- पिछले मानसून की तुलना में इस वर्ष 40 फीसदी कम हुई बरसात

- सितंबर ने तोड़ा रिकार्ड लेकिन पूरी नहीं हुई आस

बरेली : आने वाले दिनों में बरेलियंस को पीने के पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। इसकी वजह यह है कि इस बार अनुमान से 40 परसेंट कम बारिश हुई, जिसके चलते अंडर ग्राउंड वाटर लेबल में ज्यादा सुधार नहीं हुआ। आने वाले गर्मी के मौसम में वाटर लेबल और नीचे जा सकता है, जिससे शहर में पीने के पानी की कमी से लोगों को जूझना पड़ सकता है।

सिर्फ 600 एमएम हुई बारिश

मौसम विभाग की मानें तो पिछले साल मानसून आने के बाद चार महीने में 1000 एमएम बारिश हुई थी। इस बार भी मौसम विज्ञानी पिछले साल की तरह बारिश होने की संभावना जता रहे थे लेकिन पूरे मानसून सीजन में महज 600 एमएम बारिश ही हुई है। इन आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस वर्ष 40 फीसदी बारिश कम हुई।

सितंबर से जगाई आस

गर्मी का प्रकोप झेल रहे बरेलियंस सितंबर महीने में भारी बारिश होने की आशंका जता रहे थे, उनका यह ख्बाव हकीकत भी बना पिछले वर्ष सितंबर में जहां 60 एमएम बारिश हुई तो इस वर्ष सितंबर में यह आंकड़ा 100 के पार कर 110 एमएम तक पहुंच गया।

लगातार बढ़ रहा पॉल्यूशन

पिछले साल मार्च महीने में गर्मी की शुरुआत होने के बाद एक्यूआई यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 से 150 औसतन आंका गया था लेकिन इस वर्ष मार्च से अगस्त तक लगातार 100 से 170 तक रिकॉर्ड किया गया।

इतना एक्यूआई होता है सामान्य

इंडियन स्टेंडर्ड के अनुसार सामान्य एक्यूआई शहर में 40 एमसीजी प्रतिक्यूबिक मीटर होता है लेकिन पिछले कई सालों की तुलना में यह सामान्य से कई गुना ज्यादा ही बना हुआ है।

एक्यूआई घटा तो फ्रेश हुई एयर

पर्यावरणविद् डॉ। आलोक खरे के अनुसार सितंबर में बारिश शुरु होने के बाद एक्यूआई में 20 फीसदी की गिरावट आई थी, जहां अगस्त में एक्यूआई 130 प्रति क्यूबिक मीटर था वही 15 सितंबर के बाद यह घटकर 100 रिकॉर्ड किया गया था।

पिछले चार सालों में इतनी हुई बारिश

वर्ष - बारिश

2015 - 730 एमएम

2016 - 800 एमएम

2017 - 710 एमएम

2018 - 1000 एमएम

गर्मी में बढ़ेगा जल संकट

हर साल भारी बारिश की सबसे ज्यादा आस भू-गर्भ जल विभाग को रहती है। भारी बारिश होने पर अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल में सुधार हो जाता है लेकिन इस बार कम बारिश होने से अंडर ग्राउंड वाटर लेबल में ज्यादा सुधार नहीं हुआ। पिछले वर्ष शहर का अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल 150 सेमी। पर था वह इस वर्ष अप्रैल माह में 200 सेमी गिर गया। भूगर्भ जल विभाग के अनुसार मानसून के बाद अंडर ग्राउंड वाटर लेबल में .5 मीटर का सुधार हुआ है।

वर्जन

इस बार भारी बारिश न होने से एक्यूआई में कोई सुधार नहीं हुआ। हालांकि सितंबर में अच्छी बारिश होने से एक्यूआई में कुछ सुधार हुआ जिससे आबोहवा भी साफ हुई।

डॉ। आलोक खरे, एचओडी, बॉटनी विभाग, बीसीबी।

वर्जन

पिछले मानसून की तुलना में इस बार 40 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। हालांकि सितंबर में आशंका के अनुरुप बारिश हुई है।

एसएच कुशवाहा, मौसम विज्ञानी।