क्यों मनाते हैं नवदुर्गा
शास्त्रों के अनुसार आदि शक्ति मां दुर्गा को समर्पित हैं नवरात्र के नौ दिन, जब माता दुर्गा अपने पति भगवान शिव की आज्ञा से अपनी माता के पास नौ रातें बिताने गयीं। इस अवसर पर लोग नाच गा कर और व्रत रह कर सेलिब्रेट करते हैं। हिंदुस्तान में दुर्गा पूजा का सबसे बड़ा उत्सव कोलकाता में होता है पर पड़ोसी मुल्क नेपाल में भीर नवरात्र और दशहरा धूमधाम से मनाया जाता है।
नारी शक्ति की अनदेखी
दुर्गापूजा का सबसे बड़ा मिथ तो ये ही है कि इसे नारी के शक्ति रूप को सम्मान करने के बावजूद स्त्रियां इसे डर और धर्मभीरुता के चलते सेलिब्रेट करती है।
नाखून और बाल ना काटें
दूसरा सबसे बड़ा मिथ है कि इन नौ दिन में बाल और नाखून काटना वर्जित है। सोचिए ये उत्सव है जो खुशहाली के लिए मनाया जाता है तो ऐसे में आप बड़े बड़े बालों और नाखुनों के साथ घूमें ये अच्छी बात है क्या।
कपड़े ना सिलें
एक भ्रम ये भी है कि इन दिनों कपड़ों में सिलाई नहीं करनी चाहिए। लीजिए अब नए कपड़े पहनना तो खुशियों का प्रतीक है ऐसे में ये तो सबसे बड़ा छलावा हुआ ना कि आप कपड़े ना सिलें और ना ही सिलवायें।
पड़ेवा को करें सोच समझ कर कार्य करना पड़ेगा पूरे साल
जीहां पड़ेवा यानि नव रात्र का पहला दिन कहते हैं इस दिन कोई भी कार्य सोच समझ कर करें नहीं तो पूरे साल वही काम करना पड़ेगा। तो इस दिन पैसों का लेन देन मना होता है। घर से निकलना मना होता है। पर ऐसा क्या वाकई संभव है और इसका कोई तर्क हो सकता है।
शराब और मांसाहार से बचें
हालाकि नशाखोरी एक बुरी आदत है इससे बचना चाहिए और आप क्या खायें ये आपकी पसंद और सेहत के हिसाब से होना चाहिए पर ये पूरी तरह भ्रम है कि आपको नवरात्र के दौरान शराब और नॉनवेज से दूर रहना चाहिए। खाना पीना शौक और परिस्थिती के चलते बदला जाता है रूढ़ि के तहत नहीं।
पढाई ना करें
सबसे गलत बात तो ये है कि इस दौरान छात्रों को पढ़ाई नहीं करनी चाहिए। खास कर पड़ेवा और दशहरे के रोज अब आप ही बताइए। देवी का एक रूप सरस्वती भी है जो ज्ञान और विद्या की देवी हैं सोचिए कैसे वो पढ़ाई करने से किसी को रोक सकती हैं।
अल-सुबह नहायें और मंत्रों का जाप करें
भक्ति में बड़ी शक्ति होती है और आप अपनी सुविधा के अनुसार जब चाहे नहा सकते हैं पर इन नवरात्र के दौरान हल्की ठंड की शुरूआत हो जाती है। ऐसे में बुजुर्गों और बचचों के लिए सुबह सवेरे नहाना सेहत के लिए ठीक नहीं होता। शुद्धता अच्छी बात है पर उसको किसी कंडीशन के साथ जोड़ने का क्या मतलब। ऐसा ही मंत्रो के जाप के साथ है भक्ति मन से होती है जबरन जाप करने से नहीं।
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