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कैश मॉनिटरिंग का जाल बिछा चुका है इनकम टैक्स डिपार्टमेंट

हर ट्रांजेक्शन और डिपॉजिट का डाटा पहुंच रहा विभाग के पास

नोट वापस कर चेंज लेने वालों पर भी आधार कार्ड के जरिए नजर

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: हजार और पांच सौ के नोटों को खपाने में लगी पब्लिक को घेरने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भी कमर कस ली है। सेंट्रल गवर्नमेंट के साथ मिल कर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पिछले करीब दो ढाई साल से होम वर्क कर रहा था। टैक्स चोरी और ब्लैकमनी रखने वालों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया जा रहा था। उसका असर अब दिखाई देने लगेगा। प्रधानमंत्री के काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक से एक तरफ जहां ब्लैकमनी टोटली डिफ्यूज हो गयी है, वहीं अब हर कोई इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के मॉनिटरिंग और स्क्रूटनी सिस्टम के दायरे में आ गया है।

पकड़ा जाएगा टैक्स चोर

आल ओवर सिस्टम में मॉनिटरिंग का जाल बिछाया जा चुका है। ऐसा सेटअप बनाया गया है, जिसकी वजह से कोई भी व्यक्ति नियम कायदे से अलग कोई काम करता है, खरीदारी करता है, ब्लैक मनी यूज करता है, आय से अधिक सम्पत्ति खर्च करता है तो वह अपने आप जांच के दायरे में आ जाएगा और पकड़ लिया जाएगा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के मुताबिक काले धन की रोकथाम, देश में जाली करेंसी के जाल को तोड़ने और अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने की दिशा में ये कदम उठाया गया है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को आयकर के दायरे में लाने का भी यह एक प्रयास है। ताकि सरकार को अच्छा रेवेन्यू हासिल हो सके। आयकर विभाग ने हर व्यक्ति का पैन कार्ड डिटेल्स रखने और इसे आयकर विभाग के टैक्स जमा सूची से टैली करने का निर्णय लिया है। जो लोग ब्लैकमनी जमा कराने आएगें उन्हें आईटी डिपार्टमेंट 30 से 200 परसेंट तक की पेनॉल्टी लगाएगा।

ढाई लाख से अधिक पर नजर

प्रत्येक एकाउंट में ढाई लाख से अधिक पैसा जमा करने पर जमा राशि को आयकर रिटर्न से मिलाया जाएगा। इसके बाद एक्शन लिया जाएगा। घोषित आय से किसी भी प्रकार के असंतुलन को टैक्स की चोरी से जोड़कर देखा जाएगा। इनकम टैक्स एक्ट 270-ए के तहत कर योग्य आय पर टैक्स के साथ 200 प्रतिशत का जुर्माना लिया जाएगा।

मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार

आयकर विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आई नेक्स्ट से बातचीत करते हुए बताया कि 500 और एक हजार के नोट बंद होने से ब्लैकमनी अर्निग करने वाले ही परेशान हैं। आम आदमी के पास इतने पैसे है ही नहीं कि उसे नुकसान हो। जितने पैसे उसके पास है, उसे बदलने और दुबारा चलन में लाने का सरकार पूरा मौका दे रही है। अब तो बस ब्लैकमनी अर्निग करने वालों पर हमले की तैयारी है। क्योंकि मानिटरिंग सिस्टम पूरी तरह से तैयार है।

किस तरह रखी जा रही नजर

1-पहले जहां जरूरत पड़ने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बैंकों से खाताधारकों की डिटेल लेता था। अब बैंकों द्वारा प्रत्येक खाताधारक की डिटेल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देना कम्पलसरी कर दिया गया है। साथ ही बैंक में होने वाले लेन-देन का ब्यौरा भी अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को पर मंथ दिया जा रहा है।

2- अब बैंक टैक्स डिपार्टमेंट को कैश डिपॉजिट करने, डिमांड ड्राफ्ट बनवाने और एफडी करवाने वालों की डिटेल भी भेजते हैं।

3- पहले रजिस्ट्री ऑफिस में 30 लाख से उपर होने वाली रजिस्ट्री का ब्यौरा ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दिया जाता था। अब प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार की यह जिम्मेदारी है कि वह किसी भी अचल संपत्ति की खरीदारी या बिक्री की सूचना इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दें।

4-अब यह नियम लागू हो चुका है कि यदि 50 लाख रुपए से अधिक की प्रॉपर्टी आप खरीदते हैं तो खरीदार को 1 फीसदी टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स यानी टीसीएस चुकाना होगा।

5-10 लाख रुपए या इससे अधिक के शेयर्स, डिबेंचर्स या म्यूचुअल फंड्स की खरीदारी की सूचना कंपनियों को टैक्स विभाग को देना कम्पलसरी कर दिया गया है।

6-सालाना 50 लाख रुपए से अधिक कमाते हैं तो आपको अपनी संपत्ति और देनदारियों का ब्यौरा आईटीआर के एक नए फॉर्म में अलग से देना होगा।

7-दो लाख रुपए या इससे अधिक की चीजों और सेवाओं की खरीद पर ग्राहक को पैन नंबर देना पहले ही अनिवार्य किया जा चुका है।

8-दो लाख रुपए या इससे अधिक की सेवाओं या वस्तुओं की नकद खरीद या बिक्री पर भी टीसीएस कटना अनिवार्य कर दिया गया है।

पैन कार्ड से ट्रांजेक्शन पर नजर

टू व्हीलर्स को छोड़कर किसी भी तरह के वाहन की खरीद या बिक्री पर पैन कार्ड की डिटेल देना अनिवार्य

बैंक या डीमैट अकाउंट खोलने पर, क्रेडिट कार्ड अप्लाई करने पर पैन कार्ड से मिल जाती है डिटेल

-50 हजार से अधिक की एफडी कराने पर

-50 हजार रुपए से अधिक एमाउंट इंश्योरेंस की किश्त पे करने वाले

-विदेश दौरे, रेस्टोरेंट या होटलों के बिल यदि नकद रूप में 50 हजार से अधिक के चुकाने वाले

-म्युचूअल फंड्स, डिबेंचर्स, बॉन्ड् की खरीद करने वाले, यदि वह 50 हजार रुपए से अधिक के हों

-50 हजार या उससे अधिक नकद बैंक में जमा कराने वाले