निगम को कार्यदायी संस्था न बनाने के निर्णय के साथ प्रस्ताव पास कर दिया। जेएनएनयूआरएम के तहत जल निगम की ओर से कराये गये कार्यो की जांच कराने की मांग की।

नगर निगम की मिनी सदन शुक्रवार की सुबह नौ बजे शुरू हुई तो जल निगम उनके निशाने पर रहा। गुरुवार को बैठक स्थगित होने से पहले अमृत योजना का प्रस्ताव रखा गया था। प्रस्ताव आते ही सदन अध्यक्ष से लेकर सभी पार्षदों ने योजना के लिए शासन से तय की गयी संस्था जल निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाया था। अमृत योजना के लिए बिना सदन की अनुमति के कैसे कार्यदायी संस्था तय कर दी गयी। शुक्रवार की बैठक में फैसला लिया गया कि जल निगम से किसी भी हाल में अमृत योजना का काम नही कराया जाएगा।

आठ साल में शहर को बना दिया नर्क

जेएनएनयूआरएम की संशोधित योजना अमृत में पांच पॉइंट्स पर काम होना है। इनमें वाटर सप्लाई, सीवरेज और सेप्टेज मैनेजमेंट, स्टार्म वाटर ड्रेन, अर्बन ट्रांसपोर्ट, पार्किंग, ग्रीन स्पेस और पार्को का रेनोवेशन किया जाना है। ये योजना आठ साल से चल रही है। इनमें से वाटर सप्लाई, सीवरेज के लिए जल निगम काम कर रही है। आठ साल से चल रहा काम अब तक किसी अंजाम तक नहीं पहुंच सका है। न तो लोगों को शुद्ध पानी मिल रहा है, न सीवर की समस्या दुरुस्त हो पायी, ओवरहेड वाटर टैंक अभी तक जन उपयोगी नहीं हो पायी। इन मुद्दों को लेकर सदन ने जल निगम पर घोर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया।

भ्रष्टाचार का गढ़ जल निगम

सदन ने एक सुर में जल निगम को भ्रष्टाचार का अड्डा बताये हुए उससे किसी भी हाल में कोई काम न कराये जाने का निर्णय लिया। इस दौरान पार्षदों ने जल निगम मुर्दाबाद के नारे लगाये और अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचकर नारेबाजी की। साथ ही जल निगम के अधिकारियों को जमकर खरी खोटी सुनाई। सदन में पार्षदों ने सवाल उठाया कि जल निगम पिछले आठ साल से जो काम करा रहा है वो अभी भी अधूरी हैं। जिन योजनाओं के पूरा होने का दावा किया जा रहा है वह जन उपयोगी नहीं हैं।

दावा 90 परसेंट का, जन उपयोगी एक भी नहीं

पिछले आठ साल से करीब एक हजार करोड़ रुपये सीवेज, जलापूर्ति और ड्रेनेज के हुए कार्यो में से अधिकांश अभी तक जनोपयोगी नहीं हुई है। ओवरहेड टैंक को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में जल निगम, पेयजल के जीएम डीपी सिंह ने बताया कि फेज वन का काम 90 प्रतिशत पूरा हो गया है। काम ख्008 में शुरू हुआ और ख्0क्फ् में पूरा करना था। फेज वन में क्क् ओवरहेड टैंक जनोपयोगी बना लिये गये है। बाकी की टेस्टिंग की जा रही है। इस पर सदन ने इस दावे को झूठा करार देते हुए विरोध जताया और कहा कि ये जनता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।