डिप्टी जेलर को गोलियों से भून डाला

बाइक सवार बदमाशों ने शनिवार सुबह डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की हत्या करके सनसनी फैला दी। कैंट थाना एरिया के मानसिक चिकित्सालय के पास एक जिम के बाहर अत्याधुनिक असलहे से उन पर गोलियों की बौछार कर दी। उन्हें अपनी कार के बाहर निकलने या भागने का मौका तक नहीं मिला। कार में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। जानकारी मिलते ही आनन-फानन में पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। घटना को अंजाम देने वाले बदमाशों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने पूरी ताकत झोंक दी। इसके लिए जिला जेल में मौजूद या रह चुके बदमाशों पर नजर गड़ाए हुए है। मौके से नाइन एमएम के छह खोखे बरामद हुए हैं।

सुबह गए थे जिम

मूलरूप से मेरठ के रहने वाले अनिल त्यागी डिस्ट्रिक्ट जेल में डिप्टी जेलर पद पर तैनात थे। जेल कैम्पस में बने क्वार्टर में पत्नी अनुभा त्यागी, नौ और पांच साल के बेटों के साथ रहते थे। अपने फिटनेस को लेकर काफी अवेयर रहते थे। वह डेली मेंटल हॉस्पिटल के पास स्थित एक जिम में जाते थे। शनिवार को भी सुबह साढ़े आठ बजे वह इंडिका कार से जिम पहुंचे। अभी कार से उतरे भी नहीं थे कि दो बाइक पर सवार चार बदमाश तेजी से आए और बाइक को कार के बराबर रोका। बाइक की पिछली सीट पर बैठे बदमाश ने ड्राइविंग सीट पर बैठे डिप्टी जेलर को टारगेट करके पिस्टल से फायरिंग शुरू कर दी। उसने मुश्किल से 10 सेकेण्ड्स के अंदर छह गोलियां डिप्टी जेलर के शरीर में उतार दीं। अनिल त्यागी के कनपटी, सीने, पेट और हाथ में गोलियां जा लगीं और मौके पर ही उनकी मौत हो गयी। बदमाश जब पूरी तरह से निश्चिंत हो गए कि मौत हो चुकी है तब वो भाग निकले।  

मच गया हड़कम्प

सुबह-सुबह लबे रोड हुई वारदात से हड़कम्प मच गया। जिम के अंदर क्राइम ब्रांच के एसआई रणजीत राय भी वर्कआउट कर रहे थे। वह भी बाहर निकलकर आए। जब उन्होंने अनिल त्यागी को लहूलुहान देखा तो तुरंत साथियों को सूचना दी। एसपी क्राइम ब्रांच कमलेश्वर दीक्षित भागे-भागे मौके पर आए। डिप्टी जेलर को लेकर आनन-फानन में पास में मौजूद पं। दीनदयाल हॉस्पिटल पहुंचे। यहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। तभी एडीजी, डीआईजी, एसएसपी भी आ गए। तुरंत बदमाशों की धरपकड़ के लिए पूरे जिले की पुलिस को अलर्ट कर दिया गया। क्राइम ब्रांच समेत पुलिस की आधा दर्जन टीमें बदमाशों की तलाश में फास्ट हो गयीं।

दो ने पहना था हेलमेट

पुलिस को मौके से नाइन एमएम के छह खोखे मिले। घटना के चश्मदीदों से जानकारी मिली की दो बाइक पर सवार चार बदमाश देर से जिम के पास खड़े थे। उनमें से दो ने हेलमेट पहन रखा था। उनकी उम्र 20 से 25 साल के बीच थी। इधर, पुलिस का मानना है कि बदमाशों के पास दो पिस्टल थीं। जिनका इस्तेमाल उन्होंने डिप्टी जेलर की हत्या के लिए किया।

काम न आया कैमरा

जिस जिम में अनिल त्यागी जाते थे वह एक शॉपिंग काम्प्लेक्स के अंदर है। काम्प्लेक्स के एंट्री प्वाइंट पर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। लेकिन इसका रेंज महज कुछ मीटर है। त्यागी का मर्डर पॉइंट कैमरे की रेंज में नहीं आ सका। शायद बदमाशों को इस कैमरे की जानकारी थी इसलिए वो एलर्ट थे और घटना से पहले या बाद में वो एक बार भी कैमरे की नजर में नहीं आए। पुलिस ने इस कैमरे का फुटेज तलाशा लेकिन उसके हाथ निराशा लगी।

