कानपुर। राष्ट्रीय स्तर की तैराकी प्रतियोगिताओं में कई मेडल जीत चुके बिहार के गोपाल यादव इन दिनों चाय की दुकान चलाकर गुजारा कर रहे हैं। उनके मुताबिक उन्होंने नौकरी के लिए कई बार कोशिश की लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। जहां भी वह जाते नौकरी के लिए रिश्वत की मांग की जाती, इसके बाद उन्होंने थक हारकर चाय की दुकान खोल ली।

बेटों को भी सिखाई तैराकी
गोपाल यादव ने खुद ही तैराकी में नाम कमाने का सपना नहीं देखा था बल्कि उन्होंने अपने दोनों बेटों को भी तैराकी सिखाई। बहरहाल जब उनके बेटों ने उनकी यह हालत देखी तो उन्होंने ने भी इस खेल से मुंह मोड़ लिया। गोपाल यादव ने अपनी चाय की दुकान को नेशनल तैराक टी स्टॉल नाम दिया है। जहां उनके जीते हुए मेडल उन्हें पुराने दिनों की याद दिलाते और खेलों के प्रति समाज व सरकार के रुख को मुंह चिढ़ाते रहते हैं।


हालांकि उन्होंने अभी तैराकी सिखाना नहीं छोड़ा है। बहरहाल वह दूसरों को तैराकी में करियर बनाने से पहले नौकरी ढ़ूढ़ने की सलाह जरूर देते हैं। उन्होंने कोलकाता से लेकर केरल तक तैराकी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और मेडल जीते हैं।

 

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