नई दिल्ली (पीटीआई/एएनआई)।  दशकों पुराने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में साेमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड समेत तमाम मुस्लिम पक्षों को लिखित नोट रिकार्ड कराने की अनुमति प्रदान की। साथ ही कहा गया है कि कोर्ट का फैसला देश के भविष्य की राजनीति को प्रभावित करेगा।  इसके बाद अयोध्या भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश किया। साथ ही मुस्लिम पक्षकार सीलबंद लिफाफे में दूसरे पक्ष द्वारा उठाए गए आपत्तियों पर जवाब दाखिल कर रहे हैं।


सीलबंद लिफाफे में नोट को लेकर आपत्ति जताई गई थी
मुस्लिम पक्षों के वकील ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय जजों के बेंच के समक्ष कहा कि उन्हें पांच-न्यायाधीश संविधान पीठ के फैसले के लिए मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को लेकर लिखित नोट रिकॉर्ड कराने की अनुमति दी थी। हालांकि विभिन्न पार्टियों व और कोर्ट रजिस्ट्री ने सीलबंद लिफाफे में नोट को लेकर आपत्ति जताई थी। ऐसे में हमने रविवार को सभी पक्षों के सामने उसे सार्वजनिक कर दिया। बता दें कि 40 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

 

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