टेलीकॉम सेक्टर ने बताई पैसे की वैल्यू

मौजूदा वक्त में पैसों को चलन लगभग खत्म हो चुका है, लेकिन टेलीकॉम सेक्टर ने दोबारा से पैसे को मार्केट में खड़ा कर दिया है। कंपनीज ने एक-एक पैसे को इतना वैल्यूएबल बना दिया है कि लोगों को इसकी कीमत समझ में आ गई है। जबसे मोबाइल कंपनीज ने टैरिफ लांच किए हैं तबसे इसकी वैल्यू पहले से कई गुना ज्यादा बढ़ गई है। इसे पैसे का ही दम कहेंगे कि हम देश के किसी भी कोने में हों और  देश के किसी कोने में बसे अपनों से बात करना चाहते हों तो चंद पैसों में भी उनसे बातें कर सकते हैं।

टैरिफ ने भरा पैसे में दम

मोबाइल सेक्टर में जबर्दस्त कॉम्प्टीशन के चलते पैसे की वैल्यू और भी ज्यादा बढ़ गई है। 2012 के बाद से टेलीकॉम कंपनीज ने एक और दो पैसे को दोबारा मार्केट में वही जगह दिला दी है जो उसकी 20 साल पहले थी। उन्होंने कॉम्पटीशन में ही सही, लेकिन ऐसे टैरिफ मार्केट में अवेलबल करा दिए हैं जिनसे कि सिर्फ इंटर सर्कल में ही नहीं, पूरे देश भर में एक पैसे पर सेकेंड के रेट से बात कर सकते हैं। टेलीकॉम सेक्टर में आए दिन नई-नई कंपनीज उतर रही हैं। पहले कंपनीज की पल्स 50 पैसे पर मिनट थी। मार्केट में कॉम्पटीशन और कस्टमर्स को रिझाने के लिए एक पैसा पर सेकंड की पल्स शुरू की गई। इससे पहले एक सेकेंड से लेकर एक मिनट के अंदर जितनी भी बात की जाए उसका चार्ज पूरा लगता था, लेकिन जब कॉम्पटीशन और ज्यादा बढ़ गया तो कस्टमर्स को उतना ही चार्ज देना पड़ रहा है, जितनी सेकेंड उन्होंने बात की है।

अब चंद पैसों में हो जाती है कॉल

बीएसएनएल, वोडाफोन, आइडिया, रिलायंस और टाटा सहित सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स ने एक पैसे पर सेकेंड की पल्स के हिसाब से टैरिफ निकाल रखे हैं, हालांकि इसके रेट रिवाइज कर अब इसे 1.2 पैसे पर सेकेंड कर दिया गया है। फिर भी मिला-जुलाकर पर सेकेंड कॉस्ट पैसों में ही चार्ज की जा रही है। वहीं बीएसएनएल के 44 रुपए के टैरिफ पर 1.2 पैसे पर 2 सेकेंड चार्ज किया जाता है। इसके अलावा कई कंपनीज ने तो रोमिंग में भी एक पैसे पल्स की सुविधा कस्टमर्स को दे रखी है। साथ ही एसएमएस में एक पैसे पर एसएमएस का चलन इन दिनों जोरों पर है।

खत्म हुआ सिक्कों का चलन

आजादी के दस साल बाद गवर्नमेंट ने 1957 में पैसे का चलन शुरू किया था। इसी दौरान 'आनाÓ की शुरुआत की गई। इस दौरान एक रुपए को 16 आने में डिवाइड कर दिया गया। 1964 में नए पैसे के रूप में एक रुपए को एक, दो, पांच, 10, 25, और 50 पैसे में डिवाइड करके मार्केट में उतारा गया था। इस बीच 20 पैसे और तीन पैसा का सिक्का भी लांच किया गया था, लेकिन इसने 1970 में ही दम तोड़ दिया। बाद में धीरे-धीरे पैसे को रिप्लेस करके एक रुपए के क्वॉइन की शुरुआत की गई। 1970 में दो रुपए का पहला सिक्का मार्केट में उतारा गया। इसी बीच 1980 के बाद एक पैसे से लेकर पांच पैसे तक का मार्केट से चलन बंद कर दिया गया।