-प्रशासकों का कार्यकाल पूरा होने के बाद मौजूदा जनप्रतिनिधियों को चार्ज देने अथवा चुनाव कराने की मांग

- हाई कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह में मांगा जवाब

नैनीताल: उत्तराखंड निकाय चुनाव का मामला एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने प्रशासकों का कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव कराने या निवर्तमान जनप्रतिनिधियों को ही चार्ज देने की मांग करते प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

23 को फिर होगी सुनवाई

इस साल जून में हाईकोर्ट ने जल्द निकाय चुनाव कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की थी, साथ ही जसपुर (ऊधमसिंहनगर) के निवर्तमान पालिकाध्यक्ष मोहम्मद उमर की निकायों में प्रशासकों के बजाय उन्हें ही कामकाज की अनुमति देने संबंधी याचिका पर भी विचार हुआ था, तब सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि राज्य निर्वाचन आयोग के साथ बैठक हो चुकी है और जल्द चुनाव कराएं जाएंगे। जिसके बाद कोर्ट ने निर्वाचन आयोग की याचिका को निस्तारित कर दिया था। फिर कोर्ट में सीमा विस्तार व परिसीमन संबंधी अधिसूचना रद हो गई तो सरकार ने इसी बीच निकायों को प्रशासकों के हवाले कर दिया। अब दो अक्टूबर को निकायों में प्रशासकों का छह माह का कार्यकाल खत्म हो रहा है। जसपुर के ही मोहम्मद उमर ने हाई कोर्ट में फिर प्रार्थना पत्र दाखिल कर सरकार को जल्द चुनाव कराने के लिए निर्देशित करने या निवर्तमान निकाय अध्यक्षों को दुबारा चार्ज देने का अपील की है। शुक्रवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ में इस मामले में सुनवाई हुई, कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से अधिवक्ता संजय भट्ट से पूछा कि आयोग स्वतंत्र संस्था है या सरकार का अंग। अधिवक्ता भट्ट ने अदालत को बताया कि निकाय चुनाव कराना आयोग की संवैधानिक बाध्यता है मगर अधिसूचना सरकार द्वारा जारी की जानी है। आयोग चुनाव कराने के लिए तैयार है। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई 23 अक्टूबर नियत की गई है।