आडवाणी ने पर्चा भरने के बाद मोदी को योग्य प्रशासक बताते हुए कहा, "मैं निश्चित रूप से अटल जी से उनकी तुलना नहीं करूँगा. अटल जी बेजोड़ थे. दीन दयाल उपाध्याय पार्टी के प्रमुख विचारक थे और अटल जी उस विचार को अंजाम देने वाले थे."

नामांकन के अवसर पर आडवाणी ने कहा कि उन्होंने कभी भी गांधीनगर से चुनाव नहीं लड़ने के बारे में नहीं सोचा.

आडवाणी ने कहा, "हमारे मध्य प्रदेश के दोस्त चाहते थे कि मैं भोपाल से भी चुनाव लड़ूं. लेकिन मैंने कभी भी गांधीनगर से नहीं लड़ने का नहीं सोचा."

नामांकन के वक़्त भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी आडवाणी के साथ मौजूद थे.

शनिवार को भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी लखनऊ से लोकसभा चुनाव के लिए पर्चा भर दिया.

मोदी की तारीफ़

मोदी हैं योग्य प्रशासक: आडवाणीआडवाणी गांधीनगर से पाँच बार सांसद रह चुके हैं.

आडवाणी ने मोदी के तीन बार लगातार गुजरात विधानसभा चुनाव जीतने पर टिप्पणी करते हुए कहा, "हमारे मोदी जी ही अकेले ऐसे नेता नहीं है जिन्होंने हैट्रिक लगाई है. उनकी ही तरह शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह भी तीन बार जीत दर्ज कर चुके हैं.”

आडवाणी ने गुजरात के साथ अपने रिश्ते को ज़ाहिर करते हुए कहा, "गुजरात के साथ मेरा संबंध है और यह चुनाव लड़ने के साथ शुरू नहीं हुआ है. गुजरात के साथ मेरा संबंध आज़ादी के वक़्त से है."

उन्होंने कहा, "मेरे पिता आज़ादी के वक़्त पाकिस्तान से गुजरात के कच्छ के आदिपुर आए थे. कुछ दिनों के बाद वे काशी चले गए जहाँ मेरी माँ अपनी ज़िंदगी का आख़िरी वक़्त गुज़ारना चाहती थीं."

आडवाणी के चुनाव लड़ने को लेकर भाजपा के बीच खींचतान की काफ़ी ख़बरें भारतीय मीडिया में आई थीं. लोकसभा चुनाव का टिकट मिलने वालों की सूची में भी आडवाणी का नाम पहली सूची के बजाए पांचवी सूची में आया था.

आडवाणी गांधीनगर से पाँच बार सांसद रह चुके हैं. लेकिन ख़बर थी कि आडवाणी भोपाल से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन वहाँ से उन्हें टिकट नहीं मिल पाया.

माना जाता है कि संघ के दबाव डालने के बाद आडवाणी गांधीनगर से चुनाव लड़ने को तैयार हुए.

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