सिओल (एपी)। उत्तर कोरिया ने फिर से गुरुवार को परमाणु परिक्षण करने और लंबी दूरी वाली मिसाइलें बनाने की धमकी दी है। उसका कहना है कि उसके हालिया बैलिस्टिक मिसाइल और अन्य हथियारों के परीक्षण को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुछ सदस्यों द्वारा जमकर निंदा की गई। इस निंदा के लिए उसने सीधे तौर पर अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है। बता दें कि यह चेतावनी उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय द्वारा दी गई है। पिछले सप्ताह स्वीडेन में अमेरिका और उत्तर कोरिया ने परमाणु वार्ता को लेकर अपनी सहमति व्यक्त की थी। खास बात यह है कि सात महीने में पहली बार दोनों देशों के बीच इस तरह की वार्ता पर सहमति बनी थी लेकिन फिर से उसपर पानी फिर गया है।

अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए उत्तर कोरिया ने दी चेतावनी

उत्तर कोरिया ने कहा कि वार्ता पर सहमति नहीं बन पाई है क्योंकि अमेरिका के पास कोई नया प्रस्ताव नहीं था। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया की धमकी अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए एक रणनीति हो सकती है क्योंकि इसके जरिए दोनों देशों के बीच बातचीत की संभावना बढ़ जाएंगी। बता दें कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूरोपीय सदस्यों ने उत्तर कोरिया के हालिया परीक्षणों को दुनिया के लिए खतरनाक बताया था और इसकी खूब निंदा की थी। इसपर उत्तर कोरिया ने अपनी सफाई में कहा कि वे मिसाइलों का परीक्षण आत्मरक्षा के लिए कर रहे हैं। इस दौरान उत्तर कोरिया ने यह भी कहा कि हमारे धैर्य की एक सीमा है और निंदा उत्तर कोरिया पर अमेरिका से होने वाले बातचीत को लेकर पुनर्विचार करने पर जोर दे रही है। बता दें कि परमाणु हथियार के निर्माण को रोकने को लेकर अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच काई बार बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। अमेरिका से बातचीत होने के बाद उत्तर कोरिया 6 से अधिक बार मिसाइल परीक्षण कर चुका है। 

उत्तर कोरिया ने पहले अमेरिका को दिया बातचीत का ऑफर, फिर टेस्ट की दो मिसाइल

ट्रंप और किम तीन बार कर चुके हैं बैठक

बता दें कि ट्रंप और किंग जोंग अब तक तीन बार बैठक कर चुके हैं। जून, 2018 में ट्रंप और किम ने सिंगापुर में अपना पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया था, जहां दोनों ने कोरियाई प्रायद्वीप पर परमाणु नष्ट करने पर सहमति जताई थी। इसके बाद दूसरा शिखर सम्मेलन फरवरी, 2019 में हनोई में आयोजित किया गया लेकिन बैठक विफल रही क्योंकि दोनों नेता अपनी परेशानियों का हल ढूंढ़ने में असमर्थ रहे। दरअसल, अमेरिका चाहता था कि उत्तर कोरिया तत्काल प्रभाव पर अपने परमाणु हथियारों नष्ट करे लेकिन किम जोंग ने इसके बदले में ट्रंप के सामने प्योंयांग में लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को तुरंत हटाने की शर्त रख दी थी। यही कारण रहा कि दोनों नेताओं के बीच किसी मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद ट्रंप जुलाई में दक्षिण कोरिया की यात्रा पर गए थे, इस दौरान भी सीमा पार करके उन्होंने किम जोंग से मुलाकात की।

International News inextlive from World News Desk