- बेली हॉस्पिटल में मरीज और परिजनों को कोई एहतियात नहीं
- केवल नाम का है आइसोलेशन वार्ड, बेधड़क अंदर प्रवेश करते हैं लोग
- मच्छर के काटने से फैलता है संक्रामक रोग, दूसरे भी आ सकते हैं चपेट में
i reality check
ALLAHABAD: डेंगू तेजी से फैलने वाला संक्रामक रोग है। इसके वायरस मच्छर के जरिए आसानी से किसी को भी चपेट में ले सकते हैं। यह सब जानते हुए भी बेली हॉस्पिटल में लापरवाही बरती जा रही है। यहां डेंगू वार्ड केवल नाम का आइसोलेशन वार्ड है। कोई भी आसानी से अंदर जा सकता है। मरीज भी बिना मच्छरदानी के रहते हैं और परिजनों पर हमेशा अफेक्ट होने का खतरा मंडराता रहता है। इतना सब होने के बावजूद हॉस्पिटल स्टाफ इस पर ध्यान नहीं दे रहा है।
किसी अनहोनी का है इंतजार
बेली हॉस्पिटल की न्यू इमरजेंसी बिल्डिंग के पहली मंजिल पर दस बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया है। यहां फिलहाल पांच पेशेंट्स एडमिट हैं। इनके साथ परिजन भी मौजूद हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि मरीजों को बिना मच्छरदानी रखा गया है। इन्हें अवेयर करने के लिए न तो डॉक्टर मौजूद हैं न ही नर्स। इसी बिल्डिंग में महिला-पुरुष जनरल वार्ड और आर्थोपेडिक की ओपीडी भी चलती है, जहां रोजाना चार से पांच सौ मरीज आते हैं। वार्ड में आने-जाने वालों से पूछताछ के लिए अटेंडेंट भी नही रखा गया है।
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बीमारी फैलाने को एक डंक काफी
डेंगू मादा एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। अगर यह मच्छर किसी रोगी को काट ले तो बीमारी के वायरस आसानी से दूसरे पर्सन तक कैरी करता है। वह जिसे काटेगा वह डेंगू की चपेट में आ जाएगा। यही कारण है कि मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में आम लोगों से अलग रखा जाता है। 24 घंटे मच्छरदानी में रहने की वजह से परिजनों का भी बचाव होता है। थर्ड पर्सन को इस वार्ड में प्रवेश करने तक की अनुमति नहीं दी जाती है।
डेंगू से खुद को ऐसे बचाएं
- पूरे बदन के कपडे़ पहने बिना मरीज के नजदीक न जाएं।
- मरीज को हमेशा मच्छरदानी में रखा जाए।
- वार्ड में एक से अधिक परिजन का ठहरना नुकसानदायक हो सकता है।
- अगर तेज बुखार व सिर दर्द होता है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- आइसोलेशन वार्ड में बाहरियों के प्रवेश पर पाबंदी होनी चाहिए।
अब तक जिले में मिले डेंगू के कुल मरीज-35
बेली हॉस्पिटल डेंगू वार्ड में बेडों की संख्या- 10
कुल भर्ती मरीज- 5
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कुछ यूं दिखा वार्ड का हाल
1- सिकंदरा के चितरहा गांव से आई अनारकली का बेटा प्रमोद वार्ड में भर्ती है। फटाफट जांच में लक्षण मिलने के बाद मरीज का सैंपल सरकारी लैब भेजा गया है। परिजनों ने बताया वार्ड में कोई भी दाखिल हो सकता है। कोई टोकने वाला नही है।
2- इसी वार्ड में बेड नंबर एक पर भर्ती सरिता श्रीवास्तव के परिजन बताते हैं कि चार दिन से वह यहां हैं। घर में किसी को डेंगू नहीं हुआ है। अधिकतर समय मरीज के पास ही बीतता है। हमें सावधानी बरतने संबंधी कोई जानकारी नहीं दी गई है।
3- त्रिवेणीपुरम झूंसी से आए सौरभ सिंह के पिता बताते हैं कि चार दिन से इलाज चल रहा है। अभी तक घर के आसपास एंटी लार्वा छिड़काव नहीं कराया गया है। रिपोर्टर ने मच्छरदानी नहीं लगाने के बारे में पूछा परिजनों के पास जवाब नहीं था।
4- इसी वार्ड में ममफोर्डगंज निवासी कुलदीप को भी डेंगू के चलते भर्ती कराया गया है। उनके परिजनों का कहना है कि मच्छरदानी लगाने के बारे में किसी ने नही बताया।
वर्जन
हमारा डेंगू वार्ड नया है। वहां प्रत्येक बेड पर मच्छरदानी लगी है। अगर कोई इसका उपयोग नहीं करता तंो वह अपने साथ दूसरों को बीमार कर रहा है। परिजनों को भी बीमारी की गंभीरता को समझना चाहिए। आइसोलेशन वार्ड में कम से कम लोग प्रवेश करें तो अच्छा होगा।
-डॉ। आरएस ठाकुर, प्रभारी सीएमएस, बेली हॉस्पिटल