नई दिल्ली (आईएएनएस)। भारत के सबसे प्रतिष्ठित खिलाड़ियों में से एक धोनी ने मैकेफी मोस्ट डेंजरस सेलिब्रिटी लिस्ट 2019 में टॉप किया है। यह लिस्ट उन भारतीय सेलिब्रटीज की है जिनका नाम ऑनलाइन सर्च करने पर आपके मोबाइल या सिस्टम पर वायरस अटैक कर सकता है। धोनी के अलावा इस लिस्ट में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और अभिनेता राधिका आप्टे और श्रद्धा कपूर का नाम शामिल हैं। अपने तेरहवें संस्करण में मैकेफी ने लोकप्रिय हस्तियों की पहचान की जो सबसे जोखिम वाले खोज परिणाम उत्पन्न करते हैं जो संभावित रूप से उनके प्रशंसकों को मैलेसियस वेबसाइट्स या वायरस का खतरा उत्पन्न करते हैं।

पासवर्ड भी हो सकता है चोरी

भारत को दो वर्ल्डकप जिताने वाले एमएस धोनी टीम इंडिया के सबसे चहेते क्रिकेटरों में शुमार है। सोशल मीडिया पर भी धोनी की फैन फाॅलोइंग जबरदस्त है। यही नहीं माही पर एक बायोपिक 'धोनी - द अनटोल्ड स्टोरी' भी बन चुकी है। ऐसे में हैकर्स के लिए एमएस धोनी नाम का की वर्ड काफी उपयोग में आता है। आप जब भी ऑनलाइन एमएस धोनी सर्च करते हैं तो हैकर्स आपको कई ऐसी वेबसाइटों के लिंक भेज सकते हैं जिसमें काफी वायरस होता है। यह माॅलवेयर यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारी और पासवर्ड चुरा सकता है।

सब्सक्रिप्शन आधारित कंटेंट प्लेटफार्म ने बढ़ाई मुश्किलें

मैकेफी की मोस्ट डेंजरस सेलिब्रटी लिस्ट में दूसरे नंबर पर सचिन तेंदुलकर हैं। उसके बाद रियलिटी टीवी शो बिग बॉस के विजेता गौतम गुलाटी हैं। यही नहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस सनी लियोन और पॉप आइकन बादशाह भी इसमें शामिल हैं। इस सूची में आगे राधिका आप्टे, श्रद्धा कपूर, हरमनप्रीत कौर, पी.वी. सिंधु और क्रिस्टियानो रोनाल्डो का नाम शामिल हैं। मैकेफी इंडिया के उपाध्यक्ष वेंकट कृष्णापुर कहते हैं, 'आज कल इंटरनेट एक्सेस करना इतना आसान हो गया है कि आप किसी भी डिवाइस से कहीं पर भी कुछ सर्च कर सकते हैं। जैसे-जैसे भारत में सब्सक्रिप्शन आधारित कंटेंट प्लेटफार्म बढ़ते जा रहे हैं। यूजर्स अक्सर मुफ्त और पायरेटेड कंटेंट जैसे कि प्रमुख स्पोर्ट्स इवेंट्स, मूवीज, टीवी शो और अपने पसंदीदा सुपरस्टार्स की तस्वीरें खोजते रहते हैं। मगर दुर्भाग्य से वे पूरी तरह से उन जोखिमों से अवगत नहीं हैं जिसमें ऐसी सामग्री प्रदान करने वाली वेबसाइटें आपका पर्सनल डेटा भी चुरा सकती हैं।

कैसे बचें इस वायरस से

वेंकट कृष्णापुर आगे कहते हैं, साइबर अपराधी इस अवसर का लाभ उठाते हैं और उपभोक्ता कमजोरियों का शिकार करते हैं, जब वे सुविधा के पक्ष में सुरक्षा से समझौता करते हैं। उपभोक्ताओं के लिए इन खतरों को पहचानना आवश्यक है, इससे पहले कि वे क्लिक करें और मुफ्त सामग्री का वादा करने वाले संदिग्ध लिंक से बचें।

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