-पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत जिला अस्पताल में संचालित हो रहा है डायलिसिस यूनिट

-पहले लोगों को इलाज के लिए ढीली करनी पड़ती थी जेब

-बीआरडी में अवेलबल है फैसिलिटी, लेकिन रोजाना सिर्फ हो पाते हैं सिर्फ 10-15 केस

GORAKHPUR: केंद्र सरकार के बजट में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर जोर दिया गया है। रेलवे हो या दूसरा सेक्टर सभी जगहों पर पीपीपी मॉडल लागू किया जाएगा। इससे गवर्नमेंट का बोझ कम होगा, जबकि लोगों को मिलने वाली सुविधाएं और बेहतर होंगी। गोरखपुर की बात की जाए तो यहां अभी रेलवे में तो कोई प्रोजेक्ट पीपीपी के तहत नहीं शुरू हो सका है। मगर हेल्थ सेक्टर में पीपीपी मॉडल सक्सेजफुली वर्क कर रहा है। इससे पेशेंट्स को काफी फायदा और राहत भी मिली है।

रोजाना हो रही है 30 डायलिसिस

पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत जिला अस्पताल में पिछले साल डायलिसिस यूनिट शुरू हुई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसका इनॉगरेशन किया था। इसे संचालित करने के लिए वाराणसी की हेरिटेज इंडिया फर्म को जिम्मेदारी सौंपी गई है। फर्म के आ जाने के बाद से रोजाना करीब 30 लोगों की डायलिसिस हो रही है, जिससे एक तरफ जहां लोगों को बेहतर ऑप्शन मिलने लगा है। वहीं, उनकी जेब भी ढीली होने से बच रही है। इसके लिए उन्हें कोई पैसा नहीं देना पड़ रहा है।

प्राइवेट में जेब होती है ढीली

पीपीपी मॉडल में गवर्नमेंट का इंटरफेयरेंस रहता है, जिससे लोगों को ज्यादा मुसीबत नहीं झेलनी पड़ती है और उन्हें एक जेनविन रेट में इलाज मिल जाता है। जिला अस्पताल की बात करें तो यहां मरीजों को इलाज के लिए पैसे नहीं खर्च करने पड़ रहे हैं। जबकि, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गरीब और बीपीएल कैटेगरी में आने वाले मरीजों के लिए जहां फ्री सर्विस है, तो वहीं दूसरी ओर नॉर्मल दूसरे लोगों को भी महज 99 रुपए ही देने पड़ते हैं। जबकि, प्राइवेट की बात करें तो यहां लोगों को एक डायलिसिस के लिए दो से तीन हजार रुपए अदा करने पड़ जाते हैं।

रोजाना करीब 10 से 15 लोगों की डायलिसिस होती है, जिसके लिए गरीब और बीपीएल कैटेगरी में आने वाले लोगों को कोई पैसा नहीं देना होता है। जनरल कैटेगरी के लिए फीस महज 99 रुपए है।

-डॉ। माहिम मित्तल, प्रभारी, डायलिसिस यूनिट मेडिकल कॉलेज

पीपीपी मॉडल के तहत सिर्फ डायलिसिस यूनिट रन कर रही है, जहां रोजाना करीब 30 लोगों की डायलिसिस की जा रही है। इसका जिम्मा वाराणसी की फर्म हेरिटेज इंडिया को दिया गया है।

- डॉ। एसके तिवारी, सीएमओ