- एकेयू के नैनोसाइंस डिपार्टमेंट में हुए हैं कई रिसर्च

- कैंसर सहित कई बीमारियों की दवा में नैनोसाइंस का अहम रोल

PATNA : हेल्थ के क्षेत्र में नैनोसाइंस संजीवनी के तौर पर सामने आ रहा है। इससे पटनाइट्स की लाइफलाइन बदलने वाली है। जहां कई जटिल बीमारियों के लिए लोगों को विकल्प नहीं मिल पाता था। वहीं, नैनोसाइंस में हुए डेवलपमेंट से विकल्प मिल रहा है। पटना स्थित आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी के नैनोसाइंस डिपार्टमेंट में नैनोमेडिसीन और इसके अप्लीकेशन पर कई रिसर्च हुए हैं। ये रिसर्च इस क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हैं। जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है। अब तक हल्दी, करैला, अंडा के सेल सहित कई प्रकार के मेटल पार्टिकल पर भी रिसर्च हुए हैं और मेडिकल जगत सहित अन्य क्षेत्रों में इसका असर पता चला है। इसमें से कई रिसर्च देश के अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ मिलकर भी किया गया है।

आम मेडिसिन से अलग है 'नैनो'

नैनोसाइंस डिपार्टमेंट के एकेडमिक हेड डॉ राकेश कुमार सिंह ने बताया कि जहां आम मेडिसीन का प्रभाव पूरे शरीर पर होता है जबकि नैनोमेडिसीन का प्रभाव जहां समस्या है केवल वहीं बेहद सटीक तरीके से होता है। आयुर्वेद के भस्म बनाने में भी नैनो साइंस का ही अप्लीकेशन है।

टीबी के बैक्टीरिया पर वार

नैनोसाइंस डिपार्टमेंट में टीबी की बीमारी के लिए जिम्मेदार खतरनाक बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकने में मदद मिली है। यह बेरियम हेक्सा फेराइट के नैनो पार्टिकल के अप्लीकेशन पर रिसर्च करने के बाद संभव हो सका है। करीब डेढ़ साल तक चले इस रिसर्च के रिजल्ट में पाया गया कि यह टीबी से संबंधित मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट यानि एमडीआर की समस्या का तोड़ निकालने में कारगर है। एकेयू के नैनोसाइंस डिपार्टमेंट के पूर्ववर्ती छात्र एवं रिसर्चर डॉ अभय कुमार अमन ने बताया कि जहां एमडीआर के मामले में कोई ड्रग टीबी के रोगी पर काम नहीं करता है वहीं, बेरियम हेक्सा फेराइट में मौजूद चुम्बकीय गुणों से इसके बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकने में सकारात्मक परिणाम मिले। रिसर्च टीम में डॉ राकेश कुमार (एकेयू), डॉ अभय कुमार (एकेयू), अर्पिता भट्ट, बीएन मिश्रा, (बॉयोटेक डिपार्टमेंट अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विवि.), पीके सेठ (बायोटेक पार्क, लखनऊ), और प्रो टीएन ढोल (पीजीआई लखनऊ) शामिल रहे।

कैंसर सेल को खत्म करता हैं हल्दी

हल्दी के नैनो पार्टिकल से डायबिटिज में भी अच्छे परिणाम मिले हैं। एकेयू के नैनोसाइंस डिपार्टमेंट के लैब में हल्दी के छोटे-छोटे टुकडे़ को नैनो पाउडर में बदला गया। इस दौरान इसके पार्टिकल साइज का अध्ययन किया गया। इसके सैंपल को महावीर कैंसर संस्थान और पीजीआई लखनऊ में भेजा गया। इसकी टेस्टिंग चूहों के कैंसर सेल पर किया गया। इसमें यह पता चला कि यह कैंसर सेल नष्ट करने में कारगर है। इसी प्रकार, गिनी पिग पर भी हल्दी के नैनो पार्टिकल का अध्ययन किया गया। इसमें पता चला कि यह चूहा में इंसुलिन प्रोडक्शन को बढ़ाने में सहायक है। इस प्रकार, यह डायबिटिज के लिए उपयोगी साबित हुआ। डॉ अभय ने बताया कि इस रिसर्च को बेस मानते हुए बीएचयू में भी ऐसे रिसर्च किए गए।

करैला भी असरदार

एकेडमिक हेड डॉ राकेश कुमार सिंह और रिसर्च स्कॉलर रहे डॉ अभय कुमार अमन ने बताया कि करैला का नैनोपार्टिकल डेवलप किया गया, जो कि सामान्य करैला का मॉलीक्यूल स्ट्रक्चर से बिल्कुल भिन्न पाया गया। इसके नैनो पार्टिकल कैंसर के सेल को ग्रोथ करने से रोकने में सहायक है। रिसर्च के दौरान जैसे-जैसे इसका पार्टिकल छोटा किया गया तो पता चला कि इसकी चुम्बकीय शक्ति बढ़ती गई।

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नैनोसाइंस के कई अप्लीकेशन हैं। मेडिसीन में इसकी टारगेटेड और इफेक्टिव डिलेवरी इसकी खासियत है। यहां डिपार्टमेंट में कई बेसिक रिसर्च हुए हैं और इससे नए रिसर्च में भी मदद मिलेगी।

- डॉ राकेश कुमार सिंह, एकेडमिक हेड, नैनोसाइंस डिपार्टमेंट, एकेयू