-बस बोल रही थी मुझे मरना है, तीन साल से बीमारी से है परेशान,

-स्थानीय लोगों ने बचाया, महिलाओं ने पेश की इंसानियत की मिसाल

BAREILLY: ट्यूजडे सुबह अचानक नकटिया पुल से एक महिला ने नदी में छलांग लगा दी। लोगों के शोर मचाने पर स्थानीय लोगों ने किसी तरह से महिला को नदी से बाहर निकाला। इस दौरान वह कहे जा रही थी कि मुझे मर जाने दो, लेकिन बाद में वह बेहोश हो गई। करीब 5 घंटे बाद हॉस्पिटल में होश आने पर महिला ने बीमारी से परेशान होने पर सुसाइड का कदम उठाने की बात कही। वहीं दूसरी ओर महिला को बचाने के लिए दूसरे धर्म की महिलाओं ने इंसानियत की मिसाल पेश की लेकिन एक बार फिर से सरकारी मशीनरी की लेटलतीफी देखने को मिली।

तीन साल से चल रहा इलाज

45 वर्षीय शाहीन लाल मस्जिद बाग मरकद अली बारादरी में रहती है। घर में पति आफताब व दो बेटे हैं। पति फ्रूट सेलर है। शाहीन को तीन साल से शरीर में कंपकपी की बीमारी है। उसका लगातार इलाज चल रहा है लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है। जिससे वह परेशान हो गई और उसने सुसाइड का प्लान किया। ट्यूजडे सुबह जब पति व बच्चे घर से काम के लिए निकल गए तो वह रिक्शा से नकटिया के लिए निकल गई।

अचानक लगा दी छलांग

स्थानीय लोगों के मुताबिक सुबह करीब 10 बजे महिला पुल के आसपास टहल रही थी। अचानक उसने नदी में छलांग लगा दी। नदी में पानी कम था, जिसके चलते वह डूबी नहीं। लोगों के शोर मचाने पर वहां से गुजर रहे लोगों के साथ स्थानीय लोग पहुंच गए और नदी में जाकर महिला को बाहर निकाला।

देर से पहुंची पुलिस व एंबुलेंस

महिला को नदी से निकालते वक्त दूसरी ओर एक सिपाही मौजूद था, लेकिन वह कुछ देर बाद अचानक गायब हो गया, जिसके चलते लोगों में गुस्सा हो गया। जब मामले की सूचना नकटिया चौकी इंचार्ज को मिली तो उन्होंने सिपाहियों को भेजा, लेकिन तब तक करीब 20 मिनट का वक्त बीत चुका था। मौके पर पहुंचे सिपाही ने 108 एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन एंबुलेंस भी करीब आधा घंटा बाद पहुंची। यही नहीं मौके पर पहुंचे एंबुलेंस कर्मचारियों में किसी ने ड्रेस नहीं पहनी थी। इसके अलावा उन्होंने महिला को बिना किसी शख्स के साथ न चलने के चलते महिला को हॉस्पिटल ले जाने में आनाकानी की लेकिन लोगों के कहने पर महिला को हॉस्पिटल पहुंचाया गया।

इंसानियत रही आगे

अक्सर लोग धर्म को लेकर झगड़ा करते रहते हैं लेकिन नकटिया नदी से महिला को बाहर निकालने और फिर उसकी मदद करने वालों ने धर्म से पहले इंसानियत का धर्म निभाया। मुस्लिम महिला की जान बचाने के लिए कई हिंदू महिलाएं उसके शरीर में गर्मी लाने के लिए हाथ-पैर रगड़ने लगी। महिलाओं ने ही उसके गीले कपड़े उतारे और फिर एक महिला ने नए कपड़े लाकर महिला को पहना दिए। महिलाओं के देसी इलाज के चलते ही महिला की जान बच सकी।