- एक साल पहले नगर निगम ने जिला प्रशासन को लिखा था पत्र

- धारा 133 के तहत कार्रवाई का किया था अनुरोध

>rajneesh.kumar@inext.co.in

एक ओर जहां बडे़ भूकंप को लेकर वैज्ञानिक लगातार चेतावनी दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देहरादून में ब्भ् जर्जर भवन बड़ी तबाही मचा सकते हैं। कमाल यह है कि नगर निगम जहां एक साल पहले प्रशासन को पत्र लिखकर अपना पल्ला झाड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन इसे नगर निगम का काम बता रहा है। पिछले एक साल से जर्जर भवनों पर कार्रवाई पत्र लिखने से आगे नहीं बढ़ पाई है।

जिला प्रशासन को लिखा था पत्र

दून के चिह्नित ब्भ् पुराने जर्जर भवनों को ध्वस्त करने में नाकाम रहे नगर निगम ने पिछले साल गेंद जिला प्रशासन के पाले में डाल दी थी। निगम ने पत्र खिलकर एसडीएम सदर को सीआरपीसी की धारा क्फ्फ् के तहत ऐसे भवनों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था और कहा था कि यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई तो जानमाल का बड़ा नुकसान हो सकता है।

नेपाल त्रासदी के बाद अाई थी याद

पिछले साल नेपाल में भूकंप ने तबाही मचाई तो देहरादून नगर निगम को सिटी में जर्जर भवनों की याद आई। जर्जर भवनों की फाइल फिर से निकाली गई। इन भवनों को कानूनी अड़चनों व अन्य विवादों के कारण निगम खाली करवा कर ध्वस्त नहीं करा सका था। इसके बाद ही नगर निगम की ओर से प्रशासन को पत्र लिखकर कार्रवाई के लिए कहा गया।

जर्जर भवन मचा देंगे तबाही

नगर निगम इस बात को अच्छे से जानता है कि यदि बड़ा भूकंप आता है तो देहरादून में सबसे पहले यह जर्जर भवन ही बड़ी तबाही मचाएंगे। पिछले वर्ष तत्कालीन एसडीएम सदर रामजी शरण शर्मा को पत्र लिख कर इन भवनों के खिलाफ नोटिस देकर गिराने की मांग की गई थी।

दिया था प्रावधान न होने का हवाला

नगर निगम ने प्रशासन को पत्र लिखकर तर्क दिया था कि उनके पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि वो जबरन इन जर्जर भवनों को खाली करा सके। जबकि सीआरपीसी की धारा क्फ्फ् के तहत जिला प्रशासन ये कार्रवाई कर सकता है।

आपदा प्रबंधन ने भेजी थ्ाी रिपोर्ट

नगर निगम ने आपदा प्रबंधन से सिटी में सर्वे कराया था। इस सर्वे में सिटी में करीब ब्भ् भवनों को जर्जर श्रेणी में रखा गया था। ऐसे में इनके गिरने की आशंका जताई गई थी।

----

पिछले वर्ष आपदा प्रबंधन से सर्वे कराया गया था। इसमें करीब ब्भ् जर्जर भवन चिह्नित किए गए थे। इन्हें गिराने के लिए प्रशासन को सूची भेजी गई थी, लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से कोई जबाव नहीं आया है।

--नितिन भदौरिया, नगर आयुक्त, नगर निगम

--

मामले में कार्रवाई नगर निगम को ही करनी है। जिला प्रशासन बस मजिस्ट्रेट व पुलिस ही उपलब्ध करा सकता है। इस संबंध में नगर निगम अधिकारियों से बात की जाएगी।

--रविनाथ रमन, डीएम, देहरादून