पहले से हो रही थी रेकी

पुलिस अफसर मानते हैं कि अनिल त्यागी की हत्या के लिए बदमाशों ने प्लैनिंग व रेकी में वक्त लिया होगा और तब जाकर घटना को अंजाम दिया। डिप्टी जेलर का जिम जाने का कोई फिक्स टाइम नहीं था। जब वक्त मिलता पहुंच जाते थे। इसी जिम में पुलिस डिपार्टमेंट के काफी लोग आते हैं। सभी आएं भले अलग-अलग टाइम मगर वापसी साथ ही करना पसंद करते थे। बदमाशों ने इसीलिए जिम पहुंचने के टाइम को चुना।

मानो मौत ने बुला लिया था

डिप्टी जेलर पर हमला टल भी सकता था मगर शायद मौत ने ही उन्हें शनिवार की सुबह जिम बुला लिया था। दो दिन से वह जेल सुपरिटेंडेंट आशीष त्रिपाठी की शादी में शामिल होने के लिए गोरखपुर में थे। शुक्रवार की रात वह बनारस वापस लौटे। पांच साल से यहां तैनात अनिल त्यागी का कुछ वक्त पहले फिरोजाबाद डिस्ट्रिक्ट जेल के लिए ट्रांसफर भी हो गया था मगर बाद में उन्हें 30 अप्रैल 2014 तक के लिए एक्सटेंशन मिल गया और यहीं रूक गए। शायद फिरोजाबाद जाते तो उनकी जान बच जाती।

क्रिमिनल्स से था 36 का आंकड़ा

जेल में नियम-कानून को लेकर अनिल त्यागी बेहद सख्त थे। नियम ना मानने वालों को कड़ी सजा भी देते थे। इसी बात से जेल में उनका काफी क्रिमिनल्स से पंगा हो चुका था। फिलहाल डिस्ट्रिक्ट जेल में बड़े बदमाशों में अजय उर्फ विजय, अंगद राय, गोरा राय, संतोष शुक्ला, अजय यादव और राजेश चौधरी गैंग के कई मेम्बर और बीकेडी का साथी सतीश और राजेश बंद हैं। पुलिस इनके नेटवर्क की जांच भी कर रही है। जेल में किस-किस बदमाश के साथ अनिल ने ज्यादा सख्ती की, ये भी पता लगाया जा रहा है।  

 

कहीं ये पिटाई या सख्ती का बदला तो नहीं?

सूत्रों की मानें तो कुछ महीने पहले जेल में बंद कई कुख्यात अपराधियों की जमकर पिटायी हुई थी। वह जेल में वर्चस्व बनाना चाहते थे। राइटर की पिटायी करने वाले विधायक मुख्तार अंसारी के शूटर रामसिंगा को पीटा गया था। जेल में मारपीट करने में अपराधी अभिषेक सिंह हनी और उसके साथियों की भी जमकर पिटायी की गयी थी। हनी को जिला जेल से हटाकर दूसरे जिले में भेज दिया गया था। इन सबका आपस में जुड़ाव है। वरुणापार में अपना सिक्का चलाने वाले हनी और उसके साथियों को जेल में पिटायी नागवार गुजरी था। राजनीति संरक्षण के कारण हनी इन दिनों बड़ा नाम हो चुका है और उसके पास अच्छे शूटर्स भी हैं। पुलिस इन पर शक कर रही है। इसके अलावा बीकेडी का खास बिरादर और मुन्ना बजरंगी का खास अजीत सिंह भी जिला जेल में है। वह भी जेल की सख्ती से नाखुश हैं। जांच के दायरे में उसे भी रखा गया है।

जेल यानि पैसा फेको, तमाशा देखो

बनारस की जेल में पैसा का हमेशा से बोल-बाला रहा है। पैसा फेको और तमाशा देखा, ये गेम चलता रहता है। जेलर भले ही सख्त मिजाज हो मगर नीचे की लाइन पैसा लेकर कुछ भी कर-करा सकती है। बनारस का सेंट्रल जेल हो या डिस्ट्रिक्ट जेल, दोनों ही जगह कैपसिटी से ज्यादा बंदी हैं। इन बंदियों को हर सुविधा के लिए जेब ढीली करनी पड़ती है। पैसा फेक कर ही बंशी यादव और अन्नू त्रिपाठी की जेल में हत्या तक करायी जा चुकी है। माफिया डॉन बृजेश सिंह, मुख्तार अंसारी, सुभाष ठाकुर, मुन्ना बजरंगी का भी बनारस की जेलों में आना होता है। कुछ महीने पहले सेंट्रल जेल में रहे एक सीनियर सुपरिंटेंडेंट ने कैदियों पर काफी सख्ती कर दी तो कैदियों ने मोर्चा खोल दिया था। कई दिनों तक जेल का माहौल टेंस रहा।