नोट-पढ़ी नहीं गई है
- फॉलो नहीं हो रहे बॉयो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल नॉर्मस
- ऐसे हॉस्पिटल्स को चिन्हित कर उन्हें नोटिस भेज रहा नगर निगम
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मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल के नॉर्मस की अनदेखी करने वाले हॉस्पिटल्स अब नगर निगम के राडार पर है। ऐसे प्राइवेट हॉस्पिटल्स को नोटिस जारी करने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग बड़ा एक्शन लेने के मूड में है। ऐसे मेडिकल इंस्टीट्यूशन को चिन्हित किया जा रहा है। इसके बाद कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट बनाकर भेजी जाएगी।
बिगाड़ रही सेहत
मेडिकल वेस्ट सड़कों, गलियों, कंटेनर अथवा कूड़ाघर में फेंक दिया जाता है। कुछ ऐसे भी बड़े हॉस्पिटल हैं जो अपना मेडिकल वेस्टेज दूर दराज के इलाकों में निस्तारण कराते हैं। इन हॉस्पिटल और डायग्नोस्टिक सेंटर के पास मेडिकल वेस्टेज के डिस्पोजल का कोई प्लांट भी नहीं है। वहां आस पास रहने वालों के सेहत पर इसका बुरा असर पड़ रहा है।
क्या है नुकसान
डब्ल्यूएचओ स्टैन्डर्ड के अनुसार हॉस्पिटल से निकलने वाले बॉयो वेस्ट का असर पब्लिक की सेहत पर पड़ता है। संक्रामक जनित रोग में इनका परसेंट बढ़ जाता है। इसके अलावा दोबारा यूज हुई सिरिंज प्रभावित बीमारी कम से कम चार स्वस्थ्य व्यक्ति को इफेक्टेड करती है। मानक के अनुसार हर बेड से ढाई सौ ग्राम तक बायो वेस्ट निकलता है।
हाईलाइटर
- 309
मेडिकल इंस्टीट्यूशन
- 200
हॉस्पिटल
- 40
लैब
- 69
डायग्नोस्टिक सेंटर
रूल
- पहले चार अलग - अलग करल के डिब्बों में बायो वेस्ट का सेग्रीगेशन
- केमिकल से वेस्ट को डिस्पोजल करना
- ठोस वेस्ट को 8 सौ डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में जलाना ताकि वातावरण में उसका असर न दिखे
गाइड लाइन
- सुप्रीम कोट ने वर्ष 1998 में जारी किया गाइड लाइन
- वर्ष 2016 में नियम में हुआ था कुछ बदलाव
आफिसियल वर्जन
ऐसे हॉस्पिटल को चिन्हित कर उन्हें नोटिस दी जा चुकी है। अगर वो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण में कोई लापरवाही करते है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
एके दूबे, नगर स्वास्थ्य अधिकारी