जीआईएस से भवनों की मैपिंग का काम शुरु
- अभी 35 हजार भवनों की जा चुकी है मैपिंग
- मैपिंग के बाद नहीं हो पाएगी गड़बड़ी
- बुधवार को हुई मीटिंग में की गई सीमक्षा
आगरा। अगर आप भी हाउस टैक्स की चोरी कर रहे हैं या फिर कम टैक्स भर रहे हैं तो यह खबर आपको सावधान कर सकती है। दरअसल, टैक्स की वसूली के लिए नगर निगम इस समय आपके मकानों की मैपिंग करा रहा है। वह इस कार्य के लिए जीआईएस (जियोग्राफिक इंफोरमेशन सिस्टम) का सहारा ले रहा है। इससे निगम आपकी पूरी प्रॉपर्टी की जानकारी हासिल कर लेगा और आप हाउस टैक्स से बच नहीं पाएंगे। जीआईएस के तहत अभी तक 35 हजार भवनों की मैपिंग की जा चुकी है।
निजी कंपनी से कराया जा रहा सर्वे
इस बारे में मुख्य कर निर्धारण अधिकारी एके सिंह ने बताया कि ओम साई कंस्ट्रक्शन कंपनी से शहर में हाउस का सर्वे कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शहर में नगर निगम की सीमा में 3 लाख 8 हजार हाउस होल्ड हैं, लेकिन प्रॉपर्टी की सही जानकारी न होने के कारण नगर निगम को हाउस टैक्स के नाम पर राजस्व की हानि हो रही है। दरअसल, अभी तक लोग अपनी प्रॉपट्री की सही तरीके से जानकारी उपलब्ध नहीं कराते हैं। यदि 500 वर्ग मीटर में आवास बना हुआ है, तो वह 200 वर्ग मीटर के हिसाब से ही हाउस टैक्स जमा करवाते थे। अगर हाउस टैक्स 800 रुपये बन रहा है तो भवन स्वामी द्वारा केवल 400 रुपये ही जमा कराए जाते थे। बता दें कि जियोग्राफिक इंफोरमेशन सिस्टम की व्यवस्था आगरा समेत पूरे प्रदेश में लागू की जा रही है।
सपंत्तियों में हुआ इजाफा पर राजस्व में नहीं
नगर निगम में प्रॉपट्री संपत्तियों में तो इजाफा हुआ है, लेकिन उसके अनुरूप नगर निगम के राजस्व में इजाफा नहीं हो सका। इसी को ध्यान में रखते हुए जीआईएस मैपिंग कराई जा रही है। बता दें कि नगर निगम में अभी बहुत सी संपत्तियों का ब्यौरा तक दर्ज नहीं है। पहले नगर निगम की सीमा में 90 वार्ड आते थे। नगर निगम की सीमा विस्तार के बाद अब इनकी संख्या बढ़कर 100 हो गई है। ऐसे में भवनों और संपत्तियों में भी इजाफा हुआ है, लेकिन रेवेन्यू प्राप्त नहीं हो पा रहा है।
यहां से नहीं मिला हाउस टैक्स
बता दें कि शहर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां से हाउस टैक्स प्राप्त ही नहीं हो पाता है। इसमें ढोलीखार, मंटोला, सदर भट्टी, कंगालपाड़ा, घटिया मामू भांजा, नाई की मंडी, नाला कंसखार, नाला डेरा सरस, नाला चून पचान, काजीपाड़ा आदि ऐसे इलाके हैं, जहां से वसूली नहीं हो पाती है। ऐसे में निगम को काफी नुकसान हो रहा है।
नगर निगम के अफसर अभी तक टारगेट तय करने में ही उलझे
वसूली की किसको कितनी जिम्मेदारी
अबरार हुसैन कर अधीक्षक
राजस्व निरीक्षक डिमांड करोड़ में भवनों की संख्या
मनीलाल राजस्व निरीक्षक 1.40 7058
प्रदीप भास्कर 1.85 6857
जीवेन्द्र प्रकाश 2.40 6093
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कुल 5.65 करोड़ 20008
वीर राज सिंह कर अधीक्षक
कु। दीपा पाण्डेय 1.70 7598
आकाश दीप 2.00 5179
मेहबूब खान 1.90 8907
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कुल 5.60 21704
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नगर निगम के अफसरों की मानें तो वर्ष 2018-19 का 16 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसमें 15 करोड़ वसूल करने का दावा किया जा रहा है। अभी तक एक करोड़ की वसूली नहीं हो सकी है।
जीआईएस की प्रगति को लेकर समीक्षा की गई। कंपनी को 18 महीने में काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
विनोद कुमार सहा। नगर आयुक्त
शहर के आवासों की गूगल मैपिंग की जा रही है। ऑनलाइन व्यवस्था होने से नगर निगम के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। कुछ लोग अपनी प्रॉपट्री को लेकर सही जानकारी नहीं देते हैं। इस व्यवस्था के लागू होने पर गड़बड़ी पर लगाम लग सकेगी।
नवीन कंसल
किसी भी प्रकार का निगम का टैक्स हो। सभी को ऑनलाइन किया जाए। गूगल मैपिंग से हमें कोई नुकसान नहीं। जो टैक्स छुपाते हैं, वो ऐसा नहीं कर पाएंगे। ऑनलाइन व्यवस्था होने से तो पब्लिक को फायदा होगा।
लता जैन
नगर निगम हाउस टैक्स तो लेने की बात करता है, लेकिन पब्लिक को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाता है। हम तो ये कहते हैं, कि टैक्स लो, लेकिन समस्याओं की ओर भी तो ध्यान दो।
सुनील कुमार