- बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिमों के हक में आने की उम्मीद

- तीन तलाक कानून शरीयत में हस्तक्षेप, कोर्ट में बोर्ड देगा चुनौती

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रुष्टयहृह्रङ्ख : अयोध्या मसले पर उठ रही समझौते की आवाजों को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दरकिनार किया है। शनिवार को राजधानी में आयोजित हुई बैठक में बोर्ड ने अयोध्या मसले पर किसी भी समझौते से इन्कार कर दिया है। बोर्ड कार्यकारिणी की बैठक में उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद का फैसला मुसलमानों के हक में आएगा। तीन तलाक कानून को शरीयत में हस्तक्षेप मानते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय किया है। बोर्ड ने कहा कि समान नागरिक संहिता न सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों सहित अन्य समुदायों के लिए भी बड़ी दिक्कतें पैदा करेगा।

बोर्ड पुराने रुख पर कायम

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामला अंतिम चरण में है। वहीं, मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भी पिछले दिनों अयोध्या मसले का हल कोर्ट से बाहर किए जाने की मांग की थी। बुद्धिजीवियों ने कहा था कि यदि मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा जीत भी जाता है तो उसे यह जमीन हिंदुओं को दे देनी चाहिए। इसी के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कार्यकारिणी की बैठक अहम मानी जा रही थी। शनिवार को नदवा कॉलेज में हुई बैठक के बाद बोर्ड ने साफ किया कि अयोध्या मसले पर वह पुराने रुख पर कायम है। बोर्ड ने इस मसले पर किसी भी समझौते से इन्कार कर दिया है। बोर्ड ने कहा कि जो जमीन मस्जिद के लिए वक्फ कर दी जाती है उसे मुसलमान न तो किसी को दे सकते हैं और न ही उसे छोड़ सकते हैं। समझौते की पहले भी कई बार नाकाम कोशिशें हो चुकी हैं। बैठक में कहा गया कि बोर्ड के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ। राजीव धवन की अगुवाई में जो दलील व गवाह अदालत में पेश किए गए उससे पूरी उम्मीद है कि फैसला बाबरी मस्जिद के हक में आएगा।

समान नागरिक संहिता का करेंगे विरोध

मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में हुई बैठक में समान नागरिक संहिता के बारे में कहा कि यह देश के लिए किसी भी तरह से उपयुक्त नहीं है। बोर्ड इसका विरोध करेगा। बोर्ड ने केंद्र सरकार से भी इसे लागू न करने की मांग की। बैठक में तीन तलाक कानून पर भी विस्तृत चर्चा हुई। इस कानून को शरीयत में हस्तक्षेप मानते हुए इसका हर स्तर पर विरोध करने का निर्णय किया है। बोर्ड ने कहा कि इससे औरतों और बच्चों के हक भी प्रभावित होंगे। इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया जाएगा। बैठक में महासचिव मौलाना वली रहमानी, उपाध्यक्ष फखरुद्दीन अशरफ किछौछवी, जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, मौलाना महमूद मदनी, जफरयाब जीलानी, मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी और मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली समेत तमाम कार्यकारिणी सदस्य मौजूद रहे।

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मंत्री ने पर्सनल लॉ बोर्ड पर बोला हमला

-कहा, देश के खिलाफ और आतंकवाद के समर्थन में आवाज उठाता है बोर्ड

LUCKNOW (12 Oct): योगी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने शनिवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक पर ही सवाल उठा दिए। उन्होंने कहा कि जब राम मंदिर पर बड़ा फैसला आने वाला है, उस वक्त एक असंवैधानिक गैर सरकारी संगठन, जो देश के खिलाफ बोलता रहा है, हमेशा आतंकवाद के समर्थन में आवाज उठाता रहा है, उसका जलसा क्यों हो रहा है। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि आखिर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को कौन वित्त पोषित कर रहा है, उसे इसका जवाब देना होगा। नदवतुल उलमा को भी जवाब देना होगा कि छह माह में हैदराबाद के बाद लखनऊ में बोर्ड की बैठक क्यों हो रही है। आखिर इसका मकसद क्या है और इसके पीछे शामिल लोग क्या एजेंडा लेकर आये हैं।

पुरखों ने की देश के लिये जान न्योछावर

वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने रजा के बयानों का जवाब देते हुए कहा के मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत संस्था है। बोर्ड ने अपनी इस बैठक से पहले एजेंडा भी जारी किया था। उन्होंने रजा का नाम लिए बगैर कहा, 'उनको मालूम होना चाहिए कि पर्सनल लॉ बोर्ड में वे लोग शामिल हैं, जिनके पुरखों ने मुल्क की आजादी पर अपना सब कुछ न्योछावर किया है। बोर्ड ने मुल्क के खिलाफ न तो कभी कोई अपील की और न ही कोई काम किया है। बोर्ड मुल्क के संविधान के दायरे में रहकर काम कर रहा है.'