पूरे ग्राउंड को कवर नहीं किया गया था। पंखे के साथ कूलर का भी इंतेजाम था। मौसम भी थोड़ा मेहरबान था। इसके बाद भी भीड़ बटोरने के मामले में सपाई, बसपा के मुकाबले पिछड़ गए।

यह मैदान भी कुछ कहता है

-भीड़ जुटाने के मामले में सपा से आगे निकल गए बसपाई

-मौसम का अनुकूल होना, कूलर-पंखा लगाना भी काम नहीं आया

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: दोस्तों, आप सब तो मुझे जानते ही होंगे। कभी न कभी मेरे आंगन में जरूर आए होंगे। किसी शादी या मेले में नहीं तो किसी नेता की जनसभा में। मैं आपका अपना केपी कॉलेज का ग्राउंड हूं। इन दिनों मेरा आंगन सियासी अखाड़ा बना है। पिछले संडे को बसपा सुप्रीमो मायावती मेरे आंगन में थीं, आज सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह थे। दोनों अपनी-अपनी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। लेकिन, यह क्या जब वो आई थीं तब मैं सांस नहीं ले पा रहा था। मुलायम जी आए तो मेरे आंगन का आधा से ज्यादा हिस्सा खाली था।

वो मायावती थीये मुलायम हैं

ख्7 अप्रैल को सुबह दस बजे से ही मेरे आंगन में लोगों का आना शुरू हो गया था। मायावती जी को डेढ़ बजे आना था। वह दो बजे के करीब आईं। उनके आने से पहले मैदान खचाखच भर गया था। भीड़ ठसाठस भरी थी। मेडिकल चौराहा, सीएमपी रोड, सिविल लाइन इलाका, एसआरएन रोड पर वाहनों की कतार लगी थी। पुलिस को सिक्योरिटी के कारण गेट बंद करना पड़ा था। जब तक मायावती थीं, भीड़ डटी हुई थी। सभा खत्म होने के बाद जब भीड़ निकली तो शहर जाम था। बाहर की ओर जाने वाली सड़कें ब्लाक थीं।

सप्ताह भर के अंदर ही शनिवार को यानी आज समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह जी की सभा थी। अंदाजा था पिछले संडे का रिकार्ड टूटेगा। रिकार्ड टूटा जरूर लेकिन, पिछले संडे में जमा हुई भीड़ का नहीं, बल्कि मुलायम सिंह यादव की सभा में अब तक की सबसे कम भीड़ आने का। मायावती की सभा के लिए जिस दीवार पर मायावती जी का मंच बना था। उससे काफी पहले ही मैदान में मुलायम सिंह जी की सभा की भीड़ रुक गई थी।

सपा सत्ता में है, बसपा सत्ता से बाहर

मायावती जी बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और मुलायम सिंह जी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उत्तर प्रदेश में चूंकी सपा की सरकार है। इसलिए मैने सोचा था कि मुलायम सिंह जी की सभा काफी चौकाने वाली होगी। सभा ने चौकाया जरूर, लेकिन मेरे उम्मीद के विपरीत। मैं आपको पिछले संडे की बात बताऊं तो उस दिन सांस लेना मुश्किल था। पंडाल ठसाठस भरा था। पब्लिक धूप में भी पंडाल के बाहर खड़ी थी। मंच पर भी गिनती के लोग थे लेकिन पब्लिक के जोश में कोई कमी नहीं थी। उस दिन पारा ब्ख् के पार था। पंखे लगे थे, कूलर का इंतेजाम नहीं था। यहां तो पंडाल के चारों तरफ कूलर-पंखा था फिर भी मैदान खाली-खाली सा रहा। आधे से ज्यादा हिस्से में तो हेलीपैड बना था। बचे हुए आधे हिस्से के भी आधे हिस्से में ही मंच और पंडाल सिमट कर रह गया।

