-रामलीला मैदानों में बन रहे रावण मेघनाद और कुंभकरण के पुतले

-कई मुस्लिम कारीगर पुतले बनाने में जुटे, महंगाई से हो रही परेशानी

Meerut। पश्चिम उत्तरप्रदेश में कैराना से लेकर मुजफ्फरनगर तक भले ही धार्मिक टकराव की खबरों ने सुर्खियां बटोरी हो। लेकिन मेरठ शहर की रामलीलाओं में जहां सामाजिक समरसता का तानाबाना नजर आ रहा है। वहीं, रावण के पुतले भी आपसी सौहार्द का प्रतीक बने हैं। कई ऐसे मुसलमान कारीगर हैं जो इन दिनों रावण मेघनाद, कुंभकरण, आदि के पुतले बनाने में मशगूल हैं। साथ ही वे इस बात का भी संदेश दे रहे हैं कि आइए कटुता और कड़वाहट के रावण का इस बार दहन करें।

अट्टहास करेगा रावण

भैंसाली मैदान में इन दिनों दशहरे के मद्देनजर रावण के पुतले बनाने की तैयारियां तेज हैं। पुतला कारीगर असलम का कहना है कि वे इस बार अलग तरह का पुतला बना रहे हैं। जिसकी कई विशेषता है। 110 फीट के इस पुतले का रावण जोर जोर से अट्टहास करता नजर आएगा। साथ ही उसके होंठ हिलते नजर आएंगे। उन्होंने बताया कि उनके साथ करीब 10 से 15 लोग दिन रात मेहनत करके पुतला बना रहे हैं.वहीं, विजयदशमी के दिन बेहतरीन आतिशबाजी का नजारा भी देखने को मिलेगा। वहीं जिमखाना मैदान और रजबन में भी पुतला बनाने का कार्य तेज हो गया है।

महंगाई का दर्द

शहरभर की रामलीलाओं में कई कारीगर पुतला निर्माण में जुटे हैं। पुतला कारीगर असलम बताते हैं कि बीते कई सालों में महंगाई तो बढ़ गई है। लेकिन रामलीला कमेटियों ने उनके पैसों में कोई इजाफा नहीं किया है। उन्होनें कहा पुतला निर्माण में उपयोग होने वाले बांस, कागज और लेई भी महंगी हो गई है। बीते साल की अपेक्षा इस वर्ष दस से 15 फीसदी बढ़ोत्तरी हो गई है। जिससे महंगाई का दर्द उन्हें सालता है।

सियासत कराती है टकराव

पुतला कारीगर असलम बताते हैं कि राजनीति ही दो धर्मो के बीच टकराव कराती हैं। वरना शहर का तानाबाना तो दिलों को जोड़ता है। वे बताते हैं कि उनका पुश्तैनी कार्य ही हिंदू भाइयों के धार्मिक त्यौहारों से जुड़ा है। पुतला निर्माण से लेकर कांवड़ बनाने में उनका पूरा परिवार जुटता है। लिहाजा वे कभी अलग महसूस ही नहीं होते हैं। उनके बिना तो हमें अपना अस्तित्व ही अधूरा लगता है।