पलकें झपकाने के पीछे छिपा है एक अनोखा विज्ञान

हम आप 1 मिनट में कितनी बार पलक झपकाते हैं इस बारे में शायद ही किसी ने ध्यान दिया हो। वैसे नॉर्मल कंडीशन में इसकी कोई जरूरत भी नहीं है क्योंकि हर व्यक्ति अलग-अलग स्थिति और व्यवहार के दौरान अलग गति से अपनी पलकें झपकाता है। आंखों से जुड़ा एक साइंटिफिक फैक्ट यह बताता है कि जब हम कोई इंटरेस्टिंग चीज देखते या पढ़ते हैं तो हम बहुत कम बार पलकें झपकाते हैं। जैसे कि 5 से 8 बार या फिर हमारी आंखें जब थक जाती हैं तब भी हमारी पलकों के झपकने की दर नॉर्मल से कम हो जाती है। सामान्य स्थिति में इंसान हर मिनट तकरीबन 15 बार अपनी पलकें झपकाता है, लेकिन अलग-अलग मानसिक कंडीशन, माहौल और व्यवहार के अनुसार पलकों के झपकने स्पीड बदलती रहती है।यूं तो पलकें झपकाने से जुड़े फैक्ट ये बताते हैं कि आंखों के रेटीना और लेंस पर लगातार नमी बनाए रखने के लिए ही इंसान अपनी पलकें झपकाता है, पर सिर्फ यही सच नहीं है। पलकें झपकाने के पीछे एक और बड़ा विज्ञान छिपा है, जो बहुत ही कमाल का है।

 

पलकें ज्यादा झपकाने से आंखें और दिमाग दोनों रहते हैं तेज!

 

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पलकें झपकाने से तरोताजा हो जाता है हमारा दिमाग और आंखें

साल 2012 में अमेरिका के Proceedings of the National Academy of Sciences में पेश किए गए एक रिसर्च पेपर के मुताबिक जापान के ओसाका शहर में वैज्ञानिकों की एक टीम ने इंसानों के पलक झपकाने को लेकर एक बड़ी रिसर्च की। इसके रिजल्ट के मुताबिक जब हम आप अपनी पलकें झपकाते हैं तो यह हमारे दिमाग के लिए एक छोटे से आराम या Break लेने का तरीका हो सकता है। अब भले ही यह पलक झपकाना 1 सेकंड के बहुत छोटे से हिस्से के बराबर हो लेकिन एक बार पलक झपका कर हमारा दिमाग पूरी एकाग्रता के साथ वापस उसी पोजीशन में लौट आता है जैसे कि वह पहले था। यानी कि पलक झपकाने से हमारा दिमाग बार बार रिफ्रेश होता रहता है और हमारी आंखे किसी भी चीज को ज्यादा अच्छे से देख पाती हैं।

 

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पलकें झपकाने से बढ़ती है एकाग्रता

पलक झपकाने से जुड़ी इस रिसर्च को करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने 20 हेल्थी लोगों को ब्रेन स्कैनर लगाकर बिठाया। उनके सामने TV स्क्रीन पर फेमस इंटरनेशनल कॉमेडी सीरियल मिस्टर बीन चल रहा था। रिसर्च में यह बात साफ देखने को मिली कि शो के दौरान जब जब भी ब्रेक आया तब सभी लोगों ने एक साथ अपनी पलकें झपकाईं। TV देख रहे लोगों ने जिस वक्त अपनी पलकें झपकाईं उस दौरान उनके दिमाग के उस हिस्से में मौजूद सक्रियता थोड़ी कम हो गई। शोधकर्ताओं ने रिसर्च के रिजल्ट के आधार पर बताया कि पलक झपकाने को हमारा दिमाग ब्रेक लेने या आराम करने के एक डिफॉल्ट मोड के तौर पर इस्तेमाल करता है। इसका फायदा यह होता है कि जितनी बार हम पलकें झपकाते हैं। हमारी एकाग्रता उतनी ही ज्यादा मेंटेन रहती है। अगर ज्यादा देर तक हम पलकें ना झपकाएं तो हम पढ़ी जा रही किताब या दृश्य को देखकर बोर हो सकते हैं और उसे ध्यान से समझने की हमारी क्षमता भी कम होती जा सकती है। यानी कि जो भी व्यक्ति किसी काम के दौरान जितनी ज्यादा बार अपनी पलकें झपकाएगा। माना जाएगा कि उसका दिमाग उतना ही एकाग्र और अलर्ट है। साथ ही वो जानकारी उसके दिमाग में ज्यादा अच्छे से बैठ रही है।


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