Producer: Ekta Kapoor

Director: Mohit Suri

Cast: Sidharth Malhotra, Riteish Deshmukh, Shraddha Kapoor, Aamna Shariff, Kamaal Rashid Khan, Shaad Randhawa, Remo Fernandes, Prachi Desai, Asif Basra

Rating: 3/5 star

 

खामोश अपने आप में गुम गुरु (सिद्धार्थ मल्होत्रा) एक पॉलिटिकल लीडर के लिए काम करता है. उसका पास्ट नाइटमेयर बन कर उसकर पीछा कर रहा है और वो रातों को चैन से सो नहीं पाता. तभी उसकी जिंदगी में पता नहीं कहां से ताजी हवा का झोका बन कर आ जाती है आयशा (श्रद्धा कपूर). उसके प्यार में दीवाना गुरू अपने दिल के हाथों मजबूर हो कर आयशा से शादी कर लेता है. अचानक गुरू को लगता है कि उसके सारे डर, बुरे सपने उसकी जिंदगी से गायब हो गए हैं.

गुरु अपनी नौकरी छोड़ देता है. वह और आयशा दोनों गोआ से मुंबई आ जाते हैं और नए सिरे से अपनी लाइफ स्टार्ट करते हैं. पर पास्ट कहीं नहीं जाता क्योंकि सिर्फ गुरू ही नहीं आयशा का भी एक गुजरा हुआ कल है जिसकी शक्ल गुरू के कल से मिलती जुलती है. आयशा पर अटैक होता है, वह बच तो जाती है पर हमले से सच से नहीं. जब उनकी खुशियों का विलेन सामने आता है तो गुरू और आयशा दोनों ही अपने अपने सच की चोट से हिल जाते हैं. राकेश (रीतेश देशमुख) क्या विलेन है या फिर उनके काले कल का खूखार साया. अब इसका जवाब उन्हें एटलीस्ट अपने साथ ईमानदार रह कर खोजना है.

 

अपने म्यूजिक से पहले ही लोगों के दिल में जगह बना चुकी एक विलेन आपको सिर्फ इसलिए नहीं बांधती की ये तेज रफ्तार से चलती हुई फिल्म है बल्कि कई मौकों पर आपको सचमुच चौंका देती है. विलेन किसे माने ये सवाल हॉल से निकल कर आने के बाद भी आप को तलाश करते रहना पड़ता है क्योंकि जिसे विलेन बताया गया है उसे तो हीरो ने ही विलेन बनाया है. और फिर हीरो भी तो एक विलेन ही है. कुल मिला कर अगर आपको ऐसे कन्फ्यूजन पसंद हैं तो इस फिल्म को जरूर देखें जहां हर किसी का करेक्टर हल्का या गहरा ग्रे है.  

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