स्कूली दिनों का अनुभव

स्वरा ने अपने पीरियड्स के शुरुआती अनुभव और पिता के साथ हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि उस वक्त उन्हें वार्षिक लीडरशिप ट्रेनिंग कैंप में जाना था, जिसमें स्कूल की सभी कक्षाओं के मॉनिटर भाग ले सकते थे। एलटीसी एक प्रतिष्ठित कैंप था। उसमें केवल हर कक्षा से चुने गए प्रतिनिधि और दो मनोनीत विद्यार्थियों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता था। उसमें कई खेलों के अलावा शिक्षकों और अतिथियों के व्याख्यान होने थे। वे कुछ सालों से इसमें भाग लेने की उम्मीद कर रही थी और उस साल अंतत: वे कक्षा की एक निर्वाचित मॉनिटर थी। वे उसमें भाग लेने को लेकर उत्साहित थी। तभी स्कूल के बरामदे से गुजरते हुए उन्हें कुछ अहसास हुआ और देखने पर लाल धब्बा स्पष्ट नजर आने लगा। इसके बाद उनका सारा उत्साह ठंडा पड़ गया। दुखी होकर घर आने पर वो दोपहर के बाद से घर ही रहीं। शाम को जब उनके पापा घर लौटे तो उनका उतरा मुंह देख कर उनसे वजह पूछने लगे। तब स्वरा की मां न्यूयॉर्क में पीएचडी कर रही थीं, जिसकी वजह से उनके पापा के साथ उनकी हर बात पर अच्छी समझ विकसित हो गई थी।'

कुछ इस तरह किया समाधान

इसीलिए उन्होंने जब स्वरा से सवाल किया तो उन्होंने सब बता दिया कि कैसे अगले दिन और उसके एक दिन बाद होने वाले एलटीसी को उन्हें छोडऩा पड़ेगा। उन्होंने पूछा, क्यों ? स्वरा ने जवाब दिया कि क्योंकि कल से उनका मासिक धर्म शुरू हो रहा है। तो वो बोले इससे क्या हुआ? इ स्वरा ने जवाब दिया इसलिए वे नहीं जा सकती। उन्होंने फिर पूछा, क्यों? स्वरा ने का क्योंकि वे उनके शुरुआती दो दिन होंगे। उन्होंने फिर कहा, तो? इससे क्या? इस पर स्वरा ने कहा कि अपनी उस हालत में कठिन काम नहीं कर सकतीं। वेदौड़-दौड़कर खेल नहीं सकती। उनके पापा ने कहा इसका मतलब है कि तुम कहना चाहती हो कि ऐसे समय में तुम शारीरिक और मानसिक वजहों से शारीरिक गतिविधियों के लिए सक्षम नहीं हो? चिढ़ी स्वरा ने कहा कि हे भगवान, पापा आप समझते क्यों नहीं? यह चिढ़ पैदा करने वाला और तकलीफदेह है। यदि कुछ हो जाएगा तो क्या होगा? ये कुछ का डर पापा ने पकड़ा और स्वरा से कहा कि अभी तुम छोठटी हो और ये काफी समय तक हर महीने आने वाली समस्या तो क्या कुछ होने के डर से तुम अपनी जिंदगी की कई पसंदीदा चीजें हर बार दो दिन के लिए मिस कर दोगी। हासलाकि उन्होंने कहा कि वो उन्हें मां की तरह नहीं समझा सकते हैं पर उन्हें अपने शरीर और उससे जुड़ी प्राकृतिक बातों के लिए शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। इस तरह से महिला दिवस के मौके पर स्वरा भास्कर ने अपने पीरियड्स के शुरुआती अनुभव को बताया, जिसमें उनका आत्मविश्वास बढा़ने में उनके पिता का अहम रोल रहा।

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