गंगा का ले बहाना, आजम ने साधा मोदी पर निशाना

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ प्रदेश के नगर विकास मंत्री और सपा के कद्दावर नेता आजम खां बुधवार को संतों की एक सभा में गंगा पर प्रदेश सरकार का पक्ष रखने बनारस पहुंचे। अस्सी घाट पर आयोजित इस संत सभा में उन्होंने गंगा पर कम और मोदी पर जमकर चर्चा की। खास ये रहा था कि उन्होंने मोदी का नाम लेने की बजाय बादशाह शब्द का प्रयोग किया। ट्रेन से बनारस पहुंचे आजम खां प्रोग्राम में करीब डेढ़ घंटे विलम्ब से पहुंचे। अस्सी घाट पहुंचने से पहले वो केदारघाट स्थित श्रीविद्या मठ पहुंचे। वहां गंगा आंदोलन के प्रणेता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात की।

बंद कमरे में हुई मीटिंग

मठ में ही आजम खां के स्वागत और शुरूआती बातचीत के बाद बंद कमरे में एक मीटिंग भी हुई। इस मीटिंग में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, सतुआ बाबा मठ के संतोष दास, रामजन्म भूमि मंदिर निर्माण न्यास परिषद के अध्यक्ष स्वामी जन्मेजय शरण दास मुख्य रूप से मौजूद रहे। करीब आधे घंटे की इस मीटिंग में क्या कुछ हुआ, ये किसी ने जाहिर नहीं होने दिया। इस मीटिंग को लेकर अटकलें ही लगाई जाती रहीं।

बादशाह के लिए वजीर के बोल

- लोग हम मुसलमानों को गाय को दुश्मन कहते हैं जबकि ढोंगी देशभक्त के राज में गाय के गोश्त का निर्यात ढाई गुना बढ़ा है।

- टीवी चैनलों की बदौलत की बादशाह की दुकान चल रही है।

- बादशाह ने लोगों को सेल्फी लेना सीखा दिया और अब यही सेल्फी लोगों के जान की दुश्मन बन रही है।

- बादशाह ने बिना बनाए पाकिस्तान जाकर दुश्मन की मां का पैर छुआ, उसकी का नतीजा है जो अब कश्मीर ने नजर आ रहा है।

-------------------

'संतों के घाव पर मरहम नहीं, गंगा जल लगाने आया हूं'

- गंगा की पुकार कार्यक्रम में आजम खां ने लाठीचार्ज के लिए मांगी माफी

- कहा, गंगा की सफाई के लिए अभियान का हिस्सा बनने आया हूं

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

अस्सी घाट पर संतों की ओर से रविवार को आयोजित गंगा की पुकार कार्यक्रम में प्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खां ने कहा कि पिछले साल गंगा आंदोलन के तहत आयोजित रैली में संतों पर हुए लाठी चार्ज का मुझे गहरा दुख है। मैं आज संतों के घाव पर मरहम नहीं बल्कि गंगा जल लगाने आया हूं। मेरा मानना है कि कानून व्यवस्था बनाने के लिए ऐसा किया गया होगा। फिर भी यदि कोई समस्या हुई है तो उसका रास्ता भी निकलेगा।

बुराइयों की सफाई जरूरी

प्रोग्राम में आजम खां को ये सफाई कार्यक्रम संयोजक एवं गंगा आंदोलन के प्रणेता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बयान के बाद देनी पड़ी। दरअसल स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ही गंगा आंदोलन के कार्यक्रम के दौरान बर्बर लाठीचार्ज की ओर आजम खां का ध्यान दिलाया। अपने भाषण में आजम खां ने ये भी कहा कि सिर्फ गंगा की ही नहीं, तमाम बुराइयों की सफाई होनी चाहिए। इसलिए मैं गंगा की पुकार अभियान का हिस्सा बनने आया हूं।

साबित करो और जान ले लो

उन्होंने कहा कि मेरे दामन पर मुजफ्फरनगर दंगों का दाग लगाने की साजिश की गई। मैं तो साफ कहता हूं कि यदि कोई ये साबित करे तो आकर मेरी जान ले ले। नहीं तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। लोग ये भी कहते हैं कि आजम को पाकिस्तान भेज दो। लेकिन मैं पूछता हूं मैं क्यों जाऊं? ये मुल्क मेरा भी है।

कई जिलों से पहुंचे संत

सभी में श्री हरि चैतन्य महाराज ने कहा कि गंगा में गंगा जल नहीं आ रहा है, गंगा उत्तराखंड में कैद हो गई हैं। जन्मेजय शरण महाराज ने कहा कि गंगा यही पुकार रही है कि उसे निर्मल और अविरल करें। संतोष दास महाराज ने कहा कि काशी हमेशा एकता का सन्देश देती है। संत और मंत्री दोनों समाज के लिए होते हैं। गंगा की पुकार कार्यक्रम में आजम खां के अलावा वाराणसी सहित अयोध्या, कन्नौज, कानपुर आदि शहरों से लोग और संत जुटे थे। गंगा की निर्मलता और अविरलता का उद्देश्य क्यों पूरा नहीं हो पा रहा है, इसी मुद्दे पर विमर्श करने के लिए जुटे संतों ने अपनी बातें रखीं।

माला पहनने से किया इंकार

आजम सभा से पहले श्री विद्या मठ पहुंचे तो स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उनका स्वागत बुके और अंगवस्त्रम से किया। स्वामी जी ने जब उन्हें रुद्राक्ष की माला पहनानी चाही तो आजम ने उनका हाथ रोका और माला अपने हाथों में ले ली। कहा, मैं कोई संत नहीं हूं जो माला गले में पहन लूं। मैं तो फकीर हूं और फकीर को माला हाथों में देनी चाहिए ताकि वो तस्बीह कर सके।

खाया भण्डारे का खाना

आजम ने मठ में पहुंचने के बाद वहां नियमित रूप से चलने वाले भण्डारे में भी शामिल हुए और दोपहर का भोजन वहीं किया। संतों के साथ पंगत में बैठ कर रोटी, आलू टमाटर की सब्जी, दाल चावल और पापड़ संग चूरन प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। इसके बाद आजम सीधे अस्सी पर आयोजित गंगा की पुकार कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे। मंच पर पहुंचने से पहले उन्होंने गंगा जल से वजू भी किया।