कोर्ट ने असीम को ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजने का आदेश मुंबई पुलिस के कोर्ट को यह बताए जाने के बाद उठाया कि उससे पूछताछ पूरी हो गई है और अब उसकी कस्टेडी की जरूरत नहीं है। गौरतलब है कि कोर्ट ने संडे को उसे देशद्रोह और आईटी एक्टf के उल्लंाघन के मामले में 16 सितम्बीर तक पुलिस कस्टगडी में रखने का आदेश दिया था।  

त्रिवेदी के बेल लेने से इनकार करने से पुलिस और सरकार की और फजीहत ही होगी जो पहले से ही मीडिया और करप्शेन के खिलाफ कैंपेन चला रहे एक्टिुविस्टों के निशाने पर है। जिन्होंिने इसे फ्रीडम ऑफ एक्स प्रेशन पर हमला बताया है।

उधर, असीम के पिता अशोक त्रिवेदी ने कहा कि कि देश में कितने भ्रष्ट नेता खुलेआम घूम रहे हैं लेकिन सरकार कुछ नहीं करती। असीम ने सिर्फ भ्रष्टाचार की छवि को सबके सामने लाने का प्रयास किया है। परिजनों ने कहा कि क्योंकि असीम ने समाजसेवी अन्ना हजारे का साथ दिया था इसलिए उसे सजा मिली है।

इस बीच, कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी की रिहाई की मांग को लेकर सैकड़ों स्थानीय लोगों ने सोमवार को कानपुर में केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जायसवाल के निवास के बाहर जमकर प्रदर्शन कर नारेबाजी की। असीम के पिता अशोक ने कहा कि असीम ने भ्रष्टाचार को कार्टून के जरिए दर्शाया था। इसमें गलत क्या है। हालांकि जायसवाल ने असीम की रिहाई में मदद का भरोसा देते हुए कहा कि वह पता लगाने की कोशिश करेंगे की आखिर पुलिस ने उन्हें क्यों गिरफ्तार किया है।

वहीं, काटजू ने कहा कि मेरे विचार से कार्टूनिस्ट ने कुछ भी गलत नहीं किया है। उन्होंने बतौर जज कहे अपने शब्दों को याद करते हुए बताया कि मैं अक्सर कहता था कि लोग मुझे कोर्ट या कोर्ट के बाहर बेवकूफ या कुटिल कह सकते हैं, लेकिन मैं कभी भी अदालत की अवमानना का मामला शुरू करने का कदम नहीं उठाऊंगा, क्योंकि आरोप सही होने पर मैं इसी लायक हूं और गलत होने पर मैं उन्हें नजरअंदाज कर दूंगा.' उन्होंने कहा कि नेताओं को भी यह पाठ सीख ही लेना चाहिए।

इससे पहले शनिवार रात गिरफ्तारी से पहले असीम ने कहा था कि कानून की मैं बहुत इज्जत करता हूं, लेकिन उससे भी ज्यादा इज्जत मैं सच की करता हूं और सच के रास्ते में रोड़ा बनने वाले किसी भी कानून को बर्दाश्त नहीं करूंगा। मैं ब्रिटिश राज में बने इस कानून को मान्यता नहीं देता और किसी भी कलाकार, साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता पर देशद्रोह के मामलों का विरोध करता हूं।

गौरतलब है कि राजद्रोह के जिस कानून के तहत असीम को गिरफ्तार किया गया है वो अंग्रेजों ने 1857 में स्वतंत्रता की पहली लड़ाई के तीन साल बाद 1860 में बनाया गया था। यानि अब ये कानून 152 साल पुराना हो चुका है।

मुंबई में हुए अन्ना के आदोलन के दौरान कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी ने एक कार्टून बनाया था। इस कार्टून में राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह में मौजूद तीन सिंहों की जगह भेड़िए का सिर और 'सत्यमेव जयते' की जगह 'भ्रष्टमेव जयते' लिखा गया। पुलिस ने असीम के खिलाफ राजद्रोह के अलावा आईटी एक्ट, राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न एक्ट और साइबर क्राइम एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया है।

असीम को शनिवार रात साढ़े 8 बजे बाद्रा कुर्ला इलाके से राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें रविवार को अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें 16 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। पुलिस हिरासत में जाने से पहले असीम ने कहा कि सच बोलना देशद्रोह है तो वे इसे बार-बार बोलते रहेंगे।

National News inextlive from India News Desk