कानपुर। मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले सामान्य वर्ग यानि सवर्ण जाति के 'आर्थिक रूप से कमजोर' वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर मुहर लगा दी है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट की मीटिंग के बाद ये जानकारी दी है।

सहयोगी दलों ने फैसले को बताया मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक
सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए, भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने को इसे "ऐतिहासिक" कदम और "मास्टरस्ट्रोक" करार दिया है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि उच्च जातियों को आरक्षण सामाजिक न्याय के दायरे को व्यापक बनाने वाला बड़ा कदम है। उन्होंने कहा, "आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए नौकरी कोटा बढ़ाने के ऐतिहासिक निर्णय के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले ने सामाजिक परिवर्तन के इतिहास में एक नया अध्याय खोला है।

फैसले से खत्म होगा जातियों के बीच का अंतर – अठावले
सरकार के इस फैसले के लिए मोदी की सराहना करते हुए, केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने इस फैसले को एक मास्टरस्ट्रोक बताया जो जातियों के बीच के अंतर मतभेद को खत्म कर सकता है। "अठावले, जो महाराष्ट्र के एक दलित नेता हैं, ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर दलितों और सवर्णों के बीच बहुत संघर्ष चलता रहा है। मेरी मांग उच्च जाति के गरीबों के लिए 25 प्रतिशत आरक्षण की रही है, ऐसे में 10 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत एक अच्छी पहल है। यह एक मास्टरस्ट्रोक है और मोदी एक मजबूत बल्लेबाज हैं।

कौन होगा आरक्षण का पात्र
एक अन्य भाजपा सहयोगी और लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने भी इस फैसले का स्वागत किया और इसे ऐतिहासिक बताया। भाजपा नेता और सामाजिक न्याय राज्य मंत्री विजय सांपला ने कहा कि यह आरक्षण अन्य कैटेगरी के आरक्षण पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा। उनके मुताबिक प्रस्तावित कानून आर्थिक रूप से कमजोर उन सवर्ण वर्गों की मदद करेगा जिनकी

1- सालाना कमाई 8 लाख रुपये से कम है।

2- जिनके पास 5 एकड़ से कम खेतिहर जमीन हो।

3- उनके पास 1000 स्क्वायर फीट से कम का घर हो।

4- निगम की 109 गज से कम अधिसूचित जमीन हो।

5- 209 गज से कम की निगम की गैर-अधिसूचित जमीन हो और जो लोग अभी तक किसी भी तरह के आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते हैं।

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