उस दिन पुलिसवाले हांफ रहे थे, आज आराम की मुद्रा में थे

उस दिन कई थानों की फोर्स लगी थी। पीएसी के जवान लगे थे। आरएएफ की भी तैनाती थी। भीड़ के कारण पुलिस वाले हांफते हुए दिखाई दिए। ट्रैफिक कंट्रोल में पुलिस कर्मियों को ताकत झोंकते हुए मैने देखा था। आज तो नजारा बिल्कुल उल्टा था। सड़क किनारे, यहां-वहां छांव में पुलिस वाले आराम की मुद्रा में बैठे हुए दिखाई दिए। क्योंकि न वाहनों का काफिला था और न ही पब्लिक का लोड। जिसे कंट्रोल करने के लिए ताकत लगाई जाए। पिछले संडे आस-पास की सड़कें चारों तरफ से व्यस्त दिखाई दे रही थी। आज सीएमपी का मैदान भी पूरी तरह फुल नहीं हो सका था।

नेता जी आए तो मंच वाले आपस में ही भिड़ गए

शनिवार को दिन में करीब ढाई बजे नेता जी का हेलीकाप्टर केपी ग्राउंड पर उतरा। उनके आते ही मुख्य मंच के बगल में बने एक और बड़े मंच पर चढ़कर नेताजी को अपना चेहरा दिखाने वालों में होड़ मच गई। कहासुनी और हाथापाई तक की नौबत आ गई। किसी तरह से मामला शांत कराया गया। इसके ठीक उलट ख्7 अप्रैल को बहन जी के मंच पर ऐसा कुछ भी नहीं था। एक मंच था। प्रत्याशी से लेकर पदाधिकारी तक शिष्ट भाव से खड़े थे। न कोई हाय-हाय न कोई किचकिच।

साउण्ड बॉक्स भी मार रहा था सीटी

सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह डायस पर बोलने पहुंचे तो, मंच पर लगा साउण्ड बॉक्स सीटी मारने लगा। इस पर सपा सुप्रीमो की आवाज ठीक से सुनाई देनी बंद हो गई। यह देखकर सपा नेताओं को पसीना आ गया। तत्काल साउंड को ठीक कराया गया तो नेताजी की आवाज पब्लिक तक पहुंचनी शुरू हुई। अव्यवस्था का आलम यह था कि मेडिकल से लेकर सीएमपी चौराहा तक सैकड़ों लोग पानी की तलाश में भटकते दिखे। और काई विकल्प न दिखने पर उन्होंने सड़क किनारे लगी जूस, शर्बत और पानी की दुकानों की शरण ली। अचानक भारी संख्या में ग्राहकों के मिलने से दुकानदारों की तो निकल पड़ी।

पब्लिक कम, सपा कार्यकर्ता ज्यादा थे

मुलायम सिंह यादव की सभा में जो भीड़ पहुंची थी, उनमें से ज्यादातर लोग आम मतदाता नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता थे। कार्यकर्ता हैं तो अपनी पार्टी का बखान तो करेंगे ही। समाजवादी पार्टी के ब्लाक, तहसील व गांव स्तर पर तैयार कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के लिस्ट में उन्होंने अपना नाम शामिल होना बताया।

मैं सपा कार्यकर्ता हूं। मैं अपने सांसद के काम से संतुष्ट हूं। कार्यकर्ता हूं इसलिए सभा में आना मेरा कर्तव्य है।

प्रेम बहादुर यादव

बेला, मांडा

मैं अपनी सरकार से खुश हूं। मेरी सरकार खूब काम कर रही है। वर्तमान सांसद ने कई काम कराए हैं।

श्यामधर यादव

मांडा

कोई सरकार खाना थोड़ी न पहुंचा देती है। हमारी सपा सरकार और हमारे सांसद काम करवा रहे हैं। हम भी सपा के कार्यकर्ता हैं।

दिलीप यादव

मांडा

मैं बहुत पुराना साई हूं। पार्टी में मेरी वर्षो से आस्था है। मैं तो अपनी पार्टी के लिए यहां आया हूं।

चंद्र प्रकाश यादव

जसरा