कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Nag Panchami 2021 नाग पंचमी का पर्व हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में एक माना जाता है। यह सावन माह की शुक्ल पक्ष पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। सामान्यतः नाग पंचमी का पर्व हरियाली तीज के दो दिवस बाद आता है। दृक पंचाग के मुताबिक वर्तमान में नाग पंचमी अंग्रेजी कैलेण्डर में जुलाई अथवा अगस्त माह में आती है। इस पावन पर्व पर, स्त्रियां नाग देवता की पूजा करती हैं तथा सर्पों को दूध अर्पित करती हैं। इस दिन स्त्रियां अपने भाइयों तथा परिवार की सुरक्षा के लिये प्रार्थना भी करती हैं। नाग पंचमी सम्पूर्ण भारत में, हिन्दुओं द्वारा की जाने वाली नाग देवताओं की एक पारम्परिक पूजा है।

इस दिन इन बारह नागों की पूजा की जाती

हिंदू कैलेंडर में नाग देवताओं के पूजन हेतु कुछ विशेष दिन शुभ माने जाते हैं तथा श्रावण माह की पंचमी तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि सर्पों को अर्पित किया जाने वाला कोई भी पूजन, नाग देवताओं के समक्ष पहुंच जाता है। इसलिये लोग इस अवसर पर, नाग देवताओं के प्रतिनिधि के रूप में जीवित सर्पों को पूजते हैं। सर्पों को हिंदू धर्म में पूजनीय माना गया है। हालांकि अनेक प्रकार के नाग देवता होते हैं, किन्तु नाग पंचमी पूजन के समय निम्नलिखित बारह नागों की पूजा की जाती है। इसमें अनन्त, वासुकि, शेष, पद्म, कम्बल, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शङ्खपाल, कालिया, तक्षक और पिङ्गल हैं।

कुछ लोग नाग पंचमी से एक दिन पूर्व उपवास रखते

वहीं नागों को लेकर कहा जाता है कि यदि प्रतिदिन प्रातःकाल नियमित रूप से इनका जप किया जाता है, तो नाग देवता समस्त पापों से सुरक्षित रखेंगे तथा आपको जीवन में विजयी बनायेंगे। कुछ लोग नाग पंचमी से एक दिन पूर्व उपवास रखते हैं, जिसे नाग चतुर्थी अथवा नागुला चविथी के रूप में जाना जाता है। आन्ध्र प्रदेश में नाग चतुर्थी अथवा नागुला चविथी दीपावली के ठीक बाद मनायी जाती है तथा तमिलनाडु में मनाये जाने वाले छह दिवसीय उत्सव सूर सम्हारम के साथ मेल खाती है। इसके अलावा गुजरात में नाग पंचमी, अन्य राज्यों की तुलना में 15 दिन मनायी जाती है। उत्तर भारत में यह काफी प्रसिद्ध है।

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