-करेलाबाग में खुलने जा रहा एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर, नसबंदी कराएगा नगर निगम

नंबर गेम

30 हजार से ज्यादा पहुंच चुकी है सिटी में कुत्तों की संख्या

1,000 रुपए का खर्च आएगा एक कुत्ते के नसबंदी पर

200 लोगों को एक महीने में कुत्तों ने काट कर घायल किया है। जिन्होंने बेली हॉस्पिटल में अपना ट्रीटमेंट कराया है

300 कुत्ता काटने के केस आए हैं एक से 20 फरवरी तक जिन्हें लगाया गया रैबीज इंजेक्शन।

400 पुराने मरीजों को चक्रानुसार इंजेक्शन लगाए गए।

15 नए मरीज बेली हॉस्पिटल में पर-डे पंजीयन कराकर एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवा रहे हैं।

prayagraj@inext.co.in

PRAYAGRAJ: आवारा कुत्तों के आतंक से शहर त्रस्त आ चुका है। आलम यह है कि एक से 20 फरवरी के बीच 300 कुत्ता काटने के केसेज सामने आ चुके हैं। ऐसे में नगर निगम का नया कदम राहत की सांस देने वाला है। नगर निगम जल्द ही सिटी में आवारा कुत्तों के नसबंदी का अभियान शुरू करने जा रहा है। करेलाबाग स्थित हड्डी गोदाम कैंपस में एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर बनाया जा रहा है। सिटी के डिफरेंट एरियाज से कुत्तों को पकड़कर यहां लाया जाएगा और नसबंदी के बाद छोड़ दिया जाएगा।

पैसे का इंतजार

नगर निगम के पशुधन विभाग के अनुसार शहर में अनुमानत: आवारा कुत्तों की संख्या इस समय 30 हजार से ऊपर पहुंच चुकी है। इसको देखते हुए करेलाबाग स्थित हड्डी गोदाम कैंपस में एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर बनाया जा रहा है। यहां आवारा कुत्तों की नसबंदी करायी जाएगी। जल्द ही इसके लिए टेंडर जारी किया जाएगा। नसबंदी के बाद कुत्तों को वापस छोड़ दिए जाएगा। गौरतलब है कि कुत्तों की नसबंदी करना एक टफ टास्क है। इंप्लीमेंटेशन लेवल पर भी और खर्च के लेवल पर भी। एक कुत्ते की नसबंदी करने पर अनुमानित रूप से करीब 1,000 रुपए का खर्च आएगा। अगर 25 हजार कुत्तों की नसबंदी कराई गई तो ढाई करोड़ से अधिक का खर्च आएगा। इसके लिए शासन स्तर से धन मिलने का इंतजार किया जा रहा है। गौरतलब है कि कुछ साल पहले सोरांव में एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर खोला गया था। यह बजट के अभाव में एक्टिव नहीं हो सका। लेकिन इस बार नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन काफी गंभीर है।

मोहल्लेवालों ने विरोध किया तो फिर करनी होगी देखभाल

-आवारा कुत्तों के खिलाफ अभियान में अक्सर मोहल्ले वाले बाधा बन जाते हैं।

-लेकिन इस बार नगर निगम ने इस विरोध से बचने का उम्दा उपाय खोज निकाला है।

-अगर कोई नसबंदी का विरोध करने आता है तो उन्हें कुत्ते का रजिस्ट्रेशन कराकर लाइसेंस लेना होगा।

-यह लाइसेंस जारी करने के बाद उस कुत्ते की नसबंदी नहीं की जाएगी।

-लेकिन इसके बाद गली में घूमने वाले कुत्तों की जिम्मेदारी लाइसेंस लेने वाले की हो जाएगी।

तीन चरणों में होगी नसबंदी

स्टेप-1

आवारा कुत्तों को मोहल्लों से पकड़ा जाएगा। इन्हें एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर ले जाया जाएगा।

स्टेप-2

इन कुत्तों के स्वास्थ्य की संपूर्ण जांच की जाएगी और उचित इलाज किया जाएगा।

स्टेप-3

इनकी नसबंदी की जाएगी। इसके बाद उन्हें फिर से उसी एरिया में छोड़ दिया जाएगा।

अंतराल पर लगते हैं इंजेक्शन

-कुत्ता काटने वाले मरीजों को रैबीज के इंजेक्शन लगाए जाते हैं।

-इनमें जो कुत्ता मरीज को काटने के बाद जिंदा रहता है, उस मरीज को चार इंजेक्शन लगाए जाते हैं।

-पहला इंजेक्शन पहले दिन, फिर तीसरे दिन, सातवें और 28 वें दिन इंजेक्शन लगाए जाते हैं

-जो कुत्ता मरीज को काटने के बाद मर जाता है या नजर नहीं आता है तो उस मरीज को पांच इंजेक्शन लगाए जाते हैं।

-यह इंजेक्शन पहले दिन, तीसरे, सातवें, चौदहवें दिन व 28वें दिन में लगाए जाते हैं

आवारा कुत्तों की नसबंदी की रणनीति तैयार की गई है। करेलाबाग स्थित हड्डी गोदाम में बंद पड़ी बिल्डिंग का चयन भी हो गया है। इसे मेंटेन कराया जा रहा है। जल्द ही अस्पताल का निर्माण कर लिया जाएगा। इसके बाद मोहल्लावार अभियान चलेगा। नसबंदी कर दिए जाने के बाद न सिर्फ उनका प्रजनन रुकेगा बल्कि उनकी आक्रामकता भी कम होगी।

-डॉ। धीरज गोयल

पशुधन अधिकारी

नगर निगम, प्रयागराज