साल 2018 में मलेरिया के इतने केस

-155776 केस साल 2018 में जिले में आए

-70000 केस डिस्ट्रिक में पॉजिटिव मिले थे

-20437 केस शहरी क्षेत्र से आए

-4576 केस पॉजिटिव मिले थे

-50 लोगों की मौत मलेरिया की वजह से हुई थी

- स्वास्थ्य विभाग के एंटोमोलॉजिस्ट के सर्वे में मच्छरों के रेसिस्टेंट में 60 फीसदी का इजाफा

- कीटनाशक के लगातार हो रहे इस्तेमाल से मच्छरों पर अब नहीं होता असर

बरेली : शहर में लगातार बढ़ रहे कीटनाशक के इस्तेमाल से अब वह मच्छरों पर बेअसर साबित हो रहा है. स्वास्थ्य विभाग के एंटोमोलॉजिस्ट डॉ. दीपक कुमार के सर्वे में यह बात सामने आई है कि पिछले दो साल की तुलना में मच्छरों की रेसिस्टेंट पॉवर में 60 फीसदी का इजाफा हुआ है, जिससे मच्छरों पर अब कीटनाशक का असर नहीं होता है. इससे मलेरिया और डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियों में भी इजाफा हो रहा है.

एक मच्छर तक नहीं हुआ बेहोश

डॉ. दीपक कुमार ने घर में एक प्रयोग किया जिसमें उन्होंने मच्छर प्लकर की मदद से अलग-अलग स्थानों से मच्छरों को कलेक्ट किया. फिर बाजार में बिकने वाली कीट नाशक दवाओं का छिड़काव इन मच्छरों पर किया. आधे घंटे बाद उन्होंने जैसे ही फ्लास्क का ढक्कन खोला मच्छर हवा में उड़ने लगे.

बरेली में सबसे ज्याद मरीज

वर्ष 2017-18 में विभाग की ओर से कराए गए सर्वे के अनुसार यूपी में मलेरिया से ग्रसित मंडलों में बरेली शीर्ष पर था. बरेली में 155776 केस आए, जिसमें से 70000 पॉजीटिव केस बरेली मंडल में ही पाए गए थे.

यह ब्लॉक सबसे ज्यादा प्रभावित

भमौरा और रामनगर ब्लॉक से जिला अस्पताल में सबसे ज्यादा मलेरिया के पेसेंट भर्ती हुए थे. मलेरिया की रोकथाम के लिए इन ब्लॉकों में कैंप भी लगाए गए, लेकिन जागरुकता के अभाव के चलते मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है.

वर्जन :

मच्छरों की रेसिस्टेंट पॉवर पिछले कई सालों की तुलना में लगातार इजाफा हो रहा है. शोध में पता चला कि कई एंटी मॉशकिटो दवाएं भी बेअसर हो रही है. भविष्य में स्थिति भयावाह हो सकती है.

डॉ. दीपक कुमार, एंटोमोलॉजिस्ट.