निर्माता के पक्ष में फैसला

दरअसल, हाल ही में संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' को प्रोड्यूस कर रही कंपनी 'वायकॉम 18' ने चारों राज्यों में फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। जिसपर गुरुवार को चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया की बेंच ने निर्माता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्यों में क़ानून व्यवस्था बनाना राज्यों की जिम्मेदारी है। यह राज्यों का संवैधानिक दायित्व है। संविधान की आर्टिकल 21 के तहत लोगों को जीवन जीने और स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के नोटिफिकेशन को गलत बताते हुए कहा कि इस नोटिफिकेशन से आर्टिकल 21 के तहत मिलने वाले अधिकारों का हनन होता है। यह राज्यों का दायित्व है कि वह क़ानून व्यवस्था बनाए। राज्यों की यह भी जिम्मेदारी है कि फिल्म देखने जाने वाले लोगों को सुरक्षित माहौल मिले।

अटर्नी जनरल को नहीं मिला वक्त

इस पर अटार्नी जनरल ने राज्यों का पक्ष रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट से सोमवार का वक्त मांगा, लेकिन कोर्ट ने पहले ही फैसला जारी कर दिया। इससे पहले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने निर्माताओं का पक्ष रखते हुए कोर्ट में कहा कि सेंसर बोर्ड की ओर से पूरे देश में फ़िल्म के प्रदर्शन के लिए सर्टिफिकेट मिला है। ऐसे में राज्यों का प्रतिबंध असंवैधानिक है, राज्यों का प्रतिबंध लगाना सिनेमैटोग्राफी एक्ट के तहत संघीय ढांचे को तबाह करना है। राज्यों को इसका कोई हक नहीं है। लॉ एंड आर्डर की आड़ में राजनीतिक फायदा और नुकसान का खेल हो रहा है। राज्यों से प्रतिबंध हटाया जाए।

मुख्यमंत्री ने बुलाई बैठक

इस फैसले के बाद राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक बैठक बुलाई है, जिसमें अब राज्य के अगले कदम पर विचार किया जयेगा। गौरतलब है कि राज्यों में हिंसा फैलने का हवाला देते हुए राजस्थान, हरयाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार ने इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दिया था, जिसको अब सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

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