फ्लैग : पांच नाथ मंदिरों में पौराणिक वाटिकाएं लगाने वाला देश का पहला सिटी बनेगा बरेली

- पंच वाटिका, राशि वन, सप्तर्षि वन, नवग्रह वाटिका और नक्षत्र वाटिका होंगी डेवलेप

बरेली। नाथ नगरी बरेली के पांच नाथ मंदिरों का कायाकल्प किया जाएगा। इन मंदिरों में पंच वाटिका, राशि वन, सप्तर्षि वन, नवग्रह वाटिका और नक्षत्र वाटिका डेवलेप की जाएंगी। इन वाटिकाओं में पौराणिक महत्व वाले अलग-अलग पौधे रोपे जाएंगे। ऐसा होने से यहां आने वाले श्रद्धालु पौराणिक मान्यताओं को देखकर महसूस कर सकेंगे। ऐसा होने पर बरेली देश का पहला ऐसा शहर होगा जहां पौराणिक वाटिकाएं होंगी। इसके लिए बीडीए ने सर्वहित कल्याण सेवा समिति मेरठ के सहयोग से प्रस्ताव तैयार किया है। बीडीए वीसी दिव्या मित्तल का कहना है कि वाटिका विकसित करने के साथ मंदिरों के तालाबों को साफ किया जाएगा। साथ ही चढ़ावे में चढ़ने वाले फूल-पत्तों से ऑर्गेनिक खाद तैयार कराने की भी योजना है। जल्द ही यहां काम भी शुरू हो जाएगा।

गोबर से तैयार होगी लकड़ी

बीडीए ने पेड़ों और पर्यावरण को बचाने और के लिए गोबर की लकड़ी बनाने की जिम्मेदारी ग्रीन रेवोल्युशन फाउंडेशन को दी है। जो मंदिर एरिया और गोशाला में पड़े गोबरों की मदद लकड़ी तैयार करेंगे। इसका अभी हवन में उपयोग किया जाएगा। बाद में दाहसंस्कार के लिए भी उपयोग किया जाएगा। इससे प्रदूषण काफी कम होगा। बीडीए के इस प्रस्तावों से रोजगार के भी अवसर बेरोजगारों को मिलेंगे।

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ऐसी होंगी पौराणिक वाटिकाएं

अलखनाथ मंदिर में होगी पंचवटी

यहां की पंच वाटिका में औषधीय गुण वाले आवला, बरगद, पीपल, बेल, अशोक आदि के पेड़ लगाए जाएंगे।

महत्व : ये सभी पेड़ एयर पॉल्यूशन को कम करने में काफी मददगार होते हैं। साथ ही इन पेड़ों पर अलग-अलग समय पर फल फूल मिलने से जीव-जंतुओं को हमेशा भोजन मिलता रहता है। आश्रय भी मिलता है।

तपेश्वर नाथ में राशि वन

यहां राशि वन का निर्माण होगा, जो 27 नक्षत्र और 12 राशियों में बंटा होगा। इसके आधार पर यहां जामुन, खैर, गूलर, बांस, अनार, नीम, आम, महुआ, आवला, कुचला, पीपल और नागकेसर के पेड़ लगाए जाएंगे।

मान्यता : यह ज्योतिष शास्त्र और मानव की गतिविधियों को उनकी राशि से जोड़ेगा।

बनखण्डी नाथ में सप्तर्षि वन

मंदिर के एरिया में सप्तर्षि वन का निर्माण किया जाएगा, जिसमें ऋषि कश्यप, भारद्वाज, जमदग्नि, वशिष्ठ और गौतम ऋषि से संबंधित पौधों को लगाकर सप्तर्षि वन डेवलेप किया जाएगा। इन पौधों में तुलसी, अगस्त्य, चिड़चिड़ा, दूब, बेल, शमी, धतूरा आदि शामिल हैं।

मान्यता : इन सात ऋषियों से जुड़े पेड़ों को मिलाकर सप्तर्षि वन का निर्माण होता है।

धोपेश्वर नाथ में नवग्रह वाटिका

इस मंदिर के एरिया में नवग्रह वाटिका बनेगी। मान्यता है कि पृथ्वी से आकाश की ओर देखने पर आसमान में स्थिर दिखने वाले पिंडो को नक्षत्र और स्थिति बदलने वाले पिंडो को ग्रह कहते हैं। यहां इसके तहत मदार, ढाक, खैर, चटजीरा, पीपल, गूलर, शमी, दूब और कुश के पेड़ लगाए जाएंगे।

मान्यता : ये पिंड अंतरिक्ष से आने वाले प्रवाहों को पकड़कर जीवन की रक्षा करती हैं.

बनखंडी नाथ में नक्षत्र वाटिका

अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आद्र्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूला, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषक, पूर्वाभाद्रपक, उत्तराभाद्रपद, रेवती नक्षत्रों पर आधारित वाटिका का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है।

मान्यता : इन नक्षत्रों के वृक्षों के नाम आयुर्वेदिक, पौराणिक और तांत्रिक ग्रंथों में मिलता है। इन वृक्षों की सेवा करने से कल्याण होता है।

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