-एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक, छह दिनों से खतरनाक स्तर पर पहुंच गया पटना में प्रदूषण

PATNA: सालभर में प्रदूषण का स्तर ठंड में सर्वाधिक होता है। लेकिन कभी-कभी ठंड का असर घटने के बाद भी प्रदूषण का स्तर कम नहीं होता है। पटना में फिलहाल यही स्थिति है। बीते पांच-छह दिनों के एयर क्वालिटी इंडेक्स और इसे प्रभावित करने वाले फैक्टर इस बात का प्रमाण है। इसका एक बड़ा असर यह दिख रहा है कि समय से पहले गर्मी का अनुभव भी किया जा रहा है। पटना में धीरे-धीरे न्यूनतम तापमान में वृद्धि हो रही है। इसलिए एक ओर ठंड का स्तर कम हो रहा है लेकिन इसके बाद भी यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स बीते एक हफ्ते से बेहद खराब स्तर पर रिकॉर्ड किया गया है।

ठंड का समय और अब

पटना में ठंड के दिनों में और वर्तमान में प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण इसके आंकड़ों में भी काफी हद तक एक जैसा रिकार्ड देखा जा रहा है। उदाहरण के लिए 20 जनवरी, 2019 से 26 जनवरी के दौरान न्यूनतम तापमान औसतन करीब सात डिग्री जबकि अधिकतम तापमान 20 से 22 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था। इस दौरान 20 जनवरी को एयर क्वालिटी इंडेक्स 385, 21 जनवरी को 348 और 22 जनवरी को यह 374 रिकॉर्ड किया गया। वहीं, यह रिकॉर्ड 11 फरवरी को 389, दस फरवरी को 391, नौ फरवरी को 344, आठ फरवरी को 339 और सात फरवरी को 324 रिकॉर्ड किया गया। इससे पता चलता है कि न्यूनतम तापमान में अंतर के आंकड़ों में ज्यादा अंतर नहीं है।

ठंड में प्रदूषण बढ़ने का कारण

ठंड के दिनों में प्राय: तीन-चार ऐसी बातें होती हैं जिसके कारण प्रदूषण का स्तर साल के अन्य किसी भी सीजन से ज्यादा हो जाता है। ठंड में हवा की गति मंद होती है। अधिकांश प्रदूषक तत्व वातावरण के निचले स्तर पर तैरते रहते हैं जो सांस में तेजी से घुल कर नुकसान करता है। बारिश होने से प्रदूषण का स्तर कम होता है क्योंकि बारिश की बूंदों के साथ ही प्रदूषक तत्व जमीन पर जमा हो जाता है। ठंड में बारिश नहीं के बराबर होती है। वहीं, ठंड में वातावरण के सबसे निचले स्तर पर में उच्च दाब होता है। जब कचरा जलता है तो उससे निकली हवाएं वातावरण में घुल नहीं पाती है और निचले लेयर पर ही फैल जाता है।

अब क्यों है अधिक प्रदूषण

फिलहाल न्यूनतम तापमान में गिरावट नहीं है। इसमें समय के साथ वृद्धि हो रही है। हवा में अब थोड़ी गति भी है। लेकिन प्रदूषण का स्तर कम नहीं रहा है। सीड्स की सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अंकिता ज्योति ने कहा कि कभी-कभी यह स्थिति दिखती है जो फिलहाल पटना में बना हुआ है। दरअसल, जब पहले से किसी शहर का प्रदूषण का स्तर ज्यादा हो तो इसका असर बाद में भी दिखता है। इसके अलावा हवा की गति मंद होना और थर्मल इनवर्जन भी कारण है। थर्मल इनवर्जन एक प्रकार का बाउंड्री लेयर है जिसमें यह पता चलता है कि हवा वर्टिकली कितनी अधिक जगह में मूव कर सकती है।

रात के समय जो प्रदूषण जमा होता है वह अगले दिन उस शहर से अचनाक से गायब नहीं होता है। तापमान बढ़ने पर भी प्रदूषण के स्तर में सुधार नहीं होना नया ट्रेंड है और ये अध्ययन का भी विषय है. -रमापति कुमार, पर्यावरणविद्