चेन्नई (पीटीआई)। एमएस धोनी को फैंस कैप्टन कूल भले ही कहते हों लेकिन भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का मानना ​​है कि वह दबाव और डर से मुक्त नहीं हैं। धोनी ने MFORE द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में यह बात कही। एमएफओआरई खेल में मन की कंडीशनिंग कार्यक्रमों की पेशकश करने वाली एक पहल है। इससे जुड़कर धोनी ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर अपना दृष्टिकोण रखा। एमएफओआरई द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में धोनी के हवाले से कहा गया, 'भारत में, मुझे लगता है कि अभी भी लोग मानिसक समस्याओं को लेकर खुलकर बात नहीं करते। हम आम तौर पर इसे मानसिक बीमारी कहते हैं।'

हर खिलाड़ी को लगता है डर

एमएफओआरई ने कहा कि धोनी ने बातचीत के दौरान विभिन्न खेलों के कोचों से बात करते हुए ये टिप्पणियां कीं। धोनी कहते हैं, 'कोई भी वास्तव में यह नहीं कहता है कि, जब वह बल्लेबाजी करने जाता है, तो पहले 5 से 10 गेंदे खेलते समय दिल की धड़कन तेज हो जाती है। डर सबको लगता है, मगर इसका सामना कैसे करना है, यह पता होना चाहिए।' धोनी ने कहा, "यह एक छोटी समस्या है लेकिन कई बार हम इसे कोच से कहने से हिचकिचाते हैं और इसीलिए किसी खिलाड़ी और कोच के बीच का रिश्ता बहुत महत्वपूर्ण होता है।'

कोच के साथ होनी चाहिए अच्छी बॉन्डिंग

एक मानसिक कंडीशनिंग कोच के महत्व पर प्रकाश डालते हुए धोनी ने कहा, "मानसिक कंडीशनिंग कोच वह नहीं होना चाहिए जो 15 दिनों के लिए आता है, क्योंकि जब आप 15 दिनों के लिए आते हैं तो आप केवल अनुभव साझा कर रहे हैं।' चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान को तीन आईपीएल खिताब दिलाने वाले धोनी कहते हैं, "अगर मानसिक रूप से कोच लगातार खिलाड़ी के साथ रहता है, तो वह समझ सकता है कि उसके खेल पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।"

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