RANCHI : सरायकेला खरसावां जिले में मॉब लिंचिंग की हुई घटना ने तूल पकड़ लिया है। इस घटना में मो। तबरेज अंसारी की हुई मौत के विरोध में बुधवार को विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के कार्यकत्र्ताओं ने राजभवन के समक्ष धरना दिया। धरने पर बैठे नेताओं ने मामले की निष्पक्ष जांच, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई व ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के साथ ही मृतक के आश्रित को सरकारी नौकरी और मुआवजा देने की मांग की।

सरकार पर लगाए आरोप

धरना में शामिल कांग्रेस के सीनियर लीडर व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि एनडीए की सरकार में झारखंड में सबसे पहले दो चरवाहों को भीड़ ने मार डाला, फिर सरायकेला खरसावां जिले में कई लोगों की जान गयी। इसके बाद रामगढ़ में मॉब लिंचिंग की घटना हुई और जब आरोपी जेल से बाहर निकल कर आया तो तत्कालीन केंद्रीय राज्यमंत्री ने माला पहनाकर उसका स्वागत किया। बाद में गोड्डा सांसद ने मॉब लिंचिंग की इस घटना में शामिल आरोपियों के लिए कानूनी सहायता उपलब्ध कराने की घोषणा की। अब दूसरा दौर आया है, इस न्यू इंडिया के दौर में जबरन बल प्रयोग कर धार्मिक नारा लगाने के लिए विवश किया जा रहा है और नहीं लगाने पर उसकी हत्या कर दी जाती है। उन्होंने बताया कि झारखंड में मॉब लिंचिंग की घटनाओं के बाद उच्चतम न्यायालय ने भी इस पर रोक लगाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को कानून बनाने का निर्देश दिया। इसके बावजूद झारखंड में पिछले तीन-चार वर्षो में भीड़ द्वारा 18 लोगों की हत्या कर दी गयी है। इस मौके पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की वरिष्ठ नेत्री महुआ मांजी ने कहा कि हर ओर पानी-बिजली-नाली और कचरा को लेकर लोग परेशान हैं। विकास का कार्य ठप है, ऐसी स्थिति में लोगों का ध्यान विकास के मुद्दे से हटाने के लिए मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। झामुमो के अंतु तिर्की ने कहा कि झारखंड में पिछले चार-पांच सालों में सरकार के संरक्षण से इस तरह की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।