-सीवर सफाई के दौरान 11 नवंबर को चाचा-भतीजा की हुई थी मौत, -अनट्रेंड मजदूर मैनहोल में उतरते बगैर सुरक्षा उपकरण

चार में सीवर सफाई के दौरान चार युवकों ने जान गंवा दी है। जांच कुछ दिनों तक चली उसके बाद फाइल बंद हो गयी। इन हादसों के लिए जिम्मेदार कौन है यह आज तक तय नहीं हो सका। सबसे बड़ा सच यह है कि स्मार्ट सिटी बनारस में सीवर की सफाई दशकों पुराने तरीके से होती है। बिना प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरण के गहरे सीवर लाइन में सफाई को उतारने वाले मजदूर अपनी जान पर खेलते हैं। नियम के मुताबिक मजदूरों को सुरक्षा उपकरण के तहत बूट, दस्ताना, हैट, मास्क आदि अवेलेबल कराया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता है। यही कारण है कि जब मजदूर सफाई के लिए मैनहोल में उतरते हैं तो हादसे के दौरान संभलने तक का उन्हें मौका नहीं मिलता है।

गयी थी चाचा-भतीजा की जान

11 नवंबर को चौकाघाट एरिया में दीनापुर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पंपिंग स्टेशन से जुड़े सीवर टैंक की सफाई के दौरान चाचा-भतीजा विकास पासवान और दिनेश पासवान की मौत हो गई थी। कई घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद एनडीआरएफ ने रेस्क्यू कर शव को बाहर निकाला था। चार माह भी ठीक से नहीं बीता कि शनिवार शिवपुर निवासी चंदन और मोतिहारी, बिहार निवासी राजेश की सीवर सफाई के दौरान मौत हो गई। स्मार्ट सिटी में शामिल नगर निगम के अमूमन प्रत्येक वॉर्डो में हर महीने ऐसी घटनाएं घटित होती रहती हैं जिसमें मजदूर व संविदा पर तैनात सफाई कर्मचारी हॉस्पिटल तक पहुंचते रहते हैं।

नहीं होती है मानिटरिंग

सीवर सफाई के दौरान संबंधित जेई व जिम्मेदार ठेकेदार को बराबर मॉनिटरिंग को निर्देशित किया जाता है। मगर, अधिकतर सीवर लाइन सफाई कार्यो में मौके पर न तो ठेकेदार दिखाई देते हैं और न ही जेई का अता-पता चलता है। सिर्फ मुंशी के तौर पर एक स्टाफ के हवाले सब सौंप दिया जाता है। कुछ सफाईकर्मी तो लंबे समय से परिवार में लोगों को देखते हुए सफाई करते है तो कुछ बगैर जानकारी के सीवर पाइप लाइन में उतर जाते है।

दबंग हैं ठेकेदार

शहर में सीवर सफाई कार्य का जिम्मा ठेकेदारों को सौंप दिया गया है। ऐसे ठेकेदार दबंगई से काम कराते हैं और मौके पर अधिकारियों को फटकने नहीं देते है। इसे लेकर पहले भी अधिकारियों ने शिकायत भी दर्ज कराई थी। हालांकि प्रभावी और सफेदपोश की शरण में रहने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कोई जेई या अन्य अधिकारी जाने की हिम्मत नहीं है।

एक नजर

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किमी लंबी है बनारस में सीवर लाइन

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मजदूर करते हैं सीवर की सफाई है पूरे शहर की सीवर सफाई व्यवस्था

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करोड़ से अधिक है सीवर सफाई का सालाना बजट